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भारत कसेगा द्विपक्षीय संबंधों पर चीन और पाकिस्तान के पेंच! एससीओ बैठक के जरिये ‘दोस्त’ रूस को मिलेगा ये मैसेज


पूर्वी लद्दाख में भारत के साथ चीन के सीमा विवाद पर सरकार का मजबूत रुख एक बार फिर से शंघाई सहयोग सम्मेलन (SCO) में नजर आया. विदेश मंत्री एस जयशंकर की अपनी चीनी समकक्ष चिन गांग से एससीओ बैठक के दौरान हुई एक द्विपक्षीय मुलाकात में संदेश दिया गया कि भारत के साथ चीन के द्विपक्षीय रिश्ते तभी सुधरेंगे, जब एलएसी पर पैदा की गई स्थिति पूरी तरह से खत्म होगी.
इतना ही नहीं, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार (4 मई) को एक अन्य द्विपक्षीय बैठक में अपनी रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ सामयिक वैश्विक और स्थानीय मुद्दों के साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर विश्वास आधारित बातचीत को आगे बढ़ाया. जयशंकर ने ये मुलाकात एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले की. चीन के विदेश मंत्री चिन गांग के साथ मार्च में हुई जी20 की अपनी आखिरी बैठक में जयशंकर ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि भारत-चीन के रिश्ते सामान्य नहीं हैं.
इस बैठक के बाद भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि चीन के स्टेट काउंसिलर और विदेश मंत्री चिन गांग के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर विस्तृत चर्चा हुई. हमारा ध्यान बाकी के मुद्दों को हल करने और सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति सुनिश्चित करने पर केंद्रित है. इसके साथ ही हमने एससीओ, जी20 और ब्रिक्स पर भी चर्चा की.”
रक्षा मंत्री ने अपनाया था सख्त रुख – बीते हफ्ते भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी चीनी समकक्ष ली शांगफू के साथ एससीओ की एक अन्य बैठक में कहा कि चीन के सीमा पर शांति समझौते के उल्लंघन ने द्विपक्षीय संबंधों के पूरे आधार को नष्ट कर दिया है. राजनाथ सिंह के इस संदेश से साफ हो गया कि भारत चाहता है कि सामान्य द्विपक्षीय आदान-प्रदान को फिर से शुरू करने से पहले पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी पूरी हो. हालांकि, चीन का मानना ​​है कि सीमा के मुद्दे को संबंधों में प्रगति के रास्ते में नहीं आने देना चाहिए.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भारत दौरा – इस सैन्य और कूटनीतिक गतिरोध के बीच चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 4 जुलाई को एससीओ शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत का दौरा करेंगे. इस दौरान उम्मीद है कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान में हुए हिंसक सीमा विवाद के बाद शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पहली द्विपक्षीय बैठक का हिस्सा बनेंगे. हालांकि, भारत की ओर से साफ कर दिया गया है कि बैठक से पहले डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया में तेजी लाई जाए.