
लद्दाख में भारत के साथ उलझे चीन को जापान ने अच्छा सबक सिखाया है। हाल में जापानी जलक्षेत्र में घुसे चीनी नेवी के पनडुब्बी को जापान ने दूर तक खदेड़ दिया। एशिया में विस्तारवादी मानसिकता को संजोने वाला चीन अब पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ द्वीपों को लेकर उलझा हुआ है। वहीं जापान ने सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में चीन की हर हरकत का माकूल जवाब दिया जाएगा।
रिपोर्ट के अनुसार, जापानी विध्वंसक युद्धपोत कागा ने दक्षिणी जापान में ओकिनावा द्वीप के पास 24 समुद्री मील के भीतर एक चीनी पनडुब्बी का पता लगाया। जिसके बाद हरकत में आई जापानी नौसेना ने अपने पेट्रोलिंग एयरक्राफ्ट की मदद से चीनी पनडुब्बी को अपने जलक्षेत्र से बाहर खदेड़ दिया। बता दें कि 2018 में भी जापान ने अपनी जलसीमा में एक चीनी पनडुब्बी को पकड़ा था।
द्वीपों को लेकर जापान से भिड़ा चीन
चीन और जापान में पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर आपस में विवाद है। दोनों देश इन निर्जन द्वीपों पर अपना दावा करते हैं। जिन्हें जापान में सेनकाकु और चीन में डियाओस के नाम से जाना जाता है। इन द्वीपों का प्रशासन 1972 से जापान के हाथों में है। वहीं, चीन का दावा है कि ये द्वीप उसके अधिकार क्षेत्र में आते हैं और जापान को अपना दावा छोड़ देना चाहिए। इतना ही नहीं चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी तो इसपर कब्जे के लिए सैन्य कार्रवाई तक की धमकी दे चुकी है।
जापानी नेवी करती है इन द्वीपों की रखवाली
सेनकाकू या डियाओस द्वीपों की रखवाली वर्तमान समय में जापानी नौसेना करती है। ऐसी स्थिति में अगर चीन इन द्वीपों पर कब्जा करने की कोशिश करता है तो उसे जापान से युद्ध लड़ना होगा। हालांकि दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी सैन्य ताकत वाले चीन के लिए ऐसा करना आसान नहीं होगा। पिछले हफ्ते भी चीनी सरकार के कई जहाज इस द्वीप के नजदीक पहुंच गए थे जिसके बाद टकराव की आशंका भी बढ़ गई थी।
जापान ने चीन को दी चेतावनी
इन द्वीपों के पास चीन की बढ़ती उपस्थिति के जवाब में जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव योशीहिदे सुगा ने इन द्वीपों को लेकर टोक्यो के संकल्प को फिर से व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सेनकाकू द्वीप हमारे नियंत्रण में हैं और निर्विवाद रूप से ऐतिहासिक और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत हमारा है। अगर चीन कोई हरकत करता है तो हम उसका जवाब देंगे।
यूएस ने 3 न्यूक्लियर एयरक्राफ्ट कैरियर तैनात किया
भारत और जापान से चीन के तनाव के बीच अमेरिका ने पहली बार अपने 11 न्यूक्लियर कैरियर स्ट्राइक ग्रुप में से 3 को एक साथ प्रशांत महासागर में तैनात किया है। माना जा रहा है कि कोरोना वायरस और साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते दखल को रोकने के लिए अमेरिका ने यह तैनाती की है। इतना ही नहीं, हाल के दिनों में चीन ने भी आक्रामकता दिखाते हुए साउथ चाइना सी के ऊपर अपनी टोही उड़ानों को तेज कर दिया है। वहीं, ताइवान को भी चीन ने सीधे तौर पर चेतावनी दी है।
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