यहां पर कुछ ऐसे संकेतों के बारे में बताया गया है जो कंट्रोलिंग पेरेंट्स में हो सकते हैं। अगर आप भी अपने बच्चे के साथ कुछ ऐसा ही कर रहे हैं, तो आपको तुरंत रूक जाना चाहिए।
अपने बच्चे को बाउंड्री में रहना सिखाना और उसे कंट्रोल कर के रखना, दो अलग चीजें हैं। आप भले ही बच्चे की भलाई के लिए उसे कंट्रोल करना चाह रहे हों लेकिन यह बिलकुल गलत है। किसी भी पेरेंट को अपने बच्चे को कंट्रोल करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। अगर आप भी ऐसा ही करते हैं, तो आपको तुरंत रूक जाना चाहिए।
जिन बच्चों को अनुशासित और सख्त माहौल के बीच पाला जाता है, उन बच्चों को अक्सर आत्म-सम्मान में कमी, एंग्जायटी या डिप्रेशन से जूझना पड़ता है। यहां हम आपको कुछ ऐसे संकेतों के बारे में बता रहे हैं जिनकी मदद से आप समझ सकते हैं कि आप एक कंट्रोलिंग पेरेंट बन चुके हैं और आपको अपने ऊपर रोक लगाने की जरूरत है।
बच्चों के फैसलों पर नजर रखना – अगर आप अपने बच्चों के हर फैसले में हस्तक्षेप करते हैं और उन्हें खुद से निर्णय लेने की स्वतंत्रता नहीं देते, तो यह एक स्पष्ट संकेत है कि आप उन्हें नियंत्रित कर रहे हैं। बच्चों को अपने फैसले लेने और उनसे सीखने की आजादी दें। इससे आपके बच्चे को स्वतंत्रता महसूस होगी और वो आत्मनिर्भर बन पाएगा।
कठोर अनुशासन और सजा – अगर आप छोटी-छोटी गलतियों पर भी कठोर सजा देते हैं और बच्चों को डर के माहौल में रखते हैं, तो यह भी कंट्रोल करने का संकेत है। कठोर अनुशासन बच्चों में डर पैदा कर सकता है और उनके आत्मविश्वास को नुकसान पहुंचा सकता है। बच्चों के साथ ज्यादा सख्ती से पेश आना सही नहीं है।
बच्चों की प्राइवेसी का सम्मान नहीं करना – अगर आप बच्चों की प्राइवेसी और उनकी गोपनीयता का सम्मान नहीं करते, उनके फोन, डायरी या अन्य निजी चीजों की जांच करते हैं, तो यह भी गलत है। हर बच्चे को अपनी निजता की जरूरत होती है और आपको इसका सम्मान करना चाहिए।
अपनी उम्मीदों को बच्चों पर थोपना – अगर आप अपने सपनों और उम्मीदों को बच्चों पर थोपते हैं और उन्हें अपने हिसाब से जीने के लिए मजबूर करते हैं, तो यह उनके विकास के लिए हानिकारक हो सकता है। बच्चों को अपनी रुचियों और सपनों के अनुसार जीवन जीने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए।
आप बच्चे को किसी भी प्रकार का जोखिम लेने नहीं देते, तो आपको यहां रूक जाना चाहिए। बच्चों को अपनी सुरक्षा के बारे में जागरूक करना जरूरी है, लेकिन उन्हें कुछ हद तक जोखिम उठाने और खुद से सीखने का मौका भी देना चाहिए।
भावनात्मक नियंत्रण – यदि आप अपने बच्चों को भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करते हैं या उनकी भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं, तो यह भी एक समस्या है। बच्चों को अपनी भावनाओं को व्यक्त करने और उन्हें समझने की आजादी होनी चाहिए।
इसके अलावा अगर आप अपने बच्चों की दोस्तों और सामाजिक गतिविधियों को नियंत्रित करते हैं, यह तय करते हैं कि वे किसके साथ समय बिता सकते हैं और किसके साथ नहीं, तो यह भी गलत है।
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