
ब्रिटेन में पिछले दिनों कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन तेजी से फैलने की खबर ने देश के साथ पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया था। देश में तेजी से बढ़ते संक्रमण के चलते ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने लंदन समेत कई जगहों पर लॉकडाउन का ऐलान कर दिया। हालांकि, भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर विवेक मूर्ति ने कहा है कि ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है जिससे यह सिद्ध हो सके कि यह नया और अधिक संक्रामक रूप ज्यादा घातक है। गौरतलब है कि नव निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 43 वर्षीय मूर्ति को सर्जन जनरल पद के लिए चुना है।
‘ज्यादा संक्रामक है नया स्ट्रेन’ : मूर्ति ने कहा कि यह मानने का कोई कारण उपलब्ध नहीं है कि विकसित किये जा चुके कोरोना वायरस के टीके वायरस के नए प्रकार पर प्रभावी नहीं होंगे। उन्होंने कहा, ‘ब्रिटेन से जो खबर आ रही है उसके मुताबिक वायरस का एक नया स्ट्रेन (प्रकार) पाया गया है जो कि उस वायरस से अधिक संक्रामक है जो हमने पहले देखा है।’ मूर्ति ने रविवार को एनबीसी न्यूज से कहा, ‘हालांकि ऐसा प्रतीत होता है कि यह अधिक संक्रामक है, लेकिन हमारे पास अभी तक ऐसे साक्ष्य मौजूद नहीं हैं जिनसे यह सिद्ध किया जा सके कि यह संक्रमण के शिकार व्यक्ति के लिए अधिक घातक है।’
इंग्लैंड के कुछ हिस्सों में कोरोना वायरस का एक नया प्रकार सामने आया है जो तेजी से फैल रहा है जिसके चलते कई देशों ने ब्रिटेन की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया है। माना जा रहा है कि वायरस का यह प्रकार या तो ब्रिटेन में किसी मरीज में उत्पन्न हुआ होगा या किसी ऐसे देश से आया हो सकता है जहां कोरोना वायरस के म्यूटेशन पर निगरानी रखने की क्षमता कम है।
ब्रिटेन और अमेरिका के हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नया स्ट्रेन बाकियों के मुकाबले जल्दी संक्रमित करता है लेकिन अभी इसके सबूत नहीं है कि ये ज्यादा घातक है। ब्रिटिश सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार पैट्रिक वलांस ने कहा कि स्ट्रेन ‘तेजी से फैलता है और प्रमुख वैरियंट बनता जा रहा है।’ दिसंबर में लंदन के भीतर 60% से ज्यादा इंन्फेक्शंस इसी स्ट्रेन से फैले। चिंता की एक बड़ी वजह यह है कि इस स्ट्रेन के कई म्यूटेशंस हैं- करीब दो दर्जन की पहचान हो चुकी है। कुछ म्यूटेशंस तो उस स्पाइक प्रोटीन पर हैं जिनका इस्तेमाल वायरस कोशिकाओं से जुड़ने और उन्हें संक्रमित करने के लिए करता है। जो वैक्सीन बनी हैं, वे स्पाइक को ही निशाना बनाती हैं।
वायरस अक्सर अपने जेनेटिक कोड में एक या दो लेटर के बदलाव से बदल जाते हैं। यह इवॉल्यूशन की बेहद सामान्य प्रक्रिया है। हल्का सा बदला हुआ स्टेन किसी एक देश या इलाके में बेहद आम हो सकता है क्योंकि वह वहीं बना या ‘सुपर स्प्रेडर’ इवेंट्स के जरिए फैला। ज्यादा टेंशन की बात तब होती है जब वायरस अपनी सतह के प्रोटीन्स में बदलाव करके म्यूटेट होता है क्योंकि फिर यह इम्युन सिस्टम या दवाओं से बच जाता है। न्यूज एजेंसी एपी के अनुसार, ‘नए सबूत’ बताते हैं कि शायद नए स्ट्रेन के साथ ऐसा होने लगा है।
स्वीडन के रिसर्चर्स को अप्रैल में एक वायरस मिला था जिसमें दो जेनेटिक बदलाव थे। वह स्ट्रेन दोगुना संक्रामक लग रहा था। उसके दुनियाभर में करीब 6,000 केस मिले हैं। अधिकतर डेनमार्क और इंग्लैंड में। उस स्ट्रेन के अब कई वैरिएशंस आ चुके हैं। साउथ अफ्रीका में नए नया स्ट्रेन मिला है जिसमें वही दो बदलाव हैं जो हम देख चुके हैं। यूके वाले में भी दो बदलाव हैं, स्पाइक प्रोटीन में 8 चेंजेस हैं। सितंबर में दक्षिणपूर्वी इंग्लैंड में मिला एक स्ट्रेन अबतक फैल रहा है।
अमेरिका के पूर्व फूड ऐंड ड्रग कमिश्नर स्कॉट गॉटलिब ने सीबीएस के साथ बातचीत में कहा कि शायद ऐसा नहीं होगा। यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज में वायरस पर रिसर्च करने वाले डॉ रवि गुप्ता भी इसकी संभावना को बेहद कम आंकते हैं।
अमेरिकी के भावी राष्ट्रपति जो बाइडेन के नॉमिनी सर्जन जनरल विवेक मूर्ति ने रविवार को एनबीसी से कहा कि ‘यह मानने की कोई वजह नहीं है कि जो टीके बन चुके हैं वे इस वायरस पर असरदार नहीं होंगे।’ कई एक्सपर्ट्स ने कहा कि वैक्सीन सिर्फ स्पाइक प्रोटीन ही नहीं, कई तरह के रेस्पांस पैदा करती हैं। नया स्ट्रेन वैक्सीन का मुकाबला कर लेगा, इसकी संभावना कम है लेकिन इसे पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता।
मास्क लगाना, सामाजिक दूरी कारगर : मूर्ति ने कहा, ‘अगर आप घर पर हैं और यह खबर सुन रहे हैं तो एहतियात बरतने के हमारे वह उपाय नहीं बदलेंगे जिनसे वायरस के प्रसार को रोका जा सकता है। कोविड के प्रसार को रोकने के लिए मास्क लगाना, सामाजिक दूरी रखना, हाथ धोना अब भी कारगर हैं।’ मूर्ति अमेरिका के हडर्सफील्ड में प्रवासी भारतीय माता पिता के घर में 1978 में पैदा हुए थे। उनका परिवार भारत के कर्नाटक से अमेरिका के न्यूफाउंडलैंड में जाकर बस गया था जहां उनके पिता ने डिस्ट्रिक्ट मेडिकल आफिसर के रूप में कार्य किया।
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