
पाप के तुल्य हैं ये बातें : हमारे धर्म शास्त्रों में मनुष्य के कार्य और व्यवहार से जुड़ी अच्छी, बुरी बातों और पाप-पुण्य के बारे में विस्तार से बताया गया है। शिव पुराण में मनुष्य के आचरण से जुड़ी ऐसी बातें बताई गईं हैं और इन्हें पाप के तुल्य माना गया है। शिव पुराण के अनुसार इनमें से कोई एक कार्य करने पर भी वह स्त्री या पुरुष पाप का भागीदार माना जाता है।
शिवजी का क्रोध : ऐसा व्यक्ति हमेशा ही शिव के कोप का भाजन होगा और कभी भी सुखी जीवन व्यतीत नहीं कर सकता। यहां तक कि आप अपने मस्तिष्क में जो सोच रहे होते हैं, वह भी भगवान से छुपा नहीं है। इसलिए भले ही बात और व्यवहार में आपने किसी को नुकसान ना पहुंचाया हो, लेकिन अगर मन में किसी के प्रति कोई दुर्भावना है या आपने किसी का अहित सोचा हो, तो यह भी पाप की श्रेणी में आता है। आइए जानते हैं कौन सी हैं ये चीजें, जिन्हें पाप के समान माना गया है…
परस्त्री या परपुरुष पर नजर : दूसरों के पति या पत्नी पर बुरी नजर रखना, या उसे पाने की इच्छा करना भी पाप की श्रेणी में रखा गया है। ऐसा करना तो दूर मनुष्य को इस बारे में सोचने तक से पाप लगता है। इसलिए मन अच्छी भावना रखना सबसे बड़ा धर्म है।
0माता-पिता या गुरु का अपमान : गुरु, माता-पिता, पत्नी या पूर्वजों का अपमान भी आपको कभी भूलकर भी नहीं करनी चाहिए। शिवपुराण में ऐसा करने वाले को भी पाप का भागीदार बताया गया है। हमें सदैव अपने आचरण को अच्छा रखते हुए पूरे सम्मान के साथ सबसे बात करनी चाहिए।
ऐसे व्यक्ति को नहीं मिलती क्षमा : शिवपुराण में बताया गया है कि शराब पीना, गुरु की पत्नी पर नजर रखना, दान की हुई चीजें या धन वापस लेना महापाप माने जाते हैं जिसे भगवान शिव कभी भी क्षमा नहीं करते। हमें इन सब गलत बातों से दूर रहना चाहिए।
दूसरों के धन का लालच : हमें सदैव अपनी मेहनत से अर्जित किए गए धन का उपभोग करने के बारे में सोचना चाहिए। दूसरों का धन अपना बनाने की चाह रखना भी भगवान शिव की नजर में अक्षम्य अपराध और पाप है।
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मंदिर में चोरी करना : गलत तरीके से दूसरे की संपत्ति हड़पना, ब्राह्मण के घर या मंदिर की चीजें चुराना या गलत तरीके से हथियाना भी पाप माना जाता है। ऐसा करना तो दूर मन में विचार भी नहीं लाना चाहिए।
सज्जन व्यक्ति के साथ ऐसा बर्ताव : किसी भोलेभाले और निरपराध इंसान को कष्ट देना, उसे नुकसान पहुंचाने, या धन-संपत्ति लूटने या उसके लिए बाधाएं पैदा करने की योजना बनाना या ऐसी सोच रखना भगवान शिव की नजरों में हर हाल में माफी ना देने योग्य पाप है।
शब्दों से आघात पहुंचाना : शिव पुराण के अनुसार जिस प्रकार आप किसी का बुरा नहीं करने के बावजूद, उसके लिए बुरी सोच रखने के कारण भी पाप के हकदार और दंड की श्रेणी में आ जाते हैं, उसी प्रकार भले ही आपने अपने कार्य से किसी का बुरा ना किया हो, लेकिन आपकी बोली अक्षम्य पापों का हकदार भी बना सकती है।
महिला को नुकसान पहुंचाना :किसी गर्भवती महिला या मासिक के दौरान किसी महिला को कटु वचन कहना या अपनी बातों से उनका दिल दुखाना शिव की नजरों में अक्षम्य अपराध और पाप है।
गर्भवती महिलाओं का दिल बहुत कमजोर होता है। ऐसी हालत में उनसे कोई भी ऐसी बात नहीं करनी चाहिए, जिससे उसका दिल दुखे। इससे उसके होने वाले बच्चे पर भी बुरा असर पड़ सकता है।
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