
रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर भले ही दुनियाभर में शक हो, भारत अपने दोस्त के साथ खड़ा है। SCO (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन) की बैठक के लिए रूस गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वैक्सीन बनाने के लिए रूस को बधाई दी है। वहीं रूस के डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के CEO किरिल दिमित्रीव ने भी वैक्सीन उत्पादन के लिए भारत के सहयोग को अहम बताया है।
रूस-भारत में वैक्सीन के समझौते
राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को रूस की सरकार को महामारी से सफलते से निपटने के लिए बधाई दी। उन्होंने कोरोना वायरस की वैक्सीन Sputnik V बनाने के लिए रूस के वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य कर्मियों की तारीफ की। वहीं, किरिल ने कहा कि हम वैक्सीन के उत्पादन में भारत की क्षमता को पहचानते हैं, सिर्फ भारत के मार्केट में नहीं, दूसरे देशों के लिए भी। रूस ने अग्रणी कंपनियों के साथ कई समझौते भी किए हैं।
उन्होंने कहा कि दुनियाभर की करीब 60% वैक्सीन भारत में बनाई जा रही हैं। हम भारत सरकार, संबंधित मंत्रालयों और उत्पादकों से स्थानीय उत्पादन पर बात कर रहे हैं। अमेरिका समेत दूसरे देशों ने कहा था कि स्टडी का डेटा उसे सुरक्षित और असरदार करार देने के लिए पर्याप्त नहीं है।
ब्रिटिश मीडिया एक्सप्रेस.को.यूके में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, एक ब्रिटिश अधिकारी ने संडे एक्सप्रेस को बताया कि ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी और इंपीरियल कॉलेज के वैज्ञानिक वैक्सीन बनाने के अंतिम चरण में पहुंच गए हैं। दोनों उम्मीदवार अलग-अलग कोरोना वायरस वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। अगर सबकुछ सही रहा तो ऑक्सफर्ड की वैक्सीन अगले 6 सप्ताह में बनकर तैयार हो जाएगी।
अधिकारी ने यह भी कहा कि वैक्सीन बनने के बाद कुछ ही महीनों में इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू कर दिया जाएगा। जिसे ब्रिटेन की पूरी आबादी को वैक्सीन की खुराक दी जा सके। अधिकारी ने आशा जताई कि इससे 2021 में जनजीवन तेजी से सामान्य हो सकता है। हालांकि, सरकार अभी देश को खोलने के लेकर काफी सतर्क नजर आ रही है।
यूके वैक्सीन टास्कफोर्स की प्रमुख केट बिंघम ने कहा कि वैक्सीन को लेकर हम भी आशावादी हैं। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हम काम करते रहें और जश्न में सबकुछ भूल न जाएं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के अंतिम ट्रायल रिजल्ट जब यह संकेत दे देंगे कि इनका उपयोग सुरक्षित है, फिर इसके उत्पादन की तैयारी की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन को क्रिसमस से कुछ समय पहले लोगों तक पहुंचाया जा सकता है।
वैक्सीन के विकास से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि ट्रायल के दौरान हमें बहुत ही अच्छा डेटा मिल रहा है। शुरुआत में हम बीमारी को ट्रैक करने के लिए अस्पताल में एडमिट होने वाले मरीजों पर भरोसा कर रहे थे। लेकिन अब हम बहुत अधिक अप-टू-डेट डेटा प्राप्त कर रहे हैं। जिससे वैक्सीन के विकास की संभावना भी बढ़ी है।
ब्रिटेन की वैक्सीन टास्कफोर्स केट बिंघम के अनुसार, बुजुर्ग लोगों को युवाओं से अलग वैक्सीन दिए जाने की भी संभावना है क्योंकि उनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। वैक्सीन दिए जाने पर 65 की उम्र के लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। साथ ही, दूसरी बीमारियों से ग्रस्त लोगों, फ्रंटलाइन हेल्थ और सोशल केयर वर्कर्स को भी यह पहले दी जाएगी।
रूस ने पहले ही अपनी कोरोना वैक्सीन Sputnik V को लॉन्च कर दिया है। हालांकि, उसे लेकर एक्सपर्ट्स को शक है क्योंकि बिना बड़ी आबादी पर टेस्ट किए ही, उसे अप्रूव कर दिया गया है। हालांकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि इस वैक्सीन ने कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों पर अच्छा असर दिलाया है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनकी एक बेटी को इस वैक्सीन का डोज दिया गया है।
दुनियाभर में कोरोना वायरस फैलाने वाले चीन ने एक महीने पहले ही अपने लोगों को वैक्सीन दे दी थी। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने शनिवार को खुलासा किया था कि वह 22 जुलाई से ही अपने लोगों को वैक्सीन की डोज दे रहा है। हालांकि, आयोग ने यह नहीं बताया कि चीन में क्लिनिकल ट्रायल के अंतिम फेज में पहुंची चार वैक्सीन में से किसे लोगों को दिया गया है। इतना ही नहीं, आयोग ने यह भी दावा किया कि लोगों पर इस वैक्सीन का कोई कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ा है।
ट्रायल में असरदार मिली वैक्सीन
कोविड-19 के रूसी टीके ‘Sputnik V’ के कम संख्या में मानवों पर किए गए परीक्षणों में कोई गंभीर नुकसान पहुंचाने वाला परिणाम सामने नहीं आया है और इसने परीक्षणों में शामिल किए गए सभी लोगों में ‘ऐंटीबॉडी’ भी विकसित की। द लांसेट जर्नल में शुक्रवार को प्रकाशित एक अध्ययन में यह दावा किया गया है। रूस ने पिछले महीने इस टीके को मंजूरी दी थी जिसके बाद दुनियाभर, खासकर पश्चिम में इसे लेकर सवाल किया गया था।
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