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भारत के ड्रीम प्रॉजेक्‍ट के लिए बड़ा खतरा है ईरान और इजरायल में मिसाइल युद्ध, विशेषज्ञ से समझें तनाव का असर


इजरायल में ईरान के मिसाइल हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल है। इजरायल ने भी इस हमले का जवाब देने की बात कही है। दोनों देशों में बढ़ते तनाव पर भारत के राजदूत रहे वरिष्ठ राजनयिक अरुण के. सिंह का कहना है कि इसका असर भारत पर भी होगा। सिंह का कहना है कि ईरान और इजरायल दोनों ही भारत के साझीदार हैं। ऐसे में दोनों देशों के बीच संघर्ष का असर नई दिल्ली की ओर से चलाई जा रहीं कुछ पहलों पर भी पड़ सकता है। खासतौर से भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) इससे प्रभावित हो सकता है। पिछले साल जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान इस गलियारे का ऐलान किया गया था। ये भारत को खाड़ी और फिर यूरोप से जोड़ने वाला गलियारा है। आईएमईसी कॉरिडोर का उद्देश्य एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व के एकीकरण में कई हितधारकों को शामिल करना है और वर्तमान में यह शुरुआती चरण में है।
अनुभवी राजनयिक अरुण के. सिंह ने एबीपी के साथ इंटरव्यू में इस संघर्ष पर बात की है। उन्होंने कहा कि इजराइल और हमास के बीच चल रहे जंग में अब ईरान भी शामिल हो गया है। लेबनान से भी हिज्बुल्ला के लड़ाके इजरायल की धरती पर अटैक कर रहे हैं। इससे भारत-इजरायल-यूएई-यूएस (I2U2) निर्माण में भी बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है। भारतीय नेतृत्व को पश्चिम एशियाई क्षेत्र में अपने प्रभाव की सीमा को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा। सिंह ने ये भी कहा कि सऊदी अरब और इजरायल के बीच रिश्ते सामान्य होने की जो उम्मीद की जा रही थी, वह प्रक्रिया भी निश्चित रूप से फिलहाल बाधित हो गई है।
भारत को करनी होगी सभी पक्षों से बात – कार्नेगी में वरिष्ठ फेलो अरुण सिंह का कहना है कि अगर इजरायल-हमास युद्ध से बाहर निकलने का रास्ता टू स्टेट समाधान है। सऊदी अरब और इजरायल के बीच मेल-मिलाप भी उसी पर निर्भर है। आईएमईसी प्रोजेक्ट भी इससे रफ्तार पकड़ सकता है। सिंह के अनुसार, तेहरान और तेल अवीव के बीच बढ़ते तनाव के परिणामस्वरूप ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार के मामले में भारत के महत्वपूर्ण हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। उन्होंने कहा, ‘भारत को यह संकेत देना होगा कि उसके हित इसमें शामिल हैं और जो कुछ भी हो रहा है उससे वह गहराई से चिंतित है। मैं अनुमान लगा सकता हूं कि निश्चित रूप से भारतीय नेतृत्व ईरान, इजरायल, खाड़ी देशों, अमेरिका और अन्य देशों में अपने समकक्षों के साथ बातचीत करेगा।
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भारत ने ईरान के हमले के बाद तनाव कम करने, संयम बरतने और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया। इस पर सिंह ने कहा, ‘भारत को खाड़ी देशों में अपने प्रभाव की सीमा को समझना होगा। भारत को आगे बढ़ना चाहिए और देखना चाहिए कि कैसे यह तनाव कम करने में योगदान दे सकता है क्योंकि हर देश इस आधार पर काम करेगा कि वे अपने हितों को कैसे समझते हैं।