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अमेरिकी संसद में हिंसा के बाद पहली बार डोनाल्‍ड ट्रंप से मिले माइक पेंस, तोड़ेंगे दोस्‍ती?

अमेरिकी संसद कैपिटल ह‍िल में ट्रंप समर्थकों की हिंसा के बाद पहली बार अमेरिका के उपराष्‍ट्रपति माइक पेंस ने राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप से मुलाकात की है। ट्रंप प्रशासन के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच ‘अच्‍छी बातचीत’ हुई है। यह बातचीत ऐसे समय पर हुई जब अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से माइक पेंस और ट्रंप के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने पेंस से मांग की है कि वह ट्रंप को हटाने के लिए प्रक्रिया शुरू करें।
इस मुलाकात के बाद वाइट हाउस ने घोषणा की कि राष्‍ट्रपति ने वाशिंगटन डीसी में 11 जनवरी से 24 जनवरी के बीच आपातकाल की घोषणा की है। इस तरह से जो बाइडन के राष्‍ट्रपति बनने के 4 दिन बाद भी आपातकाल लगा रहेगा। बताया जा रहा है कि ट्रंप और पेंस के बीच में आने वाले सप्‍ताह के अंदर लागू की जाने वाली योजनाओं और 4 साल के कार्यकाल की उप‍लब्धियों पर चर्चा की गई। वाइट हाउस के अधिकारी ने कहा कि दोनों नेताओं का मानना था कि जिन लोगों ने पिछले सप्‍ताह कानून को तोड़ा वे अमेरिका फर्स्‍ट आंदोलन का प्रतिनिधित्‍व नहीं करते हैं।
माइक पेंस के संविधान के खिलाफ नहीं जाने पर ट्रंप नाराज : इससे पहले ट्रंप समर्थकों ने संसद पर धावा बोला था और अंदर घुसकर तोड़फोड़ की थी। इस दौरान माइक पेंस संसद के अंदर मौजूद थे। ट्रंप को पिछले साल नवंबर महीने में हुए राष्‍ट्रपति चुनाव के नतीजों को पलटने के लिए माइक पेंस आखिरी उम्‍मीद थे। ट्रंप कथित रूप से माइक पेंस के संविधान के खिलाफ नहीं जाने पर नाराज हो गए थे। ट्रंप ने ट्वीट करके अपनी नाराजगी को खुलेआम जाहिर भी कर दिया था। यही नहीं संसद में हिंसा के दौरान ट्रंप के कुछ समर्थकों ने माइक पेंस को फांसी देने तक की मांग कर डाली थी।
इस हिंसा की दुनियाभर के नेताओं ने निंदा की है और इसकी वजह से देश में पैदा हुए हालात पर दुख जताया है। अलग-अलग देशों के नेताओं ने शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरण की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, ‘महासचिव वॉशिंगटन डीसी के यूएस कैपिटल में हुई घटनाओं से दुखी हैं। ऐसी स्थिति में, यह महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक नेता अपने समर्थकों को हिंसा से दूर रहने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया और कानून के शासन में विश्वास करने के लिए राजी करें।’
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेंसिंडा आर्डन ने एक बयान में कहा, ‘जो हो रहा है, वह गलत है।’ उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में लोगों के पास मतदान करने का, अपनी बात रखने और फिर उस फैसले को शांतिपूर्ण तरीके से मनवाने का अधिकार होता है। इसे भीड़ को उलटना नहीं चाहिए।’ ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने ट्वीट किया, ‘अमेरिकी संसद परिसर में अशोभनीय दृश्य देखने को मिले। अमेरिका विश्व भर में लोकतंत्र के लिए खड़ा रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि सत्ता हस्तांतरण शांतिपूर्ण और तय प्रक्रिया के तहत उचित तरीके से हो।’
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने अमेरिका में हिंसा की घटनाओं को दुखद बताया है। उन्होंने कहा, ‘वॉशिंगटन में हंगामे और प्रदर्शन की घटनाएं व्यथित करने वाली हैं। ये चिंताजनक है।’ अमेरिका में चीनी दूतावास ने भी अपने नागरिकों को हालात से सावधान किया है। चीन ने अमेरिका में अपने नागरिकों से सतर्क रहने को कहा है। जर्मनी के विदेश मंत्री हीको मास ने ट्विटर पर लिखा, ‘ट्रंप और उनके समर्थकों को अमेरिकी मतदाताओं का फैसला स्वीकार कर लेना चाहिए और लोकतंत्र पर हमला बंद करना चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘भड़काऊ बयानों से हिंसक कार्रवाइयां होती हैं। लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति तिरस्कार का खतरनाक परिणाम होता है।’
नाइजीरिया के राष्ट्रपति के निजी सहायक बशीर अहमद ने ट्वीट किया, ‘लोकतंत्र की खूबसूरती?’ नाइजीरिया में आजादी के बाद कई बार तख्तापलट हो चुके हैं। वहां कई दशक बाद लोकतांत्रित तरीके से मुहम्मदू बुहारी के नेतृत्व में सरकार बनी है। चिली के राष्ट्रपति सेबेस्टियन पिनेरा और कोलंबिया के राष्ट्रपति इवान ड्यूक उन लातीन अमेरिकी देशों के नेताओं में शामिल हैं जिन्होंने प्रदर्शनकारियों की निंदा की। दोनों नेताओं ने भरोसा जताया कि अमेरिका में लोकतंत्र और कानून का शासन कायम रहेगा।

इटली में भी लोगों ने हिंसा की घटना पर हैरानी जताई और कहा कि अमेरिका को हमेशा लोकतांत्रिक देश के मॉडल के तौर पर देखा जाता है। इटली के वामपंथी नेता (सेवानिवृत्त) पीरलुजी कास्ताजनेती ने ट्वीट किया, ‘यह ‘ट्रंपवाद’ का नतीजा है।’ स्वीडन के पूर्व प्रधानमंत्री ने ट्वीट किया, ‘यह देशद्रोह है।’ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि उनका देश अमेरिका में कैपिटल परिसर में हुई हिंसा की घटना से ‘बहुत क्षुब्ध’ है। कनाडा अमेरिका का करीबी सहयोगी देश रहा है। यूरोपीय संसद के अध्यक्ष डेविड ससोली ने भी अमेरिका में हिंसा की घटना की निंदा की है।

इस हिंसा के बाद से डेमोक्रेट‍िक पार्टी के नेता माइक पेंस से संव‍िधान के 25वें संशोधन को लागू करने तथा ट्रंप को राष्‍ट्रपति कार्यालय के लिए अनफिट घोष‍ित करने की मांग कर रहे हैं। हालांकि पेंस बार-बार इस मांग को खारिज कर रहे हैं। चार साल तक साथ रहने के बाद संसद में हिंसा को लेकर माइक पेंस और ट्रंप के बीच बातचीत बंद थी, जो अब फिर से शुरू हुई है। वॉशिंगटन पोस्‍ट अखबार के मुताबिक माइक पेंस और डोनाल्‍ड ट्रंप के बीच यह विवाद काफी बढ़ गया था।
कैपिटल हिल हिस्टॉरिकल सोसायटी के डायरेक्टर ऑफ स्कॉलशिप ऐंड ऑपरेशन्स सैम्युअल हॉलिडे ने CNN को बताया है कि 1812 के युद्ध के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि कैपिटल में इस तरह दाखिल हुआ गया है। तब अगस्त 1814 में अंग्रेजों ने इमारत पर हमला कर दिया था और आग लगा दी थी। 1954 में हाउस चेंबर में तीन पुरुष और एक महिला विजिटर गैलरी में हथियारों के साथ जाकर बैठ गए थे। प्योर्टो रीकन नैशनलिस्ट पार्टी के ये सदस्य देश की आजादी की मांग कर रहे थे। उन्होंने 1 मार्च, 1954 की दोपहर को सदन में ओपन फायरंग कर दी और प्योर्टो रीको का झंडा लहरा दिया। इस घटना में कांग्रेस के पांच सदस्य घायल हुए थे। (तस्वीर: Collection of the U.S. House of Representatives)

दो अन्य पुरुषों के साथ महिला आरोपी लॉलिटा लेब्रॉन को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था जबकि एक शख्स भागने में कामयाब रहा। हालांकि, उसे भी बाद में गिरफ्तार कर लिया गया। कहा जाता है कि इस समूह का नेतृत्व लेब्रॉन ही कर रही थीं। ‘फ्री प्योर्टो रीको’ चिल्लाते हुए ये लोग गैलरी में दाखिल हुए थे। लेब्रॉन को 56 साल जेल की सजा दी गई थी जिसमें से 25 साल उन्होंने जेल में बिताए। उनका निधान 1 अगस्त, 2010 को 90 साल की उम्र में हो गया था।

देश के साथ पूरी दुनिया को हिलाकर रख देने वाली इस घटना के बाद रिपब्लिकन पार्टी के ही नेता 20 जनवरी से पहले डोनाल्ड ट्रंप को पद से हटाने की मांग करने लगे हैं। इस दिन बाइडेन के पदभार संभालने के लिए इनॉगरेशन समारोह आयोजित किया जाना है। नेताओं ने महाभियोग लगाकर ट्रंप को हटाने की मांग की है। एक पूर्व सीनियर अधिकारी ने कहा है कि राष्ट्रपति ने ऐसा काम किया है कि भले ही उनके कार्यकाल के सिर्फ कुछ ही दिन बाकी हों, उन्हें हटा देना चाहिए। उनका कहना है कि यह हमला पूरी व्यवस्था के लिए एक झटका है।

सदन के कुछ सदस्यों का कहना है महाभियोग की तैयारी भी शुरू कर दी गई है। हालांकि, ट्रंप को हटाने के लिए पर्याप्त सदस्यों की संख्या है या नहीं, यह अभी साफ नहीं है। CNN के मुताबिक ट्रंप पर महाभियोग लगाने और उन्हें पद से हटाने के बाद, सीनेट उन्हें भविष्य में फेडरल ऑफिस में लौटने से रोक सकती है। सीनेट के वोट से उन्हें हमेशा के लिए डिसक्वॉलिफाई कर दिया जाएगा। देश के संविधान के 25वें संशोधन के तहत उपराष्ट्रपति माइक पेंस और कैबिनेट के बहुमत को ट्रंप को पद से हटाने के लिए वोट करना होगा। ‘अपने पद पर ताकतों और कर्तव्यों का’ पालन करने में अस्थिरता का हवाला देते हुए ऐसा करना अपने आप में एक बड़ा कदम होगा।

 

बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह में जाएंगे माइक पेंस : ट्रंप के तमाम बयानों के बाद भी माइक पेंस ने एक सच्‍चे सिपाही की तरह से अपने राष्‍ट्रपति के खिलाफ कुछ नहीं कहा था जबकि उनके सलाहकारों ने उन्‍हें ऐसा करने के लिए कहा था। माइक पेंस ने घोषणा की है कि वह जो बाइडन के शपथ ग्रहण समारोह में जाएंगे। उधर, डोनाल्‍ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वह इस समारोह से दूर रहेंगे। पेंस के सहयोगी इस बात से नाराज हैं कि जब ट्रंप समर्थकों से अपनी जान बचाने के लिए माइक पेंस बंकर में जा छिपे तब उस समय ट्रंप ने उन्‍हें फोन तक नहीं किया था।