
सऊदी अरब ने मंगलवार को 26 वर्षीय एक व्यक्ति को मृत्युदंड दे दिया। इस व्यक्ति पर सरकार के खिलाफ अल्पसंख्यक शिया मुसलमानों के विद्रोह में शामिल होने का आरोप था। अंतराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसकी निन्दा करते हुए कहा कि मुस्तफा बिन हाशिम बिन इसा अल दारविश से संबंधित मुकदमे में ‘‘गंभीर खामियां” थीं। इसने कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इस व्यक्ति को नाबालिग के रूप में किए गए अपराध के लिए सजा दी गई।
मानवाधिकार समूह ने कहा कि इस व्यक्ति को 2015 में गिरफ्तार किया गया था। उसपर 2011 से 2012 के बीच दंगों में शामिल होने का आरोप था। आरोपपत्र में उसके द्वारा किए गए अपराध की तारीख का उल्लेख नहीं है जिसका मतलब यह है कि घटना के समय वह 17 साल का रहा हो या 18 साल की शुरुआती उम्र में रहा हो।
पिछले साल सल्तनत ने उन लोगों को मृत्युदंड देने पर रोक लगा दी थी जिन्होंने अपराध नाबालिग उम्र में किया हो। अरब क्रांति के दौरान समूचे क्षेत्र को इसका सामना करना पड़ा था और सऊदी सल्तनत को भी इसका तब सामना करना पड़ा था जब पूर्वी प्रांत में शिया लोग सड़कों पर प्रदर्शन के लिए निकल पड़े थे। सुरक्षाबलों ने इन प्रदर्शनों को कुचल दिया था।
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