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Moderna की कोरोना वायरस वैक्‍सीन लगवाई, अमेर‍िकी डॉक्‍टर को गंभीर रिएक्‍शन


अमेरिका के बोस्‍टन शहर में कैंसर के डॉक्‍टर हुसैन सद्रजादेह दुनिया के पहले ऐसे शख्‍स बन गए हैं जो मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्‍सीन लगवाने के बाद गंभीर रिएक्‍शन के शिकार हो गए हैं। डॉक्‍टर हुसैन को एलर्जी थी और वैक्‍सीन लगवाने के बाद उनके शरीर में गंभीर रिएक्‍शन हुआ है। अभी केवल 5 दिन पहले ही अमेरिका में मॉडर्ना की कोरोना वायरस वैक्‍सीन को मंजूरी मिली है।
बोस्‍टन मेडिकल सेंटर में कैंसर के डॉक्‍टर हुसैन ने क्रिसमस की पूर्व संध्‍या पर कोरोना वैक्‍सीन लगवाया था और इसके बाद उन्‍हें चक्‍कर आने लगा तथा उनकी धड़कनें भी बढ़ गईं। मॉडर्ना की वैक्‍सीन को अनुमति देने के बाद रिएक्‍शन का यह पहला मामला है। उधर, अमेरिका की संघीय एजेंसियां कम से कम 6 मामलों की जांच कर रही हैं जिन्‍हें फाइजर की कोरोना वायरस वैक्‍सीन देने के बाद रिएक्‍शन हुआ था।
‘वैक्‍सीन लगने के बाद जीभ सुन्‍न हो गई’
डॉक्‍टर हुसैन ने यह भी बताया कि वैक्‍सीन लगने के बाद उन्‍हें जीभ में सुन्‍न हो जाने और कठोर होने का अहसास हुआ जबक‍ि उनका ब्‍लड प्रेसर भी काफी गिर गया। उन्‍होंने कहा, ‘यह हाइपर सेंसिटिविटी से जुड़ा रिएक्‍शन था जिसका अहसास मुझे शेलफ‍िश खाने के समय भी हुआ था। मैं नहीं चाहता हूं कि कोई भी व्‍यक्ति इस तरह के संकट का सामना करे।’ डॉक्‍टर हुसैन को तत्‍काल EpiPen दवा दी गई और उन्‍हें आपातकालीन कमरे में ले जाया गया। कुछ घंटे बाद उन्‍हें डिस्‍चार्ज कर दिया गया।
उन्‍होंने कहा कि एक इंसान और एक डॉक्‍टर होने के नाते मेरी मुख्‍य चिंता यह है कि मुझे यह लोगों को बताना होगा…अगर किसी व्‍यक्ति को एलर्जी रिएक्‍शन होता है तो उसे अपने साथ EpiPen दवा रखनी चाहिए। बता दें कि अमेर‍िकी बायोटेक कंपनी मॉडर्ना ने दावा किया है कि उसे उम्मीद है उसकी वैक्सीन कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन पर भी काम करेगी। कंपनी ने कहा कि वह किसी भी स्ट्रेन के खिलाफ अपनी वैक्सीन के असर की पुष्टि करने के लिए टेस्टिंग करने की योजना बना रही है। मॉडर्ना का यह बयान ऐसे समय में आया है जब ब्रिटिश सरकार कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन की वजह से कड़े प्रतिबंधों को लागू करने की योजना बना रही है।

एफडीए की समीक्षा में भी यह पुष्टि हुई है कि 30,000 लोगों पर क्लिनिकल ट्रायल के दौरान इस वैक्सीन ने 94.1 फीसदी प्रभाव दिखाया। हालांकि इस वैक्सीन के लगने के बाद लोगों में बुखार, सिरदर्द और थकान जैसे साइड इफेक्ट देखने को मिले थे, लेकिन वैज्ञानिकों ने इसे खतरनाक नहीं माना है। बता दें कि वैक्सीन को मंजूरी मिलते ही कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित देश अमेरिका में टीकाकरण का काम शुरू किया जाएगा।
मॉडर्ना के सीईओ स्टीफन बैंसेल ने कहा कि अगर प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती है और मंजूरी दी जाती है तो वैक्सीन को 21 दिसंबर तक मॉर्केट में उतार दिया जाएगा। मॉडर्ना ने अपने अप्लीकेशन में सोमवार को घोषित किए गए अपने डेटा को दर्शाया है। जिसमें वैक्सीन के प्रभावी होने का दावा किया गया है। कंपनी ने दावा किया है कि ट्रायल के दौरान सभी आवश्यक वैज्ञानिक मानदंडों को पूरा किया गया है।
फाइजर की तरह मॉडर्ना की वैक्‍सीन को भी बेहद कम तापमान पर स्‍टोर करके रखना पड़ता है। यह mRNA तकनीक पर आधारित वैक्‍सीन है और 94.5% तक असरदार पाई गई है। मॉडर्ना ने अपनी वैक्‍सीन की कीमत 32 से 37 डॉलर प्रति डोज रखने की बात कही है। बड़े ऑर्डर्स पर यह कीमत और नीचे जा सकती है। फिर भी मध्‍य और कम आय वाले देशों के लिए यह वैक्‍सीन अफोर्ड कर पाना बेहद मुश्किल होगा।
वैक्सीन के प्रभावी होने के मॉडर्ना के दावे के बाद उसके शेयर में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है। इस खबर से मॉडर्ना के शेयरों में करीब 7 फीसदी की उछाल आई थी। कंपनी के शेयर को लेकर खरीदारों में भी उत्साह देखा जा रहा है।

अमेरिका में सोमवार से फाइजर की कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान शुरू किया गया है। इसे अमेरिकी इतिहास में अबतक का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान बताया जा रहा है। फाइजर-बायोएनटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन की डोज को सबसे पहले अमेरिकी स्वास्थ्यकर्मियों को दी जा रही है। बता दें कि कोरोना वायरस से अमेरिका में अब तक तीन लाख लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमितों के मामले में भी अमेरिका दुनिया में शीर्ष पर काबिज है।

94 फीसदी तक असरदार पाई गई है मॉडर्ना की वैक्सीन : फाइजर की तरह मॉडर्ना की वैक्‍सीन को भी बेहद कम तापमान पर स्‍टोर करके रखना पड़ता है। यह mRNA तकनीक पर आधारित वैक्‍सीन है और 94.5% तक असरदार पाई गई है। मॉडर्ना ने अपनी वैक्‍सीन की कीमत 32 से 37 डॉलर प्रति डोज रखने की बात कही है। बड़े ऑर्डर्स पर यह कीमत और नीचे जा सकती है। फिर भी मध्‍य और कम आय वाले देशों के लिए यह वैक्‍सीन अफोर्ड कर पाना बेहद मुश्किल होगा।