Friday , December 26 2025 8:44 AM
Home / News / धरती के करीब तारामंडल में बन रहे नए ग्रह, जेम्स वेब टेलीस्कोप ने खोला रहस्य, 20 साल में कितना बदला बीटा पिक्टोरिस

धरती के करीब तारामंडल में बन रहे नए ग्रह, जेम्स वेब टेलीस्कोप ने खोला रहस्य, 20 साल में कितना बदला बीटा पिक्टोरिस


हमारे सौर मंडल के करीब मौजूद एक पड़ोसी तारा मंडल में विशाल एस्टेरॉइड्स के बीच में टकराव की संभावना जताई जा रही है। दो अलग-अलग अंतरिक्ष वेधशालाओं ने इसके बारे में बताया है। बीटा पिक्टोरिस तारा मंडल हमारी पृथ्वी से 63 प्रकाश वर्ष दूर है। ये इतना दूर है कि कोई भी व्यक्ति यहां अपने जीवनकाल में नहीं पहुंच सकता। अपनी नई उम्र के कारण यह लंबे समय से खगोलविदों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। हमारा सौर मंडल 4.5 अरब साल पुराना होने का अनुमान है। वहीं अगर बीटा पिक्टोरिस की बात करें तो यह सिर्फ 2 करोड़ साल पुराना है।
बाल्टीमोर में जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय की खगोलशास्त्री क्रिस्टीन चेन ने इसका कई बार अवलोकन किया है। उन्होंने कहा, ‘इसका मतलब है कि यह अभी भी बन रहा है। यह आंशिक रूप से गठित ग्रह प्रणाली है, लेकिन अभी तक पूरी तरह नहीं बनी है।’ चेन ने 2004 और 2005 में अब रिटायर हो चुके स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप से इसका अवलोकन किया। यहां उन्होंने दो ज्ञात विशाल गैस ग्रह देखे, जिसे बीटा पिक्टोरिस बी और सी नाम दिया गया है। तब चेन ने सिस्टम में धूल के अंदर बनते अलग-अलग ग्रह देखे।
साल 2022 से काम कर रहा जेम्स वेब – चेन ने कहा, ‘इसलिए मैं जेम्स वेब टेलीस्कोप के जरिए 2023 में फिर इसे देखने के लिए बेहद उत्साहित थी। मैं वास्तव में ग्रह प्रणाली को अधिक विस्तार से समझने की उम्मीद कर रही थी और हम निश्चित ही ऐसा कर रहे हैं।’ जेम्स वेब टेलीस्कोप साल 2022 से काम कर रहे हैं। यह उस प्रकाश को भी देख सकता है, जो इंसानी आंख से दिखाई नहीं देगा। वैज्ञानिक सुपरनोवा, एक्सोप्लैनेट और दूर की आकाशगंगाओं का अध्ययन करने के लिए स्पेस टेलीस्कोप का इस्तेमाल करते हैं।
जेम्स वेब से देखने पर क्या मिला? – स्पिट्जर और वेब अवलोकनों की तुलना करके चेन और उनके सहयोगियों ने महसूस किया कि 20 साल पहले उन्होंने जो डेटा कैप्चर किया था उसमें मौजूद दो प्रमुख दूल के बादल गायब हो गए थे। 10 जून को मैडिसन, विस्कॉन्सिन में अमेरिकन एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की 244वीं बैठक में चेन ने इससे जुड़ा अध्ययन पेश किया। वह इस स्टडी की प्रमुख लेखक हैं। टीम का मानना है कि स्पिट्जर के डेटा लेने से पहले यहां दो एस्टेरॉयड टकराए थे। पिछले अवलोकन में यहां धूमकेतु और एस्टेरॉयड के घूमने के प्रमाण मिले थे। धूमकेतु और क्षुद्रग्रहों के टकराने से धूल भले मलबे का निर्माण होता है और चट्टानी ग्रहों के निर्माण में मदद मिलती है।