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बात बात पर बहस करता है बच्चा, तो इन तरीकों से उसे सिखाएं तमीज; कभी पलटकर नहीं बोलेगा


हर बच्‍चे का स्‍वभाव अलग होता है। कुछ बच्‍चे शर्मीले स्‍वभाव के होते हैं, तो वहीं कुछ बच्‍चे बहुत शैतान होते हैं। इसके अलावा कुछ बच्‍चों में बहस करने का रवैया भी देखा जाता है। इन बच्‍चों को हर छोटी बात पर बहस करने की आदत होती है और इनका यह रवैया इनके मां-बाप के लिए परेशानी बन जाता है।
अगर आप भी अपने बच्‍चे की इस तरह की हरकत से परेशान हैं और उसके इस व्‍यवहार को सुधारना चाहते हैं, तो इस ब्‍लॉग में कुछ आसान तरीकों के बारे में जान सकते हैं। इन तरीकों को अपनाकर आप अपने बच्‍चे की बहस करने की प्रवृत्ति को दूर कर सकते हैं।
धैर्य रखें और समझने का प्रयास करें – बच्चे के साथ बहस करते समय धैर्य रखना महत्वपूर्ण है। यदि आप गुस्सा दिखाएंगे, तो स्थिति और खराब हो सकती है। शांति से बात करें और बच्चे को आपकी बात सुनने का समय दें।
इसके अलावा बच्चा क्यों बहस कर रहा है, इसे समझने की कोशिश करें। कई बार बच्चे अपनी भावनाओं या विचारों को व्यक्त करने के लिए बहस करते हैं। उनकी बातों को समझें और उन्हें बताएं कि आप उनकी बात सुन रहे हैं।
बात करने की कला सिखाएं – बच्चे को बात करने का सही तरीका सिखाएं। उन्हें बताएं कि कैसे शांति से अपनी बात रखी जाती है और दूसरों की बात को भी सुना जाता है।
बच्चे आपके व्यवहार से सीखते हैं। यदि आप खुद शांतिपूर्ण ढंग से बात करेंगे, तो बच्चा भी वही सीखेगा। अपने व्यवहार से बच्चे को दिखाएं कि बहस के बिना भी बातचीत की जा सकती है।
सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं – बच्चे की अच्छी आदतों और सकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा दें। यदि बच्चा शांति से अपनी बात रखता है, तो उसकी सराहना करें और उसे प्रोत्साहित करें।
इसके अलावा घर में स्पष्ट नियम और बाउंड्री बनाएं। बच्चे को बताएं कि किन बातों पर बहस नहीं की जा सकती और किन मुद्दों पर बातचीत हो सकती है।
समस्या को सुलझाने का कौशल सिखाएं – बच्चे को समस्या सुलझाने के कौशल सिखाएं। उसे बताएं कि बहस करने के बजाय समस्या का समाधान कैसे खोजा जा सकता है।
कभी-कभी बच्चे को खुद को शांत करने का समय देना जरूरी होता है। यदि स्थिति बहुत तनावपूर्ण हो जाए, तो कुछ समय के लिए बातचीत बंद कर दें और बाद में शांतिपूर्ण माहौल में बात करें।
मदद भी ले सकते हैं – अगर बच्चे की बहस करने की आदत बहुत ज्यादा हो गई है और स्थिति को संभालना मुश्किल हो रहा है, तो पेशेवर की मदद भी ली जा सकती है। एक काउंसलर या मनोवैज्ञानिक से परामर्श करना फायदेमंद हो सकता है।
धैर्य, समझ और सही दिशा-निर्देश देकर आप अपने बच्चे की बहस करने की आदत से सफलतापूर्वक निपट सकते हैं। अपने बच्चे को सही संवाद और समस्या सुलझाने के कौशल सिखाकर आप उसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।