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लैटिन अमेरिका, खाड़ी और एशियाई देश… ब्रह्मोस और आकाश मिसाइलों की क्‍यों दीवानी हो रही दुनिया


भारतीय हथियारों की डिमांड दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इन हथियारों को खरीदने वाले देश लैटिन अमेरिका, मध्य पूर्व, अफ्रीका और एशिया से हैं। कई देशों ने पिछले कुछ साल में भारतीय हथियारों को खरीदने में रुचि दिखाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय हथियारों और सैन्य उपकरणों की कम कीमत और विश्वसनीयता दुनियाभर के देशों की रुचि बढ़ने का प्रमुख कारक है। स्पुतनिक इंडिया से बात करते हुए रिटायर्ड मेजर जनरल शशि भूषण अस्थाना ने ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जो भारतीय हथियार धूम मचा रहे हैं उनमें पृथ्वी मिसाइल, आकाश मिसाइल और ब्रह्मोस मिसाइल प्रमुख हैं। इसके अलावा स्वदेशी लड़ाकू विमान एससीए तेजस, एएलएच एमके III ध्रुव और प्रचंड हेलीकॉप्टरों ने फिलीपींस, मिस्र, अर्जेंटीना और नाइजीरिया जैसे देशों का ध्यान आकर्षित किया है।
भारत के किन हथियारों की सबसे ज्यादा मांग – मेजर जनरल शशि भूषण अस्थाना ने बताया कि इसके अलावा, पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर एक और हथियार है जिसे अंतरराष्ट्रीय हथियार बाजार में खरीदार मिल गए हैं। इससे पहले, भारतीय रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने सैन्य हार्डवेयर के नामों का खुलासा किया था, जिसमें कहा गया था कि भारत ने पिछले साल 85 देशों को निर्यात किया था। निर्यात किए जाने वाले प्रमुख प्लेटफार्मों में डोर्नियर-228, 155 मिमी एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन, ब्रह्मोस मिसाइल, आकाश मिसाइल सिस्टम, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड वाहन, बख्तरबंद वाहन, पिनाका रॉकेट और लॉन्चर, गोला-बारूद, थर्मल इमेजर्स, बॉडी आर्मर, सिस्टम के अलावा शामिल हैं।
भारत ने 2024 के लिए बनाया खास लक्ष्य – भारत ने 2024 में 20,000 करोड़ रुपये (2.4 बिलियन डॉलर) मूल्य की सैन्य वस्तुओं के निर्यात का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। भारत के रक्षा सचिव गिरिधर अरमाने ने गुरुवार को कहा, “मुझे उम्मीद है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो हम इस साल 20,000 करोड़ रुपये ($2.4 बिलियन) का निर्धारित लक्ष्य हासिल कर लेंगे। जैसा कि आप समझते हैं कि हम संघर्ष क्षेत्रों में आपूर्ति नहीं करते हैं। इसलिए अब तक 20,000 एक उचित लक्ष्य लगता है।” अगर यह हासिल हुआ तो यह पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में भारत के रक्षा उत्पादों के निर्यात में काफी उछाल होगा।
भारत का रक्षा निर्यात बढ़ने का कारण क्या है – देश के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का रक्षा निर्यात बढ़कर 1.95 बिलियन डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था। इसे देखते हुए मेजर जनरल अस्थाना ने कहा कि कीमते सही होने, भारत के सैन्य हार्डवेयर की विश्व स्तरीय गुणवत्ता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के प्रति पश्चिम की नापसंदगी भारत से रक्षा उत्पादों की खरीद की दौड़ के पीछे मुख्य कारण हैं। भारतीय सैन्य हार्डवेयर अलग-अलग देशों की सेनाओं के साथ आसानी से तालमेल बैठाने वाले हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत अपने हथियारों को ऐसे बनाता है कि उसका इस्तेमाल रेगिस्तानों, ग्लेशियरों और पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से किया जा सके।