
नेपाल की ओली सरकार भारत के साथ अपने रिश्तों को और बिगाड़ने की प्लानिंग में जुटी है। कुछ महीने पहले ही नेपाल ने अपने देश का विवादित नक्शा पास किया था। इस नक्शे में भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाल ने अपनी सीमा में दिखाया था। अब नेपाल इन क्षेत्रों में अगले साल मई से जनगणना कराने की प्लानिंग कर रहा है। हालांकि नेपाल की सरकारी एजेंसियों को भारत के विरोध का डर भी सता रहा है।
नेपाली अधिकारियों ने बताया इसे अपने देश का हिस्सा
नेपाल की राष्ट्रीय योजना आयोग और उसके केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अधिकारियों का कहना है कि ये तीनों क्षेत्र उसके देश के अंग हैं। लिहाजा अगले साल होने वाली जनगणना इन क्षेत्रों में भी की जाएगी। उनका यह भी आरोप है कि भारत ने इन तीनों क्षेत्रों पर जबरदस्ती कब्जा किया हुआ है। वहीं, सर्वेक्षण विभाग के कानूनविदों और पूर्व डॉयरेक्टर जनरलों का कहना है कि ऐसा सर्वेक्षण कराना असंभव है, क्योंकि भारत कभी भी उन हिस्सों में नेपाली अधिकारियों को प्रवेश करने की अनुमति नहीं देगा।
नेपाली सरकार ने की जनगणना करवाने की पुष्टि
योजना आयोग के सदस्य मिन बहादुर शाही ने काठमांडू पोस्ट से बातचीत में दावा किया कि हम कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा में निश्चित रूप से जनगणना करेंगे। हम इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि जनगणना का संचालन किस तरह से किया जा सकता है। डोर-टू-डोर गिनती संभव नहीं होने की स्थिति में अधिकारी विकल्पों पर भी चर्चा कर रहे हैं।
नेपाली अधिकारियों को प्रवेश नहीं करने देगा भारत
1991 में जनगणना के दौरान, सर्वेक्षण विभाग के पूर्व महानिदेशक बुद्ध नारायण श्रेष्ठ ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हमारे जनगणना अधिकारी इन तीन गांवों तक पहुंच सकते हैं क्योंकि भारतीय सुरक्षा बल उन्हें कालापानी में प्रवेश करने की अनुमति नहीं देंगे। चूंकि, हमने दारचुला में चारुंग क्षेत्र में एक सीमा चौकी स्थापित की है, इसलिए भारतीय पक्ष नाखुश है, इसलिए मुझे उस क्षेत्र में शारीरिक रूप से जनगणना करने की कोई संभावना नहीं दिखती है।
हर 10 साल पर नेपाल में होती है जनगणना
बता दें कि नेपाल में भी भारत की तरह ही हर 10 साल के अंतराल पर जनगणना का आयोजन किया जाता है। अगले साल मई में शुरू होने वाले इस देशव्यापी जनगणना सर्वेक्षण को नेपाल की राष्ट्रीय योजना आयोग और उसके केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो मिलकर आयोजित करेगी। इस सर्वे में 40,000 से अधिक जनगणना अधिकारी और 9,000 पर्यवेक्षकों की तैनाती की जाएगी।
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