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पाकिस्‍तानी परमाणु बमों को राख कर सकती है ईरान किलर ‘रॉक’, भारत ने यूं नहीं लगाया इजरायली ब्रह्मास्‍त्र पर दांव


भारत ने हाल ही में हवा से सतह पर मार करने वाली इजरायली बलिस्टिक मिसाइल रॉक का परीक्षण किया है। अब तक भारत रूस से बड़े पैमाने मिसाइलें खरीद रहा था लेकिन यूक्रेन युद्ध के बाद हालात बदलते हुए दिख रहे हैं। व‍िशेषज्ञों का मानना है कि भारत ने पाकिस्‍तान के परमाणु जखीरे के खिलाफ काउंटरफोर्स रणनीति के तहत इस इजरायली ब्रह्मास्‍त्र पर दांव लगाया है। बताया जा रहा है कि भारत ने अपने सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट की मदद से इजरायल की क्रिस्‍टल मेज 2 या रॉक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इस टेस्‍ट को अंडमान निकोबार में अंजाम दिया गया जहां पर इन दिनों चीन ने नजर गड़ा रखी है।
रॉक मिसाइल को इजरायल ने किसी हाई वैल्‍यू टारगेट को 250 किमी दूर से तबाह करने के लिए बनाया है। यह मिसाइल जीपीएस पर रोक वाले माहौल में भी सफलतापूर्वक अपने टारगेट को तबाह करने की क्षमता रखती है। यहीं नहीं अगर दुश्‍मन ने एयर डिफेंस सिस्‍टम को तैनात किया है तो भी यह मिसाइल अपने लक्ष्‍य को राख में बदल देती है। एशिया टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक इस सफल टेस्‍ट से साफ हो गया है कि भारत रक्षा निर्माण में आत्‍मनिर्भरता हासिल कर रहा है। बताया जा रहा है कि भारत मेक इन इंडिया के तहत इस मिसाइल का स्‍वदेशी उत्‍पादन करने जा रहा है।
जीपीएस बैन किया तो भी नहीं बचेगा श‍िकार – माना जाता है कि इजरायल ने इस महीने रॉक मिसाइल का ही इस्‍तेमाल ईरान के खिलाफ जवाबी हमले के लिए किया था। इजरायली कंपनी रॉफेल के मुताबिक रॉक विस्‍तारित मारक क्षमता वाली एक अगली पीढ़ी की एयर टु सरफेस मिसाइल है। इस मिसाइल को किसी हाई वैल्‍यू टारगेट फिर चाहे वह कोई ठिकाना हो या चलता फिर लक्ष्‍य, अंडरग्राउंड हो या चौतरफा किलेबंदी से लैस ठिकाना, यह मिसाइल जीपीएस बैन के बाद भी सटीक हमला करने में सक्षम है। इस मिसाइल में किसी ठिकाने के अंदर घुसकर तबाही मचाने या फिर वारहेड के विस्‍फोट दोनों की क्षमता है।
रॉक्‍स में उसी तकनीक का इस्‍तेमाल इजरायल ने किया है जो स्‍पाइस बम में किया है जिसे भारत पहले भी इस्‍तेमाल कर चुका है। इस मिसाइल को दागने से पहले पायलट लक्ष्‍य के बारे में हर तरह की जानकारी डाल देता है। रक्षा विशेषज्ञ रोहित कौरा का मानना है कि एयर डिफेंस सिस्‍टम की वजह से परंपरागत बॉम्‍बर अब बेकार होते जा रहे हैं। लेकिन अगर इस मिसाइल का इस्‍तेमाल किया जाए तो बॉम्‍बर बिना दुश्‍मन की मिसाइल की रेंज में आए दूर से ही तबाही मचाने में सक्षम हैं। इस मिसाइल का इस्‍तेमाल दुश्‍मन के पहले हमला करने पर जवाबी हमले के लिए किया जा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि काउंटर फोर्स टारगेटिंग का उद्देश्‍य सीमित परमाणु युद्ध के बीच दुश्‍मन के सैन्‍य ठिकाने को तबाह करना है।