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चंद्रयान 3 के बाद आज चंद्रमा की तरफ रवाना होगा जापान का SLIM, जानें इसके बारे में सबकुछ


भारत के चंद्रयान 3 के बाद अब जापान अपना चंद्र मिशन लॉन्‍च करने की तरफ है। 28 अगस्‍त यानी सोमवार को जापान अपने महत्‍वाकांक्षी मून मिशन को लॉन्‍च करेगा। इसका लक्ष्‍य भी चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करना है। स्‍मार्ट लैंडर फॉर इनवेस्टिगेटिंग मून यानी स्लिम एक मून स्‍नाइपर के तौर पर करार दिया जा रहा है। इसकी सटीकता की वजह से इसे स्‍नाइपर भी कहा जा रहा है। जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जैक्‍सा की नजरें इस मिशन पर टिकी हुई हैं। स्लिम को पहले 27 अगस्‍त को लॉन्‍च किया जाना था लेकिन खराब मौसम के कारण इसकी लैंडिंग को टाल दिया गया था।
पिनप्‍वाइंट लैंडिंग स्लिम का मकसद – जापान के स्लिम का मकसद पिनप्‍वाइंट लैंडिंग चंद्रमा पर लैंडिंग के पारंपरिक तरीकों से कहीं ज्‍यादा कदम आगे है। साथ ही यह बाकी देशों के चंद्रमा अभियान को एक नई दिशा देने वाला मिशन भी करार दिया जा रहा है। इस मिशन के तहत उस सिद्धांत को बदलने में मदद मिल सकेगी जिसके तहत माना जाता था कि जहां लैंडिंग हो सकती है, वहीं अंतरिक्ष यान को लैंड कराया जाए। इसका मकसद चंद्रमा जैसे गुरुत्वाकर्षण खिंचाव वाले खगोलीय पिंडों पर जहां मर्जी वहां पर लैंडिंग को बढ़ावा देना है। चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण, पृथ्वी के सिर्फ छठे हिस्से के बराबर है। ऐसे में किसी भी अंतरिक्ष यान को उतारना यहां पर एक चुनौतीपूर्ण काम होता है।
200 किलोग्राम वाला स्लिम – हाई-डेफिनिशन इमेजिंग के साथ-साथ सैटेलाइट और दूरबीन टेक्‍नोलॉजी में प्रगति से वैज्ञानिकों को चंद्रमा की संरचना और इलाके को समझने में महत्‍वपूर्ण मदद मिली है। चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव पानी जैसे संसाधनों का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण है। जापान के वैज्ञानिकों के मुताबिक पिनप्‍वॉइन्‍ट लैंडिंग कई खास क्षेत्रों तक सटीक पहुंच की सुविधा प्रदान करती है। पारंपरिक लैंडरों की कई-दर्जन किलोमीटर की लैंडिंग सटीकता की तुलना में, स्लिम की लक्ष्य सटीकता आश्चर्यजनक रूप से 100 मीटर बताई जा रही है। स्लिम का वजन 200 किलोग्राम है। जापान के वैज्ञानिकों ने स्लिम को चंद्रमा और ग्रहों पर ज्‍यादा से ज्‍यादा मिशन पूरा करने का दावा किया है।
स्लिम के खास उपकरण – यह रडार, एक लेजर रेंज फाइंडर और विजन बेस्‍ड नेविगेशन के लिए एक नेविगेशन कैमरा से लैस है। ये सभी उपकरण लैंडिंग के दौरान इसकी स्थिति को मापने और सही करने में मदद करेंगे। जैसे ही स्लिम चंद्रमा की सतह पर लैंड करेगा, इसका मल्टीबैंड स्पेक्ट्रल कैमरा चंद्रमा पर मौजूद चट्टानों की संरचना का पता लगाएगा। लूनर एक्सप्लोरेशन व्हीकल के नाम से जाना जाने वाला उपकरण, अलग से जांच के लिए तैनात होगा। इसमें ट्रांसफॉर्मेबल लूनर रोबोट भी शामिल है, जिसे प्यार से SORA-Q कहा जा रहा है। यह हथेली के बराबर अंडे के जैसा दिखता है। स्लिम की लॉन्चिंग का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। सोमवार को जापान समयानुसार सुबह 9:26 बजे इसे लॉन्‍च किया जाएगा।