
पाकिस्तान के तेज-तर्रार मौलवी तथा नेता मौलाना फजलुर रहमान को विपक्ष के नवगठित गठबंधन ‘पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट’(पीडीएम) के पहले अध्यक्ष के रूप में सर्वसम्मति से नियुक्त किया गया है। मीडिया की एक रिपोर्ट में रविवार को यह जानकारी दी गई है।
विपक्षी पार्टियों की एक ऑनलाइन बैठक के दौरान शनिवार को यह निर्णय लिया गया। इस बैठक में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी, बीएनपी प्रमुख सरदार अख्तर मेंगल सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया।
‘डॉन’ समाचार पत्र की खबर के अनुसार पीडीएम की संचालन समिति के संयोजक एहसान इकबाल और पूर्व प्रधानमंत्री शरीफ ने गठबंधन के अध्यक्ष के रूप में रहमान के नाम का प्रस्ताव दिया और पीपीपी अध्यक्ष बिलावल और अन्य ने इसका समर्थन किया।
खबर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि शरीफ ने शुरू में प्रस्ताव दिया था कि रहमान को स्थायी आधार पर अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए लेकिन बिलावल और अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के नेता अमीर हैदर होती ने इस विचार का विरोध किया और सुझाव दिया कि अध्यक्ष पद घटक दलों के नेताओं को बारी-बारी से दिया जाना चाहिए।
खबर के अनुसार, नेताओं के बीच एक समझौता हुआ कि रहमान को पहले चरण में पीडीएम का नेतृत्व करना चाहिए क्योंकि उन्होंने पहले ही पिछले साल पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी नीत सरकार के खिलाफ आजादी मार्च का नेतृत्व किया था। ज्यादातर प्रतिभागियों की राय थी कि निरंतरता बनाए रखने के लिए, यह आवश्यक है कि पीडीएम अध्यक्ष सहित प्रमुख पदाधिकारियों का कार्यकाल चार से छह महीने से अधिक न हो।
इकबाल ने कहा कि यह फैसला लिया गया कि 11 दलों के गठबंधन में तीन मुख्य पार्टियां बारी-बारी से पीडीएम के तीन शीर्ष पदों को साझा करेगी। पीडीएम के उपाध्यक्ष और महासचिव पद क्रमश: पीएमएल-एन और पीपीपी को दिये जायेंगे।
उन्होंने कहा कि विपक्ष ने संविधान के सर्वोपरि होने, लोकतंत्र, स्वतंत्र न्यायपालिका और पाकिस्तानियों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है।
देश की 11 विपक्षी पार्टियों ने 20 सितम्बर को पीडीएम के गठन की घोषणा की थी।
रहमान की नियुक्ति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने कहा कि यह पाकिस्तान के लिए एक दुखद दिन है कि विपक्षी आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए आतंकवादी समूहों के साथ एक ‘‘चरमपंथी मुल्ला’’ को चुना जाता है।
चौधरी ने ट्वीट किया, ‘‘पाकिस्तान के लिए दुखद दिन है कि अफगानिस्तान के आतंकवादी समूहों के करीबी माने जाने वाले एक चरमपंथी मुल्ला को सरकार के खिलाफ विपक्षी आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के लोगों ने कभी भी चरमपंथियों को राजनीति या मुख्यधारा की राजनीति करने की अनुमति नहीं दी है।
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