
ईस्टर संडे पर श्रीलंका में हुए सीरियल ब्लास्ट्स से पूरी दुनिया दहल गई है । हमलों के शिकार हुए यहां के बट्टिकलोआ में जायन चर्च के पादरी फादर कुमरैन ने हमलावर को रोकने की कोशिश भी की थी लेकिन वे सफल नहीं हो सके। उन्होंने एक अजनबी को चर्च के दरवाजे पर ही रोका था। फादर कुमरैन के मुताबिक वह शख्स कैजुअल ड्रेस में था और उसके पास एक बैग था। वह आदमी जाना-पहचाना नहीं लग रहा था।
सुबह करीब 8.30 बजे का वक्त रहा होगा। पूरा चर्च ईस्टर की प्रार्थना के लिए स्थानीय लोगों से खचाखच भरा हुआ था। पादरी कुमरैन ने कहा, ‘मैंने उस अजनबी शख्स से उसका नाम पूछा। उसने कहा कि वह मुस्लिम है और चर्च में जाना चाहता है।’ फादर कुमरैन ने बताया कि वह उस अजनबी संदिग्ध आत्मघाती हमलावर से उलझ गए। लेकिन तभी कुछ अन्य पादरी आकर फादर कुमरैन से प्रार्थना के लिए चलने का आग्रह करने लगे क्योंकि इसमें देरी हो रही थी। जैसे ही वे प्रार्थना के लिए आगे पढ़ें कि उन्हें एक जबर्दस्त धमाका सुनाई पड़ा।
जैसे ही फादर कुमरैन पीछे मुड़े तो वह वहां का मंजर देख स्तब्ध रह गए। चर्च की दीवार से लेकर हर तरफ खून बिखरा था। लोगों के शव जमीन पर पड़े थे, इसमें ज्यादातर बच्चे थे। बेहद उदास फादर कुमरैन ने कहा, ’28 लोग मारे गए, जिसमें 12 बच्चे थे। ‘ बता दें कि श्रीलंका में रविवार को हुए 8 सीरियल ब्लास्ट में 290 लोग मारे गए व 500 से अधिक घायल हुए हैं। घटना के बाद से श्रीलंका के उत्तरी प्रांत की राजधानी बट्टिकलोआ अभी सदमे में है। जायन चर्च से तीन किलोमीटर दूर कल्लाडी में रहने वाले मेडिकल रेप्रजेन्टटिव (एमआर) एस विकास ने कहा, ‘मैंने इससे पहले कभी बम विस्फोट की आवाज नहीं सुनी थी।
शुरू में मुझे लगा कि कहीं टायर फटा है। जब हमें लगा कि यह एक विस्फोट है तो हम आवाज की दिशा में आगे बढ़े। हमने वहां दमकल और ऐम्बुलेंस की अवाजें सुनीं। वहां का नजारा बड़ा ही वीभत्स था। हर तरफ खून और लोगों के अंग बिखरे हुए थे। बच्चों के शव देखकर कलेजा मुंह को आ गया।’ उल्लेखनीय है कि रविवार यानी 21 अप्रैल को ईसाइयों के पवित्र त्योहार ईस्टर पर श्रीलंका में सबसे बड़ा आतंकी हमला हुआ। राजधानी कोलंबो समेत कई जगहों पर 8 सीरियल बम धमाके हुए। शुरुआती जांच में शक की सुई मुस्लिम संगठन नैशनल तौहीत जमात (एनटीजे) पर घूम रही है।
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