
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बीते कुछ सालों में लगातार कमजोर हो रही है। वहीं राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ते आतंकी हमलों ने उसकी मुश्किल को बढ़ाया है। इस सबके साथ पाकिस्तान अब दुनिया में भी अकेला पड़ता दिख रहा है। खासतौर से उसके दो पड़ोसी अफगानिस्तान और ईरान से उसके संबंधों में हाल के समय में खटास आई है। ये दोनों ही पाकिस्तान के भरोसेमंद सहयोगी रहे हैं। इन दोनों देशों से बिगड़े रिश्तों के बाद पाकिस्तान दुनिया में अकेला पड़ता दिख रहा है।
ईरान के साथ पाकिस्तान करीब एक हजार किमी लंबा बॉर्डर साझा करता है। उससे उसकी तनातनी इस समय दिख रही है। पाकिस्तान के अपने पूर्वी और पश्चिमी पड़ोसी देश भारत और अफगानिस्तान से भी पाकिस्तान के संबंध खराब हैं। अफगानिस्तान बॉर्डर पर हाल ही में खाद्य सामग्री के ट्रकों को भी रोका गया। अपने पड़ोसियों के अलावा पाकिस्तान का अमेरिका से भी अब पहले जैसा रिश्ता नहीं है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान अकेला पड़ रहा है।
ईरान और अफगानिस्तान के साथ बढ़ा तनाव – बीबीसी की रिपोर्ट में, अंतरराष्ट्रीय मामलों की विश्लेषक डॉक्टर हुमा बकाई कहती हैं, ईरान के साथ हाल की तनावपूर्ण स्थिति नई नहीं है। 70 के दशक के बाद से पाकिस्तान और ईरान के बीच आपसी रिश्तों में उतार चढ़ाव आता रहा है। पांच दशक पहले दोनों देशों ने एक संयुक्त प्रक्रिया भी तय की थी जिसके तहत सन 2012 में जैश-अल-अद्ल के लोगों को पड़कर ईरान के हवाले किया गया था। अफगानिस्तान से पाकिस्तान में आतंकी आना किसी से छुपा नहीं है। पाकिस्तान इस समस्या को अफगानिस्तान के साथ लगातार उजागर भी करता रहा है। वहीं भारत ने पाकिस्तान के साथ नो कॉन्टैक्ट वार की रणनीति अपनाई है।
पाकिस्तान के सीनेटर मुशाहिद हुसैन सैयद का कहना है कि यह बात गलत है कि पाकिस्तान क्षेत्र में अकेला पड़ रहा है। पाकिस्तान के इस समय भी चीन, ईरान और अफगानिस्तान के साथ व्यापारिक और राजनयिक संबंध हैं। पाकिस्तान क्षेत्र का एक परमाणु हथियार संपन्न देश होने के कारण भी महत्व रखता है। उसे कोई ऐसे ही खारिज नहीं कर सकता है।
पाकिस्तान दुनिया में अकेला नहीं: सीनेटर मुशाहिद हुसैन – मुशाहिद हुसैन सैयद कहते हैं, हमारे चार पड़ोसी चीन, भारत, ईरान और अफगानिस्तान हैं। चीन के साथ हमारे संबंध बहुत अच्छे हैं। ईरान और अफगानिस्तान के साथ संबंधों में अविश्वास का माहौल जल्दी खत्म होने की जरूरत है। पाकिस्तान को चाहिए कि इसके लिए वह चीन, रूस, तुर्की, कतर और सऊदी अरब से बात करे क्योंकि ये देश ईरान और अफगानिस्तान के भी करीबी हैं।
विदेश मामलों के जानकार एजाज अहमद चौधरी भी इस राय को गलत मानते हैं कि पाकिस्तान क्षेत्र में अकेला हो रहा है। उन्होंने कहा, ये जरूरी है कि ईरान और अफगानिस्तान के साथ पाकिस्तान व्यापारिक संबंधों में सुधार लाए। ईरान और अफगानिस्तान के साथ सीमा पर भी शांति स्थापित करे। वह कहते हैं कि भारत के साथ बॉर्डर पर शांति है लेकिन संबंधों में बहुत गिरावट है। चीन की भूमिका को लेकर डॉक्टर हुमा बकाई कहती हैं कि ईरान और पाकिस्तान के बीच संबंधों में चीन की भूमिका अहम है। इसकी वजह ये है कि चीन ने पाकिस्तान और ईरान दोनों देशों में भारी पूंजी निवेश कर रखा है। वह नहीं चाहेगा कि क्षेत्र में अस्थिरता हो, इसीलिए वह शांति के लिए हर संभव कोशिश करेगा। –
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