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बस कुछ घंटे का इंतजार, सुपरमून के साथ होने वाला है दिलचस्प नजारा, जानें भारत में दिखेगा या नहीं


साल का दूसरा चंद्रग्रहण 18 सितम्सबर को सुबह तड़के होने जा रहा है। सुपरमून के साथ होने के चलते यह चंद्रग्रहण खगोल विज्ञानियों के लिए बहुत खास होने जा रहा है। यह एक आंशिक चंद्रग्रहण होगा, जिसे दुनिया के बड़े हिस्से में देखा जाएगा। आइए जानते हैं कि यह किस समय होगा?
अंतरिक्ष विज्ञानियों के लिए चंद्रग्रहण एक ऐसी रोमांचक घटना है, जिसे देखने के लिए वे बेसब्री से इंतजार करते रहते हैं। फिलहाल ये इंतजार खत्म होने जा रहा है, क्योंकि 18 सितम्बर को साल का दूसरा और आखिरी चंद्रग्रहण होने जा रहा है। खगोलविदों के लिए इस यह एक दोहरी सौगात होगी, क्योंकि सुपरमून और चंद्रग्रहण दोनों साथ हो रहे हैं। चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है, जो सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा के क्रमशः एक सीध में होने पर होती है। इस दौरान पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिसके एक दिलचस्प नजारा होता है। चंद्रग्रहण तीन तरह के होते है- उपछाया चंद्रग्रहण, आंशिक चंद्रग्रहण और पूर्ण चंद्रग्रहण। 18 सितम्बर को आंशिक और उपछाया चंद्रग्रहण लगने जा रहा है।
कब होगा चंद्रग्रहण? – चंद्रग्रहण पूरी दुनिया में 17-18 सितम्बर की रात से देखा जा सकेगा। भारत में ग्रहण का चरम 18 सितम्बर को सुबह होगा। भारतीय समय के अनुसार, चंद्रग्रहण सुबह 6 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगा और 10 बजकर 17 मिनट पर खत्म होगा। इस तरह यह कुल 4 घंटे 6 मिनट तक चलेगा। ग्रहण के उपछाया चरण की शुरुआत सुबह 6:11 बजे से होगी। इसके बाद 7:42 बजे आंशिक चंद्रग्रहण की शुरुआत होगी। 8:14 बजे सुबह ग्रहण अपने चरम पर होगा। 8 बजकर 45 मिनट पर आंशिक ग्रहण की समाप्ति होगी, जबकि 10 बजकर 17 मिनट पर उपछाया ग्रहण खत्म होगा।
क्या भारत में नजर आएगा चंद्रग्रहण? – चंद्रग्रहण सुबह के समय हो रहा है, जब चंद्रमा क्षितिज के नीचे होगा। इसलिए 18 सितम्बर को होने वाले चंद्रग्रहण को भारत में देखना संभव नहीं होगा। हालांकि, इस चंद्रग्रहण को दुनिया के बड़े हिस्से में रहने वाले लोग देख सकेंगे। स्पेस डॉट कॉम की रिपोर्ट के अनुसार, आंशिक चंद्रग्रहण को उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका के साथ ही अफ्रीका के कुछ हिस्से, पश्चिमी एशिया और रूस में देखा जा सकेगा। अंटार्कटिका में भी इसका नजारा दिखाई देगा। इस तरह यह दुनिया के बड़े हिस्से में देखे जाने वाली घटना होगी।
18 सितम्बर को नजर आएगा सुपरमून – इस बार की पूर्णिमा विषुव के साथ हो रही है। नासा के अनुसार, सोमवार शाम से गुरुवार शाम तीन दिनों तक चांद अपनी पूरी रोशनी में दिखाई देगा। इसलिए इस समय में सुपरमून के नजारे का आनंद लिया जा सकता है। इसे हार्वेस्ट मून के नाम से भी जाना जाता है। इसे उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मियों की आखिरी पूर्णिमा माना जाता है। 23 सितम्बर को विषुव के दिन सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में प्रवेश करेगा और यह सर्दियों की शुरुआत होगी।