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‘भारत का अधिकार नहीं’… अरुणाचल में हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट देख बौखलाया चीन, उगला जहर


भारत से जुड़ी एक रिपोर्ट को लेकर चीन भड़क गया है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत अरुणाचल प्रदेश में 12 जलविद्युत परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए 1 बिलियन डॉलर खर्च करेगा। इसे लेकर अब चीन भड़क गया है और भारत के खिलाफ जहर उगला।
भारत अरुणाचल प्रदेश में 12 जलविद्युत स्टेशनों के निर्माण में तेजी लाने के लिए 1 बिलियन डॉलर खर्च करने का प्लान कर रहा है। हाल ही में आई इस रिपोर्ट को देखकर चीन भड़क गया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने भारत के खिलाफ जहर उगला है। चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि भारत को उस क्षेत्र में विकास करने का कोई अधिकार नहीं है, जिसे चीन दक्षिण तिब्बत कहता है। दरअसल चीन अरुणाचल प्रदेश पर अपना निराधार दावा करता रहता है। भारत हमेशा चीन के इस दावे को खारिज करता रहा है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के मुताबिक कथित दक्षिण तिब्बत चीन का हिस्सा है। चीनी प्रवक्ता ने कहा कि भारत को इस इलाके में विकास करने का कोई अधिकार नहीं है। किसी भी तरह का निर्माण अवैध और अमान्य है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है। हालांकि भारत पहले भी चीन के निराधार दावों को खारिज करता रहा है। भारत का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश उसका अभिन्न अंग था, है और रहेगा।
रिपोर्ट में क्या कहा गया? – न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा था कि केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में पूर्वोत्तर क्षेत्र में प्रत्येक जलविद्युत परियोजना के लिए 7.5 अरब रुपए (89.85 मिलियन डॉलर) तक की वित्तीय सहायता की मंजूरी दी है। मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि इस योजना के तहत अरुणाचल प्रदेश में 12 जलविद्युत परियोजनाओं के लिए लगभग 90 अरब रुपए आवंटित किए जाने की संभावना है। 2024-25 के संघीय बजट में जलविद्युत स्टेशनों की योजनाओं की घोषणा की जा सकती है। 23 जुलाई को बजट आएगा।
चीन बना सकता है बांध – भारत और चीन के बीच 2,500 किलोमीटर से ज्यादा लंबी विवादित सीमा है। इसे लेकर 1962 में दोनों देशों के बीच युद्ध हुआ था। ऐसी रिपोर्ट्स हैं कि चीन ब्रह्मपुत्र नदी के एक हिस्से पर बांध बना सकता है, जो तिब्बत से अरुणाचल प्रदेश से होकर बहती है। भारत को चिंता है कि इस क्षेत्र में चीनी परियोजनाओं से अचानक बाढ़ आ सकती है या पानी की कमी हो सकती है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ वर्षों से बढ़ा हुआ तनाव देखा जा रहा है। इस कारण दोनों देश सीमा के करीब अपनी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बेहतर बनाने में लगे हैं।