टोक्यो। उत्तर कोरिया द्वारा मंगलवार सुबह जापान के ऊपर मिसाइल दागने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एवं जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने उत्तर कोरिया पर दबाव बढ़ाने की बात कही है। गार्जियन की रपट के मुताबिक, आबे ने मिसाइल दागने की निंदा की और इसे देश की सुरक्षा के लिए एक अभूतपूर्व व गंभीर खतरा बताया। अमेरिकी राष्ट्रपति व आबे के बीच फोन पर हुई 40 मिनट की वार्ता के दौरान दोनों नेता हालात पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की एक आपात बैठक बुलाने पर सहमत हुए।
दक्षिण कोरिया के अधिकारियों ने कहा कि उत्तर कोरिया द्वारा दागी गई अन्य किसी भी मिसाइल की तुलना में यह मिसाइल संभवत: अधिक दूर तक गई। यह परीक्षण उत्तर कोरिया द्वारा अब तक का सबसे उकसावे वाला था, जिसने वाशिंगटन को एक स्पष्ट संदेश दिया है। इसके कुछ सप्ताह पूर्व किम जोंग-उन ने अमेरिकी प्रशांत क्षेत्र के गुवाम को इसी तरह की मिसाइलों से निशाना बनाने की धमकी दी थी।
जापानी क्षेत्र में सीधे तौर पर मिसाइल भेजना उत्तर कोरिया शासन के कूटनीतिक दांव चलने की इच्छा को भी दिखाता है। आबे ने वार्ता के तुरंत बाद कहा कि ट्रंप ने कहा कि अमेरिका 100 फीसदी जापान के साथ है और उन्होंने जापान की रक्षा के प्रति अपनी मजबूत प्रतिबद्धता दोहराई।
ट्रंप ने अपने बयान में कहा, दुनिया ने उत्तर कोरिया की इस नई हिमाकत को साफ-साफ समझ लिया है। प्योंगयांग अपने पड़ोसियों और संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों की अवमानना कर रहा है। यह अंतरराष्ट्रीय मानकों पर स्वीकार्य नहीं है। ट्रंप ने कहा, धमकी देना और अस्थिर करने वाली कार्रवाई से उत्तर कोरिया अपने क्षेत्र और दुनिया में अलग-थलग पड़ेगा।
जापान के चीफ कैबिनेट सेकेट्ररी योशीहिदे सुगा ने बताया कि उत्तर कोरिया के पश्चिमी तट से सुबह लगभग 5.58 बजे मिसाइल परीक्षण किया और मिसाइल ने होक्काइदो के केप एरिमो को सुबह लगभग 6.06 बजे पार किया। इस मिसाइल ने 2,700 किलोमीटर का सफर तय किया और सुबह लगभग 6.12 बजे प्रशांत सागर में जा गिरीं। उन्होंने बताया कि यह भी संभव है कि मिसाइल तीन हिस्सों में टूटकर जापानी सागर में जा गिरी।