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इजरायल हमारी सीमा से बाहर जाए… सीरिया के नए नेता ने दिखाए तेवर, नेतन्याहू पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका को भेजा संदेश


बशर अल-असद के शासन के पतन के ठीक बाद इजरायल ने गोलान हाइट्स से आगे बढ़ते हुए बफर जोन को कब्जे में ले लिया था। इसके बाद इजरायली सेना सीरिया के माउंट हरमन पर बैठ गई, जो क्षेत्र का सबसे ऊंचा इलाका है। अब सीरिया के नए नेता ने इजरायल को वहां से हटने की बात कही है।
इजरायल और सीरिया के बीच नए सिरे से तनाव भड़क सकता है। सीरिया के नए नेता अबू मोहम्मद अल-जुलानी ने अमेरिका से कहा है कि वह सीरिया में बफर जोन से पीछे हटने के लिए इजरायल पर दबाव डाले, जिसमें माउंट हरमन का सीरियाई हिस्सा भी शामिल है। इजरायली मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। हालांकि, इजरायली अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा है कि उन्हें इस मामले पर कोई औपचारिक संचार नहीं मिला है। कान न्यूज ने एक सुरक्षा अधिकारी के हवाले से बताया कि इजरायल अपनी सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा।
सीरियाई अधिकारी दे रहे इजरायल को भरोसा – शुक्रवार को पहले दमिश्क के नए गवर्नर माहेर मारवान ने एक इंटरव्यू में सीरिया की इच्छा और इजरायल या किसी अन्य देश के प्रति दुश्मनी न होने की बात कही थी। मारवान ने अनुमान लगाया कि बफर जोन में इजरायल की कार्रवाई प्राकृतिक सावधानी से प्रेरित हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘हमें इजरायल से कोई डर नहीं है और न ही कोई दुश्मनी है। हमारी ऐसी किसी भी चीज़ में हस्तक्षेप करने की कोई योजना नहीं है जो इजरायल की सुरक्षा को कमज़ोर कर सकती है। हमारे लोग सह-अस्तित्व और शांति की इच्छा रखते हैं।’
माउंट हरमन पर इजरायल का कब्जा – बीते दिसम्बर की शुरुआत में बशर अल-असद को सत्ता से उखाड़ फेंके जाने के बाद इजरायली सेना ने बफर जोन के आगे बढ़ते हुए सीरिया के माउंट हरमन पर कब्जा कर लिया था। इजरायली अधिकारियों ने माउंट हरमन पर सेना के लंबे समय तक रहने की बात कही थी। इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने तो माउंट हरमन को इजरायल की आंख कहा था, जिससे वह दमिश्क तक नजर रख सकता है।
अमेरिका दे सकता है नई सरकार को मंजूरी – पिछले सप्ताह आई रिपोर्टों से पता चलता है कि राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन नई सरकार को औपचारिक रूप से मान्यता देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। यरुशलम पोस्ट ने एक सूत्र के हवाले से बताया है कि यह घोषणा डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण से पहले हो सकती है। इसके पहले अलकायदा से जुड़े होने के चलते अल-जुलानी पर 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा था। हालांकि, हाल ही में एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल ने दमिश्क का दौरा किया और जुलानी से मुलाकात की थी।