लंदन। यूनाइटेड स्प्रिट्सि लिमिटेड की ओर से पूर्व प्रवर्तकों द्वारा 1225 करोड़ रुपए के धन की हेरीफेरी का आरोप लगाए जाने के एक दिन बाद उद्योगपति विजय माल्या ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि सभी सौदे विधिसम्मत व साफ थे और कंपनी अब अनावश्यक आरोप लगा रही है। उन्होंने कहा कि डियाजियो ने शेयर खरीदने से पहले देनदारियों व संपत्तियों का विस्तृत अध्ययन किया था और अब इस तरह के आरोप लगाना दुर्भाग्यपूर्ण तथा हैरानी भरा हैं।
गौरतलब है कि माल्या की अगुवाई वाले यूबी समूह ने यूएसएल में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी 2013 में डियाजियो को बेची थी। माल्या ने अपने जनसंपर्क अधिकारी के जरिए ईमेल से भेजे गए बयान में कहा है, मुझे आडिट फर्म ई-वाई द्वारा कथित जांच व आरोपों की कोई जानकारी नहीं है। हैरानी है कि न तो यूएसएल और न ही ई-वाई ने मुझे आरोपों का ब्यौरा दिया न ही प्रतिक्रिया का अवसर।
सेबी ने धन की हेराफेरी मामले में माल्या के खिलाफ जांच तेज की
बाजार नियामक सेबी ने उद्योगपति विजय माल्या की पूर्व सूचीबद्ध समूह कंपनियों से अन्य इकाइयों को धन के कथित हेरफेर मामले में अपनी जांच तेज की है। इसके साथ ही सेबी इस मामले को आगे कार्रवाई के लिए गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय जैसी अन्य एजेंसियों भी भेज रहा है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमने यूनाइटेड स्प्रिट द्वारा ताजे खुलासे को देखा है। हमने प्रतिभूति बाजार निमयों के संदिग्ध उल्लंघन की पड़ताल शुरू की है। अधिकारी ने कहा कि माल्या के करीबी तथा विभिन्न सूचीबद्ध समूह कंपनियों में वरिष्ठ पदों पर आसीन रहे अधिकारी जांच के घेरे में हैं। इसके साथ ही समूह की कुछ कंपनियों के पूर्व ऑडिटर भी हैं। अधिकारी कहा कि समूह की कुछ कंपनियों द्वारा सूचीबद्धता समझौते के उल्लंघन के लिए कार्रवाई पहले ही चल रही है। अधिकारी ने कहा कि धन की हेरफेर के मामले की जांच पड़ताल एसएफआईओ द्वारा भी किए जाने की जरूरत है। इसके साथ ही प्रवर्तन निदेशालय भी परिदृश्य में आया है क्योंकि ऐसा संदेह है कि धन का हेरफेर विदेश स्थित इकाइयों को किया गया। अधिकारी ने कहा कि इस बारे में ब्रिटेन व अमेरिका स्थित विदेशी नियामकों से भी मदद मांगी जाएगी जहां माल्या की विदेशी ब्रेवरी फर्म व अन्य उपक्रम हैं।