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ऐस्टरॉइड Bennu से अंतरिक्ष के इतिहास के सबूत लेकर आएगा NASA का OSIRIS-REx स्पेसक्राफ्ट, धरती की ओर चला

धरती की उत्पत्ति कैसे हुई और जीवन कैसे शुरू हुआ, इस तरह के सवालों के जवाब खोजने के लिए OSIRIS-REx स्पेसक्राफ्ट 2018 में ऐस्टरॉइड Bennu पर पहुंचा था। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने कई साल इस ऐस्टरॉइड को स्टडी किया और पिछले साल अक्टूबर में सैंपल भी ले लिया। अब यह स्पेसक्राफ्ट इतिहास रचते हुए धरती पर लौट रहा है। यह दो साल का सफर तय करके धरती पर लौट आएगा।
OSIRIS-REx ऐस्टरॉइड Bennu से निकल चुका है और 7 मिनट में इंजिन फायर करते ही यह 600 मील प्रतिघंटा की रफ्तार से Bennu से निकल गया। इसे धरती पर लौटने में अभी दो साल लगेंगे और 24 सितंबर, 2023 को इसके धरती पर लैंड करने की उम्मीद है। फिलहाल इसे धरती पर सुरक्षित लाने पर वैज्ञानिकों की नजर है। इसे धरती पर लैंड करने के लिए सही ऐंगल पर लाना सबसे अहम होगा।
यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरिजोना की लीड साइंटिस्ट डान्टे लॉरेटा ने इस सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि इस मिशन को पूरा कर लिया गया है। स्पेसक्राफ्ट ने हर वह चीज की जो उसे करनी थी। Osiris-Rex ने Bennu पर टचडाउन की पुष्टि 20 करोड़ मील दूर से की जिसके बाद मिशन टीम खुशी से उछल पड़ी। Osiris-Rex सैंपल के साथ साल 2023 में लौटेगा। Osiris-Rex को पहले ही ग्राउंड कंट्रोल ने कमांड दे दी थीं। इससे उसने करीब 4.5 घंटे में अपनी कक्षा से Bennu की सतह पर पहुंचा। उसके रुकने के लिए 510 मीटर के Bennu में पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण नहीं है। इसलिए उसने पूरी तरह लैंड होने की जगह 3.4 मीटर की रोबॉट आर्म को सतह पर पहुंचाया और कम से कम 60 ग्राम सैंपल इकट्ठा करने की कोशिश की।
OSIRIS-REx दो साल से Bennu के चक्कर काट रहा है और स्पेस रॉक्स के मूवमेंट को ऑब्जर्व कर रहा है। ह Nightingale नाम के क्रेटर पर स्पाइरल करते हुए उतरा जहां इसके उतरने के लिए सिर्फ 8 मीटर चौड़ा एक क्षेत्र था। Nightingale क्रेटर भी सैंपल के लिहाज से बेहद अहम है। यहां महीने धूल, कंकड़-पत्थर हैं जो ज्यादा वक्त के लिए आसपास के पर्यावरण के संपर्क में नहीं आए हैं।
पहले से तय कमांड के मुताबिक कुछ सेकंड में Osiris की आर्म के छूने से क्रेटर की धूल नाइट्रोजन गैस के ब्लास्ट से उड़ेगी और सैंपलिंग हेड में इकट्ठा हो जाएगी। वैज्ञानिकों को कम से कम 60 ग्राम सैंपल चाहिए। अगर यहां इतनी धूल नहीं मिली तो 30 अक्टूबर को फैसला किया जाएगा कि आगे क्या करना है। दूसरी कोशिश बैकअप साइट Osprey पर जनवरी 2021 के बाद ही की जा सकेगी।
इसके लाए सैंपल की मदद से वैज्ञानिक सोलर सिस्टम की शुरुआत के बारे में स्टडी करेंगे। धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ, इसके रहस्य भी ये सैंपल खोल सकते हैं। दरअसल, कई रिसर्चर्स का मानना है कि धरती से ऐस्टरॉइड्स की टक्कर की वजह से ही यहां जीवन पैदा हुआ था। NASA के अधिकारी ऐस्टरॉइड्स को ‘टाइम कैप्सूल’ कहते हैं क्योंकि वह ग्रहों के साथ ही बचे हुए मटीरियल से बने थे।
अगर यह सीधे-सीधे पहुंचा तो कैप्सूल के वायुमंडल से टकराकर जलने की आशंका होगी और अगर कम ऐंगल पर आया तो वायुमंडल से टकराकर वापस अंतरिक्ष में चले जाने का डर होगा। धरती के पास आने पर इसका सैंपल रिटर्न कैप्सूल अलग हो जाएगा जिसमें चट्टान और धूल हैं। यह धरती के वायुमंडल से होते हुए पैराशूट्स के सहारे धरती पर पहुंचेगा।
यही अपने आप में एक बड़ा काम होगा। इसके आसपास छोटी इमारतों जैसे चट्टानी ढांचे हैं। इनके बीच से छोटे से क्षेत्र में स्पेसक्राफ्ट को संभालकर उतारना मुश्किल होगा। खास बात यह है कि OSIRIS-REx को यह काम अपने आप ही करना होगा। दरअसल, जहां वह है, वहां से धरती के बीच सिग्नल आने-जाने में 18 मिनट का गैप होता है। इसलिए रियल-टाइम में उसे ‘पार्क’ करना वैज्ञानिकों के लिए मुमकिन नहीं होगा।
पहले जब धरती पर मौजूद उपकरणों की मदद से Bennu को देखा गया था, तो अंदाजा लगाया गया था कि OSIRIS-REx को लैंड करने के लिए कम से कम 50 मीटर की जगह मिल जाएगी, लेकिन वहां कहीं ज्यादा चट्टानें निकलीं। इसके अलावा Nightingale क्रेटर भी सैंपल के लिहाज से बेहद अहम है। यहां महीने धूल, कंकड़-पत्थर हैं जो ज्यादा वक्त के लिए आसपास के पर्यावरण के संपर्क में नहीं आए हैं।
अगर सबकुछ ठीक रहा तो OSIRIS-REx Bennu से मार्च 2021 को धरती के लिए उड़ान भरेगा और 24 सितंबर, 2023 को यूटा के रेगिस्तान में लैंड करेगा। इसके लाए सैंपल की मदद से वैज्ञानिक सोलर सिस्टम की शुरुआत के बारे में स्टडी करेंगे। धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ, इसके रहस्य भी ये सैंपल खोल सकते हैं। दरअसल, कई रिसर्चर्स का मानना है कि धरती से ऐस्टरॉइड्स की टक्कर की वजह से ही यहां जीवन पैदा हुआ था। NASA के अधिकारी ऐस्टरॉइड्स को ‘टाइम कैप्सूल’ कहते हैं क्योंकि वह ग्रहों के साथ ही बचे हुए मटीरियल से बने थे।
लौटने के बाद कैप्सूल को ह्यूस्टन स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर की फसिलटी में ले जाया जाएगा। यहां सैंपल निकालकर दुनिया की अलग-अलग लैब में भेजा जाएगा जहां वैज्ञानिकों इन पर अनैलेसिस करेंगे। इसकी मदद से सौर मंडल के बनने से लेकर धरती पर जीवन की शुरुआत से जुड़े कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं। NASA ने बताया था कि इसकी वापसी में दो महीने की देरी होगी। यह सितंबर 2023 में लौटेगा।