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इस एक चीज के लिए किसी भी रिश्ते को छोड़ देना है समझदारी की निशानी, गीता का ये उपदेश बदल देगा जिंदगी


श्रीमद भगवद गीता एक पवित्र हिंदू ग्रंथ है, जिसे अब तक का महान दर्शनशास्त्र भी माना है। मान्यता यह है कि इसमें श्री कृष्ण के सारे ज्ञान और उपदेश शामिल है, जो उन्होंने महाभारत की रणभूमि में पांडव पुत्र अर्जुन को दिया था। गीता में 18 अध्याय है, जिसमें 700 संस्कृत श्लोक है। यदि इसे समझ लिया जाए तो मन और रण दोनों जगह के युद्ध को जीता जा सकता है। क्योंकि इसमें आध्यात्मिक, व्यवहारिक और कर्म के बारे में बहुत बारीकी से बताया गया है।
ऐसे में यदि आप अपने रिलेशनशिप में किसी तरह की परेशानी का सामना कर रहे हैं, तो इसकी मदद से आप अपने रिश्ते के भविष्य को बदल सकते हैं। गीता का एक ऐसा ही उपदेश यहां हम आपको बता रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप खुद को एक टॉक्सिक रिलेशन में आने से बचा सकते हैं।
गीता में रिश्ते के बारे में क्या कहा गया – श्री कृष्ण कहते हैं, कि जब कोई समझदार इंसान अपने सबसे प्रिय व्यक्ति और करीबी रिश्ते को भी छोड़ने के लिए तैयार हो जाए, तो समझ जाना चाहिए उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची है।
क्या होता है आत्मसम्मान – आत्म सम्मान किसी व्यक्ति का खुद के प्रति, अपने चरित्र और आचरण के प्रति किया जाने वाला सम्मान है, इसे स्वाभिमान भी कहा जाता है। इसलिए इसमें अभिमान का भी थोड़ा अंश होता है, जिसके कारण इन दोनों के बीच में बहुत बारीक सी लाइन होती है।
आसान भाषा में अभिमान घमंड के साथ-साथ चलता है। वहीं, आत्मसम्मान नैतिकता के साथ चलता है, भले ही इसके कारण कितनी ही बड़ी हानि क्यों न हो जाए।
क्यों जरूरी है आत्मसम्मान – आत्मसम्मान का बोध होना हर एक व्यक्ति के लिए जरूरी है। तभी आप दूसरों को इसे ठेस पहुंचाने से रोक सकते हैं। जब आप खुद इसे समझने की कोशिश नहीं करते हैं, तो आप दूसरों को अपने साथ अनादर करने की छूट दे देते हैं।
इतना ही नहीं इसके अभाव में आप रिलेशनशिप के रेड फ्लैग को भी नहीं समझ पाते और जरूरत से ज्यादा समझौता करते रहते हैं, अपनों से चोट खाते हैं।
क्या रिश्ते में स्वाभिमान खोना सही? – किसी भी रिश्ते में प्यार और समझदारी के साथ स्वाभिमान का होना भी जरूरी होता है। किसी दूसरे व्यक्ति के लिए इसे भूलाना कहीं न कहीं अपने अंदर के परमात्मा का निरादर करने जैसा है।
एक रिश्ते में आत्म-सम्मान आपको एक बेहतर इंसान और बेहतर साथी बनाता है। अगर किसी रिश्ते में आपका स्वाभिमान है, तो आपको विश्वास होगा कि आप एक योग्य व्यक्ति हैं। और जब आप योग्य महसूस करते हैं, तो आप विश्वास होता है कि आप प्यार और सम्मान के योग्य हैं, न सिर्फ खुद से बल्कि हर किसी से।