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मॉडर्न जमाने में इस तरह से करेंगे बच्‍चे की परवरिश, तो आपसे कभी नहीं बोलेगा झूठ


आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में बच्‍चों की परवरिश करना और भी ज्‍यादा मुश्किल और चुनौतीपूर्ण हो गया है। अब पैरेंट्स के ऊपर ना सिर्फ बच्‍चों और घर की बल्कि ऑफिस के काम की भी जिम्‍मेदारियां हैं और इस बीच अपनी जिम्‍मेदारियों को पूरा करते हुए उन पर स्‍ट्रेस होना और बच्‍चों से कनेक्‍शन कम होना लाजिमी है। इस सब के बीच, रोजमर्रा की चुनौतियों से निपटते हुए बच्चों के साथ बॉन्‍ड बनाने के लिए माइंडफुल पैरेंटिंग एक शक्तिशाली पैरेंटिंग स्‍टाइल के रूप में उभर कर आ रही है।
बच्‍चों की बात सुनें – पैरेंट्स के लिए अपने बच्‍चे की बात को सुनने और उसके अनुभव को समझना जरूरी होता है और पैरेंट्स को कभी भी अपने बच्‍चों को जज नहीं करना चाहिए। बच्‍चों की भावनाओं को इग्‍नोर कर के और उन पर अपनी इच्‍छाओं को थोपने की बजाय माता-पिता को ओपन कम्‍यूनिकेशन की जगह बनाकर रखनी चाहिए।
थोड़ा सचेत रहें – कभी-कभी अनजाने में बच्चों के साथ बातचीत करते समय माता-पिता अपनी भावनाओं को कंट्रोल नहीं कर पाते हैं। इस प्रवृत्ति के प्रति सचेत रहना और नकारात्मक भावनाओं को अपने बच्चों पर थोपने से बचना चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर आप ऑफिस के काम की वजह से स्‍ट्रेस में हैं और उस का गुस्‍सा अपने बच्‍चे पर निकाल देते हैं तो ये गलत है। इसके बजाय, खुद को शांत करने और सचेत होकर प्रतिक्रिया देने के लिए कुछ समय निकालें।
बच्‍चे के इमोशंस को समझें – प्रकाश कहते हैं कि माइंडफुल पैरेंटिंग में बच्‍चों की भावनाओं को समझना एक पॉवरफुल टूल है। कई बार बच्‍चे ऐसे इमोशंस महसूस करते हैं, जो बड़ों के लिए समझ पाना मुश्किल हो जाता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप अपने बच्‍चे की भावनाओं को इग्‍नोर करना शुरू कर दें। पैरेंट्स को बच्‍चों के लिए समय जरूर निकालना चाहिए। उनके अनुभवों को समझकर और उनकी भावनाओं की कद्र कर के आप उन्‍हें ये महसूस करवा सकते हैं कि आप उनकी बात को समझते हैं।
खुलकर बात करने की आजादी दें – अगर आप बच्‍चे के किसी इमोशन या एक्‍सपीरियंस को लेकर उसे शर्मिंदा महसूस करवाते हैं, तो इसका नकारात्‍मक असर बच्‍चे पर लंबे समय तक रहता है और इसका प्रभाव उसके भावनात्‍मक स्‍वास्‍थ्‍य और आत्‍म-सम्‍मान पर भी पड़ता है।
माइंडफुल पैरेंटिंग में बच्‍चा बिना किसी डर और शर्म के अपने माता-पिता से बात कर पाता है। बच्‍चे से ऐसा कुछ ना कहें ‘तुम पागल हो’, ‘तुम्‍हे ऐसा महसूस नहीं करना चाहिए’। इसकी बजाय आप बच्‍चे से कहें ‘मैं समझती हूं कि तुम दुखी हो लेकिन ऐसा महसूस करने में कोई बुराई नहीं है।’
बाउंड्री जरूर होनी चाहिए – किसी भी रिश्‍ते में मर्यादा या बाउंड्री का होना बहुत जरूरी है। माइंडफुल पैरेंटिंग में बच्‍चों के साथ हेल्‍दी बाउंड्री बनाई जाती हैं। आप कोई भी बाउंड्री बनाने से पहले अपने बच्‍चे को ये समझा दें कि आप ऐसा क्‍यों कर रहे हैं। इससे बच्‍चा आपका सम्‍मान करेगा और आप दोनों का रिश्‍ता भी मजबूत होगा।