ईरान के पूर्व राष्ट्रपति अकबर हाशमी रफसंजानी का दिल का दौरा पड़ने से रविवार को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे।
रफसंजानी को दिन में अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन डॉक्टरों के प्रयास के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका। वह अगस्त 1989 से अगस्त 1997 तक ईरान के राष्ट्रपति रहे। रफसंजानी ईरान के कद्दावर नेता और अरबपति कारोबारी थे। राजनीति और कारोबार में चालाक चालों के लिए उन्हें अकबर शाह जैसे उपनामों से भी जाना जाता था।
ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से हर बड़ी घटना में वह शामिल रहे। अमेरिका समर्थित शाह को गद्दी से हटाने के बाद उथल-पुथल भरे वर्षों में वह एक स्थिर नेता के तौर पर मौजूद रहे। बाद के वर्षों में रफसंजानी अप्रत्याशित रूप से फिर से उभरे। 2013 के राष्ट्रपति चुनाव में रफसंजानी के प्रियपात्र हसन रूहानी विजयी रहे। रूहानी के सुधार प्रयासों में रफसंजानी की अंदरूनी भूमिका रही।
इसमें अमेरिका के साथ परमाणु बातचीत को आगे बढ़ाना भी शामिल था। रफसंजानी की व्यावहारिक नीतियों, आर्थिक उदारीकरण, पश्चिम के साथ बेहतर संबंध के प्रयासों और ईरान की निर्वाचित संस्थाओं को शक्तिसंपन्न बनाने को लेकर अधिकतर ईरानवासी प्रभावित हुए। हालांकि कट्टरपंथी इससे खुश नहीं थे। रफसंजानी ईरानी संसद और गार्जियन काउंसिल में विवाद सुलझाने वाली एक्पीडिएंसी काउंसिल के प्रमुख भी रहे।