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अलास्‍का में यूं ही नहीं पहुंचे हैं भारत के राफेल जेट, चीन के J20 को मात देने की तैयारी, साथ आई अमेरिकी एयरफोर्स


भारतीय वायु सेना के राफेल जेट पहली बार अमेरिका में लैंड हुए हैं। प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय अभ्यास रेड फ्लैग 24 में हिस्सा लेने के लिए राफेल लड़ाकू जेट अमेरिका पहुंचे हैं। यह एफ-16 फाइटिंग फाल्कन और एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों के साथ प्रशिक्षण ले सकते हैं। इस एक्सरसाइज को अपने उन्नत हवाई युद्ध प्रशिक्षण के परिदृश्य के लिए जाना जाता है। भारतीय वायुसेना के राफेल कुछ सबसे उन्नत अमेरिकी लड़ाकू जेट विमानों के खिलाफ हवाई युद्ध में शामिल होंगे। 30 मई को भारतीय वायुसेना ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका के अलास्का में ईल्सन वायु सेना बेस पर टुकड़ी के पहुंचने की घोषणा की।
इंडियन एयरफोर्स के मुताबिक दो सप्ताह के अभ्यास का उद्देश्य बहुराष्ट्रीय वातावरण में एयरक्रू को एकीकृत करना, युद्ध की तैयारी और अमूल्य प्रशिक्षण का अवसर प्रदान करना है। अमेरिका तक जाने के रास्ते में राफेल विमान ग्रीस और पुर्तगाल में रुके। इन विमानों के साथ हवा से हवा में ईंधन भरने वाला IL-78 और C-17 परिवहन विमान भी था। अमेरिका तक जाने के लिए राफेल ने महाद्वीपों को पार किया। 4 सिंगल और 4 ट्विन सीटर के साथ कुल 8 राफेल विमान रेड फ्लैग अभ्यास में भाग ले रहे हैं।
100 से ज्यादा विमान युद्धाभ्यास में शामिल – यूएस एयरफोर्स के मुताबिक रेड फ्लैग-अलास्का 24-2 में लगभग 3100 सदस्य, भाग लेने वाले 4 देशों के 100 से ज्यादा विमान उड़ान, रखरखाव और समर्थन की उम्मीद करते हैं। भारत इस युद्धाभ्यास में ऐसे समय पर शामिल हुआ है, जब चीन ने एलएसी से 150 किमी की दूरी पर ही जे-20 फाइटर जेट तैनात किया है। इससे पहले भी भारत इस युद्धाभ्यास में शामिल हो चुका है, जो चीन के साथ तनाव के बीच यूएस के साथ सहयोग बढ़ाने की प्रतिबद्धता का महत्वपूर्ण प्रदर्शन है।
भारतीय सीमा के करीब चीन के फाइटर जेट – ‘ऑल सोर्स एनालिसिस’ की ओर से सैटेलाइट तस्वीरें जारी की गई हैं। यह दिखाती हैं कि एलएसी से सिर्फ 150 किमी की दूरी पर मौजूद चीनी शिगात्से एयर बेस पर कम से कम छह जे-20 लड़ाकू जेट तैनात हैं। छह जे-20 स्टील्थ लड़ाकू विमानों के अलावा कम से कम आठ जे-10 विमान और एक केजे-500 एयरबोर्न प्रारंभिक चेतावनी और नियंत्रण विमान भी हो सकते हैं। यह हवाई अड्डा दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई अड्डों में से एक है और दोहरे उपयोग वाले हवाई अड्डे के रूप में कार्य करता है।
चीन को मिलेगी टक्कर – यूरेशियन टाइम्स ने एक एक्सपर्ट के हवाले से कहा कि भारतीय वायुसेना इस एक्सरसाइज में दुनिया के कुछ सबसे बेहतरनी युद्धक विमानों के खिलाफ प्रशिक्षण करेंगे। यह पहली बार होगा जब भारतीय वायुसेना का राफेल अमेरिका के एफ-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों के साथ प्रशिक्षण लेंगे। इससे भारतीय वायुसेना को महत्वपूर्ण सबक मिलना चाहिए, क्योंकि चीन अक्सर जे-20 लाड़ाकू विमान भारतीय सीमा के करीब तैनात करता है। इस एक्सरसाइज में एफ-35 के शामिल होने से जे-20 को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।