
नेपाल की सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी में जारी खींचतान को प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अंदरूनी मामला बताया है। राष्ट्र के नाम संबोधन में पीएम ओली ने कहा कि किसी भी पार्टी में चर्चाएं, सलाह और असहमति उसका अंदरूनी मामला है और यह नेताओं के बीच बातचीत से सुलझेगा। इसके लिए धैर्य और संयम रखने की जरूरत है। बता दें कि पार्टी के दूसरे चेयरमैन पुष्प कमल दहल प्रचंड और पीएम ओली में कुर्सी को लेकर जंग जारी है।
ओली और दहल ने मंगलवार को चर्चा में फैसला किया कि बुधवार को स्टैंडिंग कमिटी की बैठक की जाएगी लेकिन बैठक को शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दिया। पार्टी के सूत्र इसे दोनों नेताओं के बीच बातचीत की विफलता के तौर पर देखते हैं। सोमवार को दोनों नेताओं ने एक के बाद एक 6 बैठकें कीं। बावजूद उसके कोई ठोस नतीजा निकलता नहीं दिख रहा है।
फिर से होगी दोनों नेताओं की मुलाकात
दहल के प्रेस कोऑर्डिनेटर बिश्नु सपकोटा ने बताया है कि बुधवार शाम को भी ओली और दहल ने पीएम आवास में दो घंटे की बैठक की लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि दोनों के मतभेद सुलझे नहीं हैं और वे फिर से मिलेंगे। पार्टी प्रवक्ता नारायण काजी श्रेष्ठ ने भी बताया है कि दोनों नेता अपने-अपने रुख पर कायम हैं और बीच का रास्ता नहीं निकला है।
ओली इस्तीफे पर राजी नहीं
दोनों धड़ों के समर्थक भी सड़कों पर हैं जिससे हालात सुधर नहीं रहे। काठमांडू में बुधवार को ओली के समर्थकों ने कई प्रदर्शन किए जिसके बाद पूरे देश में रैलियां होने लगीं। हालात ऐसे हो गए कि सपतरी में दोनों समर्थक दल आमने-सामने आ गए। श्रेष्ठ का कहना है कि पार्टी की टूटना नहीं चाहिए वरना जनता ठगा हुआ महसूस करेगी। यही दलील ओली भी दे रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी उनसे जो कहेगी, वह करेंगे और अपना काम करने का तरीका बदल देंगे लेकिन इस्तीफा नहीं देंगे क्योंकि लोगों के बहुमत से वह पीएम बने हैं और पार्टी की अध्यक्षता भी चुने जाने के बाद मिली है। दूसरी ओर दहल, माधव नेपाल और बामदेव गौतम पार्टी और सरकार में बड़ी भूमिका चाह रहे हैं। उन्हें लगता है कि ओली अपने मन से काम करते हैं और सरकार के फैसलों में पार्टी से राय नहीं करते हैं। उनका कहना है कि नेपाल के लोकतंत्र में सरकार पार्टी चलाती है, एक शख्स नहीं।
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