
इस सप्ताह भारत में दो प्रमुख घटनाक्रम पर हुए जिन पर दुनिया की नजर रही। पहले तो अमेरिका से आए कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल ने चीन की चेतावनी को अनसुना करते हुए तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा से मुलाकात की। इसके बाद नई दिल्ली में पीएम मोदी ने अमेरिकी नेताओं की मेजबानी की।
वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को नई दिल्ली में पूर्व हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी समेत अमेरिकी सांसदों की मेजबानी की। खास बात ये रही कि अमेरिकी सांसदों के इस दल ने एक दिन पहले ही भारत के धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर चीन ने अमेरिकी दल को चेतावनी भी दी थी। पीएम मोदी ने मुलाकात की तस्वीर एक्स पर पोस्ट करके लिखा, ‘अमेरिकी कांग्रेस के मित्रों के साथ एक प्रतिनिधिमंडल में विचारों का बहुत अच्छा आदान-प्रदान हुआ।’ अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के साथ जैसे ही पीएम मोदी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा होने के साथ ही एक चर्चा तेज हो गई है कि क्या नई दिल्ली क्षेत्रीय तनाव के बीच अपनी चीन नीति को नया आकार दे रही है। अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल जब भारत दौरे पर पहुंचा, उस दिन अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन और विदेश उप सचिव कर्ट कैंपबेल भी नई दिल्ली में थे।
चीन पर दबाव बढ़ाने को तैयार भारत – किंग्स कॉलेज लंदन में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रोफेसर हर्ष पंत ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से कहा, भारत ने एक बार फिर संकेत दिया है कि वह तिब्बत और ताइवान जैसे मुद्दों पर धीरे-धीरे दबाव बढ़ाने को तैयार है। उन्होंने बताया कि चीन को लेकर भारत की विदेश नीति 2020 में लद्दाख के गलवान में सीमा पर झड़प के बाद धीरे-धीरे बदलाव से गुजर रही है। इस झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मौत हुई थी। लंबे समय तक इनकार के बाद चीन ने भी अपने चार सैनिकों की मौत की बात स्वीकार की थी। इसके बाद से दोनों देश कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य स्तरीय वार्ता कर चुके हैं लेकिन संबंधों को सामान्य बनाने में विफल रहे हैं। अप्रैल में बीजिंग ने कहा कि नई दिल्ली के साथ संबंधों में सीमा विवाद ही सब कुछ नहीं है और स्थिर संबंध बनाने की इच्छा जताई। हालांकि, नई दिल्ली ने साफ कर दिया है कि जब तक बीजिंग भारत की चिंताओं और संवेदनशीलता को नहीं समझता और भारतीय हितों का सम्मान नहीं करता, तब तक वह उस रुख से आगे नहीं बढ़ेगा।
Home / News / तिब्बत पर खुलकर सामने आया भारत, अमेरिका का दिया साथ, चीन भड़का तो क्या होगा, एक्सपर्ट से समझें खतरा
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