
भारत पहली बार इस वर्ष के जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI ) में शीर्ष दस देशों में शामिल हुआ है। वहीं अमेरिका सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में पहली बार शामिल हुआ है। स्पेन की राजधानी मैड्रिड में ‘कॉप 25′ जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में मंगलवार को सीसीपीआई रिपोर्ट जारी की गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन और ऊर्जा इस्तेमाल का मौजूदा स्तर ‘‘उच्च श्रेणी” में नौवें स्थान पर है।
हालांकि यह अभी तुलनात्मक रूप से कम है। हालांकि, अपनी जलवायु नीति के प्रदर्शन के लिए उच्च रेटिंग के बावजूद विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार को अभी जीवाश्म ईंधन पर दी जा रही सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से कम करने के लिए रूपरेखा बनानी होगी जिसक परिणामस्वरूप कोयले पर देश की निर्भरता कम हो जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि 57 उच्च उत्सर्जन वाले देशों में से 31 में उत्सर्जन का स्तर कम होने के रुझान दर्ज किये गये हैं। ये देश 90 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।
जर्मनवॉच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट एंड क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क द्वारा संयुक्त रूप से पेश सूचकांक के लेखकों में से एक उर्सुला हेगन ने कहा, ‘‘नये जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक से कोयले की खपत में कमी समेत उत्सर्जन में वैश्विक बदलाव के संकेत दिखाई देते है।” इस सूचकांक में स्वीडन चौथे और डेनमार्क पांचवें स्थान पर है। सबसे बड़े वैश्विक उत्सर्जक चीन ने सूचकांक में अपनी रैंकिंग में मामूली सुधार करते हुए 30वां स्थान हासिल किया है।
केवल दो जी20 देशों ब्रिटेन (7वें) और भारत (नौंवे) को ‘‘उच्च” श्रेणी में स्थान दिया गया है जबकि जी20 के आठ देश सूचकांक की सबसे खराब श्रेणी (बहुत निम्न) में बने हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया (61 में से 56वां), सऊदी अरब और खासकर अमेरिका खराब प्रदर्शन करने वाले देशों में है। अमेरिका पहली बार सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश में शामिल हुआ है।
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