Thursday , December 25 2025 10:55 AM
Home / News / ‘जंग’ की आड़ में चीन की भुखमरी को छिपा रहे जिनपिंग, 1962 में भी ऐसे ही थे हालात

‘जंग’ की आड़ में चीन की भुखमरी को छिपा रहे जिनपिंग, 1962 में भी ऐसे ही थे हालात


लद्दाख के पैंगोंग इलाके में भारत से उलझा चीन इस समय दाने-दाने को मोहताज है। इसकी बानगी तभी देखने को मिल गई जब चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अगस्त में क्लीन योर प्लेट अभियान को शुरू किया था। खाने की कमी से जूझ रहा चीन भारत से उलझ कर उग्र राष्ट्रवाद का सहारा लेने की कोशिश कर रहा है। इतना ही नहीं, साउथ चाइना सी में अप्रैल से लेकर अगस्त तक चीन ने कम से कम 5 बार लाइव फायर ड्रिल भी की है। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की पूरी कोशिश है कि जनता का ध्यान गरीबी और भुखमरी से हटकर देशभक्ति और राष्ट्रवाद पर केंद्रित हो जाए।

चीन में इस साल भी 1962 जैसी भुखमरी
यह पहली बार नहीं है कि भुखमरी से ध्यान हटाने के लिए चीन भारत के साथ सीमा विवाद को बढ़ा रहा है। 1962 में भी जब चीन में भयानक अकाल पड़ा था तब भी चीन के सर्वोच्च नेता माओत्से तुंग ने भारत के साथ गैर बराबरी की जंग छेड़ दी थी। उस समय चीन में हजारों लोगों की भूख से मौत हो गई थी। इसे लेकर तत्कालीन चीनी शासन के खिलाफ ग्रेट लीप फॉरवर्ड मूवमेंट भी चला था। ठीक वैसा ही इस समय चीन के वुल्फ वॉरियर कहे जाने वाले राजनयिक और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी कर रही है।

‘जंग’ कर खाद्य संकट को छिपा रहे जिनपिंग
कोरोना वायरस के कारण चीन में खाद्यान संकट गहराता जा रहा है। ग्लोबल टाइम्स के अनुसार, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने खाद्य सुरक्षा को बढ़ाने के लिए 2013 के क्लीन योर प्लेट अभियान को फिर से लॉन्च किया है। पश्चिमी मीडिया का भी मानना है कि चीनी प्रशासन इस योजना की आड़ में देश में पैदा हुए खाद्य संकट को छिपा रहा है।
टिड्डी, बाढ़, कोरोना…चीन की हालत पस्त
चीन इस समय दशक के सबसे बड़े टिड्डियों के हमले से जूझ रहा है। जिससे देश के दक्षिणी भाग में खड़ी फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। इन्हें काबू में करने के लिए चीनी सेना तक अभियान चला रही है। दूसरी बात यह है कि भीषण बाढ़ के कारण चीन में हजारों एकड़ की फसल बर्बाद हो गई है। चीन के जिस इलाके में सबसे ज्यादा फसल उगती है, बाढ़ का असर भी उन्हीं इलाकों पर ज्यादा पड़ा है।

चीन में खाद्यान का आयात लगातार बढ़ रहा
चीन के सामान्य प्रशासन विभाग के आकंड़ों के अनुसार, पिछले साल की तुलना में इस साल जनवरी से जुलाई के बीच चीन का अनाज आयात 22.7 फीसदी (74.51 मिलियन टन) बढ़ा है। चीन में साल दर साल गेहूं के आयात में 197 फीसदी की बढ़ोत्तरी देखी गई है। जुलाई में मक्के का आयात भी पिछले साल की अपेक्षा 23 फीसदी बढ़ा है। अब सवाल यह उठता है कि अगर चीन में पर्याप्त मात्रा में अनाज हैं तो उसे अपना आयात क्यों बढ़ाना पड़ रहा है?

भारत ने इसबार सेना के साथ वायुसेना को लद्दाख में पूरी तैयारी के साथ ऐक्टिव कर रखा है। मिग-29 और सुखोई लड़ाकू विमान लगातार सीमा की निगहबानी कर रहे हैं। भारत की तैयारी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं उसने चीन की सीमा से लगती सीमाओं की जोरदार तरीके से निगरानी कर रहा है। सेना और वायुसेना ड्रैगन की किसी भी हिमाकत का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।

चीन के साथ तनातनी के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह खुद बेहद ऐक्टिव हो गए हैं। सरकार ने 38,900 हजार करोड़ रुपये की लागत से 21 मिग-29 जेट और 12 सुखोई 30MKI लड़ाकू विमान, देसी मिसाइल सिस्टम और रेडार खरीद को मंजूरी दे दी है। रूस दौरे के दौरान राजनाथ ने वहां के रक्षा मंत्री से असाल्ट राइफल और युद्धक सामानों की जल्द डिलिवरी करने का आग्रह किया था, जिसे रूस ने मान लिया था। चीन से मुकाबले को रूस का एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 जल्द ही भारत को मिल सकता है।

ड्रैगन सेना की नापाक हरकतों पर पल-पल निगरानी कर रहे भारतीय सेना को भी सरकार ने आपात खरीदारी की ताकत दे दी है। तीनों सेना 500 करोड़ रुपये उपकरण जरूरत पड़ने पर तुरंत खरीद सकते हैं। इससे ग्राउंड लेवल पर सेना की ताकत बढ़ेगी और वे परिस्थिति के हिसाब से हथियार या उपकरण खरीद सकते हैं।

भारत सरकार ने सेना को चीन कि किसी भी हरकत का माकूल जवाब देने का आदेश दे दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को भारतीय वायुसेना के टॉप कमांडरों के साथ बैठक में कहा था कि वायुसेना शॉर्ट नोटिस पर किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहे। सरकार ने LAC पर स्थिति के अनुसार कदम उठाने को सेना को छूट दे रखी है।

चीनी सेना पैंगोंग झील से लगते पेट्रोलिंग पॉइंट 10, 11, 12 और 13 के रास्ते को रोक रखा है। ड्रैगन गोगरा हॉट स्प्रिंग इलाके से भी हटने को तैयार नहीं है। ऐसे में भारत यह मानकर चल रहा है कि यह संघर्ष लंबा चलने वाला है। सूत्रों के अनुसार, भारत ने इसकी तैयारी भी कर ली है और चीन को जवाब देने के लिए नई दिल्ली एकसाथ कई योजनाओं पर कम कर रहा है। भारत कूटनीतिक बातचीत के अलावा सैन्य तैयारी पूरी कर रहा है।

चीन का दावा- रिकॉर्ड फसल हुई, खाने की कमी नहीं
चीनी कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, चीन में 2019 में कुल अनाज की पैदावर 664 मिलियन टन हुई है। इसमें 210 मिलियन टन चावल और 134 मिलियन टन गेहूं शामिल है। हालांकि चीन से सरकारी मीडिया दावा कर रही है कि देश में चावल की खपत 143 मिलियन टन और गेहूं की खपत 125 मिलियन टन है। इसलिए हम खाद्य संकट से नहीं जूझ रहे हैं। सरकारी मीडिया ने तो यहां तक ऐलान कर दिया है कि इस साल तो धान की और ज़्यादा फसल हुई है, जबकि देश का धान उत्पादन क्षेत्र बाढ़ के प्रकोप से जूझ रहा है।