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कामीकाजी ड्रोन बनाम स्टील्थ फाइटर… ब्रह्मोस के आगे पाकिस्तान का सरेंडर, भारत के खिलाफ दो दुश्मनों की ‘ड्रोन डॉक्ट्रिन’ क्या है?

पाकिस्तान में जिन लूटरिंग म्यूनिशन पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, वो इलेक्ट्रिक या पिस्टन इंजन से चलने वाले धीमे ड्रोन हैं, जिनकी गति सीमित और रेंज कम होती है। ये सिस्टम सामरिक यानी टैक्टिकल स्तर पर तो कामयाब हो सकते हैं लेकिन भारत के सोफिस्टिकेटेड एयर डिफेंस सिस्टम पर प्रभाव डालने में बेअसर साबित होंगे।
भारत-पाकिस्तान युद्ध, रूस यूक्रेन युद्ध और इजरायल-ईरान युद्ध ने साबित कर दिया है कि आधुनिक युद्ध में ड्रोन सबसे खतरनाक हथियार बन चुके हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां यूक्रेन ने कम लागत वाले FPV ड्रोन का इस्तेमाल करते हुए रूस के टैंक, बंकरों और एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचाया। यूक्रेन ने FPV ड्रोन से रूसी एयरबेस पर हमला करते हुए कम से कम 12 लड़ाकू विमानों को तबाह कर दिया। जो यह साबित करता है कि अब युद्ध जीतने के लिए महंगे लड़ाकू विमान ही जरूरी नहीं, बल्कि सस्ते और स्मार्ट ड्रोन काफी ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं। इजरायल ने भी ईरान पर हमला करने में ड्रोन का इस्तेमाल किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इजरायली ड्रोन ने ही ईरान के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह किए। वहीं पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान लाहौर रडार सिस्टम को तबाह करने के लिए भारत ने ड्रोन का ही इस्तेमाल किया था। ऐसे में मॉडर्न वॉरफेयर में ड्रोन सिर्फ टेक्नोलॉजिकल इनोवेशन नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक युद्ध का नया हथियार बन चुके हैं। ये काफी सस्ते होते है और काफी तेजी से बिना मानव क्षति के दुश्मन के गहरे इलाकों में घुसपैठ कर सकते हैं।
पाकिस्तान के एक्सपर्ट्स ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि भारत के ब्रह्मोस से पाकिस्तान के एयरबेस को बचाना लगभग नामुमकिन है, इसलिए पाकिस्तान को ड्रोन इनोवेशन में काम करना चाहिए। QUWA में छपी एक रिपोर्ट में पाकिस्तान के डिफेंस एक्सपर्ट बिलाल खान ने लिखा है कि भारत को सोफिस्टिकेड और हाई-स्पीड स्टैंडऑफ मिसाइल, जैसे ब्रह्मोस, पाकिस्तान के मौजूदा एयर डिफेंस ढांचे को गंभीर खतरे में डाल सकते हैं। पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम भारत की मिसाइलों को रोकने में सक्षम नहीं हैं, जिससे पाकिस्तान को तत्काल एक नई, टिकाऊ और मजबूत प्रतिरोधक क्षमता विकसित करनी होगी। इसके लिए उन्होंने लूटरिंग म्यूनिशन, जिसे कामीकाजी ड्रोन या आत्मघाती ड्रोन भी कहा जाता है, उसकी क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया है।