
दुनियाभर में मुसलमानों का मसीहा बनने की कोशिश कर रहे तुर्की के राष्ट्रपति रेचप तैयप एर्दोगन अपने ही देश मे मानवाधिकारों का गला घोटने पर आमादा हैं। तुर्की की संसद ने रविवार को एक विवादित कानून को पास किया जिससे मानवाधिकारों की पैरवी करने वाली संस्थाओं और संगठनों पर सरकार की पकड़ मजबूत होगी। इस कानून का विरोध तुर्की सहित दुनियाभर के कई मानवाधिकार संगठन कर रहे हैं।
आतंकवाद के खिलाफ एर्दोगन को मिली असीमित शक्तियां : रिपोर्ट के अनुसार, नए कानून के तहत तुर्की की सरकार जब चाहे तब आतंकवाद के आरोपी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सदस्यों को बदलने की शक्ति मिलेगी। इसके अलावा एर्दोगन सरकार उन संगठनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए कोर्ट में अपील भी कर सकती है। इसके अलावा आरोपी संगठनों के सदस्यों को जेल में भी डाला जा सकता है। इस कानून को एर्दोगन की एके पार्टी ने ही तैयार किया है।
एर्दोगन ने सभी विरोधियों को जेल में किया है बंद : 2016 में तुर्की में एर्दोगन शासन को उखाड़ने के लिए विरोधियों ने तख्तापलट की कोशिश की थी। लेकिन, समय रहते ही एर्दोगन ने सेना के दम पर इसे कुचल दिया। जिसके बाद टर्किश राष्ट्रपति ने अपनी असीमित शक्तियों का प्रयोग करते हुए अपने सभी विरोधियों को जेल में डाल दिया। इतना ही नहीं, उनके ऊपर आतंकवाद का आरोप लगाया गया। जिससे कोर्ट से उन्हें जमानत भी नहीं मिल सकी। एर्दोगन के कई विरोधी तो आज भी सलाखों के पीछे हैं।
तुर्की के कानून को लेकर दुनियाभर में उबाल : दुनियाभर में मानवाधिकारों का अगुवा कहे जाने वाले एमनेस्टी इंटरनेशनल सहित कई अन्य संगठनों ने आरोप लगाया है कि एर्दोगन सरकार मनमाने तरीके से अपने विरोधियों पर आतंकवाद का आरोप लगा रही है। जिसके कारण हजारों की संख्या में आम नागरिक, पत्रकार, राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता, और मानवाधिकार संगठनों के सदस्य जेल में कैद हैं।
फ्रांस-अमेरिका से भिड़े तुर्की की अर्थव्यवस्था गर्त में, एर्दोगन बोले- बुरी शक्तियों से देश को बचाएंगे
मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस्लाम और राष्ट्रवाद को ढाल बना रहे एर्दोगन
एर्दोगन धर्म और देशप्रेम की बातें लोगों का ध्यान असली मुद्दों से भटकाने के लिए भी कर रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से तुर्की की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। उसकी मुद्रा का मूल्य रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। देश में बेरोजगारी और महंगाई के आंकड़े रोज नया रिकॉर्ड बना रहे हैं। तुर्की में पहले भी विद्रोह हो चुका है, जिसको एर्दोगन ने सेना के दम पर कुचल दिया था। ऐसे में वह इन मुद्दों के सहारे लोगों का ध्यान दूसरे मुद्दों पर केंद्रित करने की कोशिश कर रहे हैं।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website