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बच्चे को ‘डे केयर’ में छोड़कर काम पर जाती हैं तो इन बातों का रखें ध्यान, फायदे में रहेंगी आप?


छोटे बच्‍चे अपने परिवार और अपने लोगों के बीच सेफ फील करते हैं। पैरेंट्स को भी तसल्‍ली रहती है कि उन्‍हें एक सेफ एनवायरमेंट मिल रहा है। हालांकि, आजकल ज्यादातर पेरेंट्स वर्किंग होते हैं, परिवार में अन्‍य सदस्‍यों के न होने से उन्‍हें बच्‍चे काे डे केयर या क्रेच में छोड़ना पड़ता है।
माता-पिता बच्चे को डे केयर में छोड़ तो देते हैं लेकिन उन्हें चिंता लगी रहती है कि उनके बच्‍चे की फिजिकल और मेंटल हेल्‍थ पर कोई असर ना पड़े। ऐसे में अगर आप भी वर्किंग हैं और न चाहते हुए भी आपको बच्चे को डे कयर केयर में छोड़ना पड़ रहा है, तो एडमिशन से पहले यहां बताई गई आपके काम की हैं।
किस उम्र से डे केयर में भेजना चाहिए? – बच्‍चे को डे केयर में भेजने के लिए आपको उसके 1 साल का होने का इंतजार करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि समय तक बच्चा कुछ सॉलिड खाने लगता है, पुरी तरहसे मां के दूध पर निर्भर नहीं होता और अपनी जरूरतों को बेहतर ढंग से बता पाता है। एक साल के बच्‍चे लंबे वक्‍त तक माता-पिता के बिना रहना सीख जाते हैं।
ध्‍यान रखें बच्‍चा सुरक्षित है या नहीं? – बच्‍चे का एडमिशन कराने से पहले आपका काम है डे केयर का लाइसेंस चेक करना। इससे यह तय होगा कि बच्चा यहां सेफ रहेगा या नहीं।
जहां एक्टिविटीज में हिस्‍सा ले सके बच्‍चा – डे केयर या क्रेच ऐसा होना चाहिए जहां आपके बच्‍चे को कई तरह की एक्टिविटीज और एजुकेशन प्रोग्राम में हिस्सा लेने का मौका मिले। इससे बच्‍चे की मेंटल ग्रोथ बहुत अच्‍छी होती है।
टीचर्स की योग्‍यता और व्‍यवहार पर ध्यान – अपने बच्‍चे को डेकेयर में भेजने से पहले यहां के टीचर्स और केयर गिवर की योग्‍यता के बारे में जरूर पता करना चाहिए। साथ ही टीचर का व्‍यवहार भी बताता है कि आपका बच्‍चा यहां सहज महसूस करेगा या नहीं।
बच्‍चे का कंफर्ट लेवल देखना जरूरी – सबसे पहले खुद से पूछें कि क्‍या आपका बच्‍चा अजनबियों के साथ रह पाएगा। क्‍या वह अकेला सिर्फ खिलौनों के पास समय बिता पाएगा। अगर इन सवालों के जवाब आपके पास नहीं है, तो जल्‍दबाजी न करें। कुल मिलाकर बच्‍चे को तभी भेजें, तब आप खुद इसके लिए तैयार हों।