टोक्यो। जापान ने भारत के साथ शुक्रवार को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण प्रयोग में सहयोग के करार पर हस्ताक्षर कर दिए जिसके बाद भारत में जापान से परमाणु बिजली के उत्पादन के लिये आवश्यक ईंधन, उपकरण एवं प्रौद्योगिकी हासिल करने का रास्ता खुल गया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जापानी प्रधानमंत्री ङ्क्षशजो आबे के बीच हुई शिखर बैठक के बाद उनकी मौजूदगी में दोनों देशों के बीच इस ऐतिहासिक करारनामे पर यहां हस्ताक्षर किए गए। इसके अलावा दोनों देशों के बीच अंतरिक्ष समेत विभिन्न क्षेत्रों में नौ अन्य समझौतों पर भी हस्ताक्षर किये गये।
भारत परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के दायरे से बाहर ऐसा पहला देश है जिसके साथ जापान ने असैन्य परमाणु ऊर्जा सहयोग के करार पर हस्ताक्षर किए हैं। इस समझौते से परमाणु विद्युत परियोजनाओं के माध्यम से देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करके भारत को तेज विकास की राह पर ले जाने में मदद मिलेगी।
परमाणु समझौते को लेकर दोनों देशों के बीच लम्बे समय से बातचीत चल रही थी। इस पर जापानी प्रधानमंत्री की पिछले वर्ष दिसम्बर में भारत यात्रा के दौरान सहमति बनी थी लेकिन प्रक्रियात्मक औपचारिकताएं पूरी की जानी थी। हाल ही में इन्हें अंतिम रूप दिया गया था।
एनएसजी पर मिला साथ
इस समझौते से 48 देशों के परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के भारत के प्रयासों को बल मिलेगा। बैठक के बाद मोदी ने जापानी प्रधानमंत्री के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि असैन्य परमाणु समझौता स्वच्छ ऊर्जा में दोनों देशों की भागीदारी विकसित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस करार से भारत को जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी।
ऐतिहासिक कदम
प्रधानमंत्री ने कहा कि परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को लेकर सहयोग के समझौते पर हस्ताक्षर होना, हमारी स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। इस क्षेत्र में हमारा सहयोग जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने में हमारी मदद करेगा। मैं यह भी मानता हूं कि जापान के लिए इस समझौते का विशेष महत्व है।
जापान सरकार और संसद को दिया धन्यवाद
प्रधानमंत्री ने समझौते के लिए जापान के प्रति आभार ज्ञापित करते हुए कहा कि मैं प्रधानमंत्री आबे, जापान सरकार और जापान की संसद का इस समझौते का समर्थन करने के लिए धन्यवाद देता हूं