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बच्‍चे को बनाना है दोस्‍तों का प्‍यारा और घरवालों का दुलारा, तो उसे जरूर सिखाएं ये एक चीज

कृतज्ञता और आभार व्‍यक्‍त करने से बच्‍चों को जिंदगी के प्रति एक सकारात्‍मक न‍जरिया रखने में मदद मिलती है। इससे बच्‍चों में उनके पास जो कुछ भी है, उससे संतुष्‍ट और ज्‍यादा के पीछे भागने से छुटकारा मिलता है। इससे चुनौतियों और मुश्किलों से लड़ने के लिए व्‍यवहार में फ्लेक्सिबिलिटी आती है और दूसरों के लिए सहानुभूति और करुणा की भावना पैदा होती है।
कृतज्ञता से जिंदगी के प्रति पॉजिटिव रवैया रखने में मदद मिलती है जो मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत जरूरी है। जिंदगी में सिर्फ अच्‍छी चीजों पर फोकस कर के बच्‍चे ज्‍यादा लचीले बन सकते हैं और चुनौतियों के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं। ये बच्‍चे अपने साथियों, परिवार और दुनिया के प्रति पॉजिटिव व्‍यवहार रखते हैं।
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क्‍या होता है फायदा – इसके अलावा कृतज्ञता का बच्‍चों की शारीरिक सेहत पर भी अच्‍छा असर पड़ सकता है जैसे कि इससे नींद में सुधार होता है और तनाव का स्‍तर कम होता है। यह दूसरों के प्रति दयालुता लेकर आता है और दूसरों को प्रोत्‍साहित करना सिखाता है। इससे व्‍यक्‍ति के दूसरों के साथ संबंध भी बेहतर होते हैं।
बच्‍चे को कैसे सिखाएं कृतज्ञता का पाठ – पैरेंट्स, बच्‍चे को कई तरह से कृतज्ञता का पाठ सिखा सकते हैं जैसे कि थैंक्‍यू नोट लिखना सिखाकर या खुद इस तरह के काम करना, जो बच्‍चों को अपने व्‍यवहार में कृतज्ञता लाना सिखाए। बच्‍चे अपने मां-बाप को देखकर ही सीखते हैं इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपके बच्‍चे में यह गुण आए, तो आप उसे पहले खुद अपनाना शुरू करें। पैरेंट्स को बच्‍चों से प्‍यार से बात करनी चाहिए और अक्‍सर उनकी प्रशंसा करनी चाहिए।
बच्‍चों में नैतिक विकास- बच्‍चों में कृतज्ञता का भाव लाने के लिए पैरेंट्स उन्‍हें सकारात्‍मक मानसिकता का विकास करने, सोशल स्किल्‍स को बढ़ाने और दूसरों के प्रति सहानुभूति रखने पर काम कर सकते हैं। इस पैरेंटिंग टिप से आपके बच्‍चे में कृतज्ञता का भाव आ सकता है। ये कुछ ऐसे कीमती लाइफ स्किल्‍स है जो बच्‍चों को उनकी जिंदगी के हर क्षेत्र और पहलू में लाभ पहुंचाएंगे और उसे इसका फायदा आज ही नहीं बल्कि आने वाले कल में भी होगा।
पैरेंट्स को क्‍या करना है – यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्‍चे के मन में दूसरों के प्रति कृतज्ञता का भाव रहे, तो आप उसे अपनी जिंदगी में अहम लोगों की प्रशंसा करना सिखाएं और खुद अपने व्‍यवहार में इस गुण को लाना शुरू करें। बच्‍चे के लिए ऐसे अवसर पैदा करें, जिसमें उसे दूसरों के लिए कुछ करने का मौका मिले। इससे आपके बच्‍चे के व्‍यवहार में कृतज्ञता का भाव जरूर विकसित होगा।