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अमेरिका में भारतवंशी डॉक्टर प्रार्थना में ढूंढ रहा कोरोना का ईलाज, 1000 मरीजों पर अध्ययन शुरू


कोरोना वायरस से सबसे अधिक प्रभावित देश इस वक्त अमेरिका है और यहां 67,444 लोगों की मौत हो चुकी है और 11 लाख से अधिक संक्रमित हैं। यहां मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। पूरी दुनिया के डाक्टर और सांइटिस्ट किलर कोरोना की दवा बनाने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन एक डाक्टर ऐसा भी है जो प्रार्थना में इस महामारी का इलाज ढूंढने की कोशिश कर रहा है। कोेरोना वायरस के संकट के बीच अमेरिका में एक भारतवंशी डॉक्टर धनंजय लाकिरेड्डी यह अध्ययन करने में जुटे हुए हैं कि क्या प्रार्थना कोरोना मरीजों के इलाज में कारगार साबित हो सकती है।
वह जानने में लगे हुए हैं कि क्या प्रार्थना सुनकर भगवान कोरोना के मरीजों को ठीक कर सकते हैं। धनंजय लाकिरेड्डी ने चार महीने की प्रेयर स्टडी शुक्रवार को शुरू की है। इसमें आईसीयू में रह रहे 1000 मरीजों पर प्रयोग किया जा रहा है। इस अध्ययन में किसी भी मरीज को दिए गए डॉक्टरी निर्देश में बदलाव नहीं किया गया है। उन्हें 500-500 के दो ग्रुप में बांटा जाएगा और इनमें से एक ग्रुप के लिए प्रार्थना की जाएगी। हालांकि,दोनों ही ग्रुप को इसकी जानकारी नहीं दी जाएगी। चार महीने की स्टडी में यह देखा जाएगा कि अलग-अलग धर्म के अनुसार किए जा रही प्रार्थना का डॉक्टरी इलाज पर कोई असर होता है या नहीं। यह जानकारी डॉक्टर ने नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ को दी है ।
इनमें से आधे मरीजों के लिए ईसाई, हिंंदू, इस्लाम, यहूदी और बौध धर्म के अनुसार प्रार्थना की जाएगी। डॉ. धनंजय ने इस अध्ययन पर नजर रखने के लिए चिकित्सा जगत के विशेषज्ञों का पैनल भी बनाया है। अपने इस अनोखे प्रयोग पर धनंजय कहते हैं, ‘हम अभी भी विज्ञान में यकीन करते हैं, और हम अभी भी भरोसे में यकीन रखते हैं। अलौकिक शक्ति जिसपर हममे से कई लोग यकीन रखते हैं तो क्या दैवीय शक्ति परिणाम को बदल सकता है? यही हमारा सवाल है।’
अध्ययन में डॉक्टर का पैनल इस तथ्य पर नजर रखेगा कि मरीज कितने दिनों तक वेंटिलेटर पर रहे, कितनों के अंग ने काम करना बंद कर दिया, कितनी जल्दी वे आईसीयू से निकले और कितनों की मौत हो गई। धनंजय हिंदू हैं लेकिन उनका कहना है कि उन्होंने कैथलिक स्कूल में पढ़ाई की है और उनका जीवन बौध मठों, मस्जिदों और यहूदियों के उपासनागृृह में बीता है। इसलिए वह सभी धर्मों में यकीन रखते हैं। इस प्रयोग के प्रस्ताव पर उनके सहकर्मियों की मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिली है।