
लेबनान की राजधानी बेरूत में बुए धमके के बाद अब जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर आता दिखाई दे रहा है। इस बीच लेबनान में राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो गई हैं। हसन दियाब की अगुवाई वाले पिछले कैबिनेट के इस्तीफे के बाद अब जर्मनी में लेबनान के राजदूत मुस्तफा अदीब को नया प्रधानमंत्री नामित किया गया है। अदीब को 128 संसदीय वोटों में से 90 वोट हासिल हुए हैं।
अदीब ने राष्ट्रपति से की मुलाकात
अदीब ने कहा कि यह लेबनान में उम्मीद को फिर से जगाने के लिए काम करने और सभी दलों को मिलकर देश के लिए सहयोग करने का समय है। अदीब ने बाबडा पैलेस में राष्ट्रपति मिशेल आउन के साथ मुलाकात भी की। जिसके बाद उन्होंने कहा कि लेबनानी लोग वर्तमान और भविष्य के बारे में चिंतित हैं। हमें आशा है कि हम देश में समृद्धि को फिर से लाने के लिए देश को सही रास्ते पर लाकर तेजी से सुधारों को लागू करने के लिए पेशेवर लोगों के साथ एक सरकार का गठन कर सकेंगे।
11 अगस्त को दियाब कैबिनेट ने दिया था इस्तीफा
जनवरी में प्रधानमंत्री नियुक्त किए गए दियाब पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद 11 अगस्त को कैबिनेट के इस्तीफे की घोषणा की। राष्ट्रपति मिशेल आउन ने नई कैबिनेट के गठन तक दियाब की सरकार को एक कार्यवाहक के रूप में काम करते रहने के लिए कहा था। बंदरगाह पर असुरक्षित रूप से संग्रहित 2,750 टन अमोनियम नाइट्रेट के कारण हुए विस्फोटों में 190 लोगों को जान गंवानी पड़ी जबकि 6,500 से अधिक घायल हुए।
‘डायनामाइट’ के नाम से चर्चित डेनिलो कोप्पे ने कहा कि 4 अगस्त को हुए इस विस्फोट की वजह अमोनियम नाइट्रेट नहीं था। उन्होंने कहा कि विस्फोट के बाद निकले धुएं का रंग नारंगी था जो अमोनियम नाइट्रेट की वजह से नहीं होता है। इस भीषण विस्फोट में 160 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 6 हजार लोग घायल हो गए थे। ब्लास्ट की वजह से 3 लाख घर तबाह हो गए हैं। हालत यह है कि लेबनान की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा है। जांच में यह बात सामने आ रही है कि कई साल से वह विस्फोटक केमिकल, अमोनियम नाइट्रेट, बंदरगाह पर पड़ा था और कई चेतावनी जारी किए जाने के बावजूद इसकी अनदेखी की गई।
कोप्पे ने कहा कि जब अमोनियम नाइट्रेट जलता है तो इससे बहुत बड़े पैमाने पर पीला धुआं उठता है। हालांकि बेरूत से आए वीडियो में साफ-साफ देखा जा सकता है कि विस्फोट के बाद नारंगी रंग का धुआं उठ रहा है। उन्होंने कहा कि किसी ने निश्चित रूप से विस्फोट के लिए उत्प्रेरक का काम किया नहीं तो सभी विस्फोट एक साथ नहीं होते। धुएं का रंग देखकर लगता है कि इसमें लिथियम का इस्तेमाल किया गया है। लिथियम का इस्तेमाल सेना की मिसाइलों में किया जाता है। मुझे लग रहा है कि वहां पर सेना के लिए हथियार रखे हुए थे।
डायनामाइट ने कहा कि मुझे लगता है कि पहले भीषण विस्फोट हुआ और उसके बाद आग लगी जो सेना के विस्फोटकों के स्टोर तक पहुंच गई। इसके बाद आग और भड़क गई और सेना की मिसाइलों या रॉकेट तक पहुंच गई। माना जा रहा है कि यह विस्फोट क्षमता में हिरोशिमा में हुए परमाणु बम विस्फोट के पांचवें हिस्से के बराबर था। इस विस्फोट के बाद भूकंप भी आ गया था। कोप्पे का यह दावा ऐसे समय पर आया है जब लेबनान के अधिकारी नबीह बेरी के निजी बॉडीगार्ड प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग करते हुए देखे गए हैं। इससे देश में क्रांति का खतरा मंडराने लगा है।
बेरी संसद में शिया गुटों के सबसे बड़े नेता हैं और उन्हें ईरान समर्थित हिज्बुल्ला का समर्थन हासिल है। इससे पहले ईरान ने सभी देशों का आह्वान किया था कि वे इस भीषण विस्फोट का राजनीतिकरण न करें। ईरान ने अमेरिका से अपील की थी कि वह लेबनान पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटा ले। ईरान ने यह भी कहा कि ब्लास्ट के कारणों की सतर्कतापूर्वक जांच की जानी चाहिए। उधर, लेबनान के प्रधानमंत्री हसन दिआब ने प्रदर्शनों के बाद सरकार के इस्तीफे का ऐलान किया है। प्रत्यक्षदर्शियों ने यहां तक कहा है कि ऐसा लगा मानो कोई परमाणु हमला हुआ हो। वैज्ञानिकों ने भी कहा कि 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट विस्फोटक से यह ब्लास्ट हुआ है। यह इतना शक्तिशाली था कि साइप्रस तक सुने गए ब्लास्ट का धुआं सवेरे तक बंदरगाह से निकलता रहा। बेरूत के गवर्नर ने भी हादसे की तुलना हिरोशिमा-नागासाकी बम धमाके से की है।
अमोनियम नाइट्रेट में धमाके की वजह का पता नहीं
बेरूत धमाके में छह हजार से अधिक लोग घायल हुए थे। हालांकि, अभी तक स्पष्ट नहीं है कि बेरूत के बंदरगाह में रखे तीन हजार टन अमोनियम नाइट्रेट में धमाके की वजह क्या थी, लेकिन सामने आए दस्तावेजों से पता चलता है कि नेताओं और सुरक्षा अधिकारियों को धमाके से पहले ही वहां पर भारी मात्रा में विस्फोटक जमा होने की जानकारी थी।
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