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कोई नहीं बताता पहली बार मां बनने पर झेलनी पड़ती हैं क्‍या-क्‍या तकलीफ, एडजस्‍ट करना होता है कठिन


इसमें कोई शक नहीं है कि मां बनना सौभाग्य और खुशी की बात है। हालांकि, महिला के जिंदगी में आया हुआ यह नया बदलाव कई सारी चुनौतियों को भी लेकर आता है। सभी लोग जहां नए बच्चे की खुशी मनाते हैं, वहीं एक नई मां के मन में भावनाओं का सैलाब उमड़ता है। जहां शारीरिक तौर से थकान, दर्द जैसी परेशानियां होती है, वहीं मानसिक तौर से चिड़चिड़ाहट, अकेलापन, अपनी पहचान बदलने तक के ख्याल से परेशान रहती हैं।
मां बनना किसी भी महिला के लिए वरदान से कम नहीं है। मां बनने का एहसास शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस एहसास के साथ कई सारी अनकही चुनौतियां भी होती है। हां, एक नई मां को कई सारी कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ता है, जिसे सिर्फ एक महिला ही समझ सकती है।
एक तरफ जहां मां बनने की खुशी होती है, वहीं दूसरी तरफ नई जिम्मेदारियों का बोझ भी भारी महसूस होता है। इस नए सफर में शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक बदलावों का सामना करना पड़ता है, जो हर मां के लिए एक कठिन परीक्षा जैसा होता है।
आइए जानते हैं, नई मां बनने के दौरान उन सबसे कठिन बातों के बारे में, जिनसे हर माँ को गुजरना पड़ता है और जो इस सफर को और भी चुनौतीपूर्ण बनाती हैं। ऐसी ही नई मां की टॉप 5 चुनौतियों पर हमने यहां ध्यान खिंचा है।
आ जाती है नींद में कमी – मां बनने के पहले ही क्षण से जो सबसे पहली चुनौती एक मां के सामने आती है वो है नींद पूरी न हो पाना। शिशु के जन्म के पहले कुछ हफ्ते तक शिशु दिन हो या रात हर दो घंटे या हर कुछ देर में भूख से उठ जाता है।
मां के लिए मानों यह हर कुछ घंटे का अलार्म हो। इस दौरान मां थोड़ी झपकी तक नहीं ले सकती है, थोड़ी सी आंख लगने से ही तुरंत रोने की आवाज आंख खोल देती है। हालांकि, मां की इस कठिनाई को सिर्फ एक मां को ही झेलना पड़ता है।
मां के लुक्‍स में आ जाता है बड़ा बदलाव – ​मां बनने के बाद महिला के लुक्स में काफी बदलाव आता है। वजन बढ़ना, स्ट्रेच मार्क्स के दाग और ऐसी ही कई छोटी-छोटी चीजें लुक्स में बदलाव करती है।
इससे कई महिलाओं में निराशा भी देखने को मिलती है। हालांकि, इस शारीरिक बदलाव से दुखी होने के बजाय नई मां इस पर गर्व करें क्योंकि सारे दर्द और कठिनाई सहकर एक जीवन को दुनिया में लाने का कठिन और अनोखा काम एक महिला ही कर सकती है।
थकान से टूटा रहता है हमेशा शरीर – नींद की कमी, ब्रेस्टफीडिंग कराना, बार-बार डायपर बदलना, उन्हें सुलाने जैसी कई एक्टिविटीज के कारण महिला में एनर्जी कम होना और थकान की समस्या होना स्वाभाविक है। एक बच्चे को संभालना किसी भी तरह से आसान काम नहीं है।
खासकर एक नवजात को ब्रेस्टफीड कराना काफी मेहनत का काम होता है, क्योंकि शुरुआत में शिशु को ब्रेस्टफीड करना सिखाना एक कठिन काम है। तो इन्हीं सबके कारण महिला हर वक्त्त थकान महसूस करती है।
अकेलापन महसूस होना – कई बार नई मां को अकेलापन महसूस होता है। खासकर जब उसे इमोशनल या शारीरिक मदद नहीं मिलती है। सपोर्ट की कमी माँ के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
इसके अलावा, परिवार का ज्यादा ध्यान बच्चे की तरफ होने के कारण भी नई मां को अकेलेपन का एहसास करा सकता है। कई बार इससे नई मां के मूड में चिड़चिड़ापन जैसे बिहेवियरल बदलाव दिख सकते हैं।
हो जाता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन – नींद की कमी, थकान, अकेलापन, शारीरिक और मानसिक बदलाव और ऐसी ही कई परेशानियां कारण बनती है पोस्टपार्टम डिप्रेशन की। यह समस्या नई मां के साथ बच्चे के जन्म के कुछ हफ्तों या महीनों बाद हो सकती है। हॉर्मोनल इम्बैलेंस, अकेलापन के कारण मूड में बदलाव और चिड़चिड़ापन होने जैसे लक्षण नजर आते हैं।
ऐसे में इस समस्या से बचाव या इलाज के लिए यह जरूरी है कि नई मां को न सिर्फ परिवार का सपोर्ट मिले, बल्कि इससे बाहर निकलने के लिए हेल्थकेयर एक्सपर्ट से भी इस बारे में खुलकर बात की जाए।