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इंसान के लिए ही नहीं विज्ञान के लिए भी पहेली बने यह रहस्यमय स्थल

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नई दिल्लीःसंसार ने समय को सदैव अपनी सुविधा द्वारा विभाजित करने का प्रयास किया है| आधुनिक विभाजन के अनुसार संसार आज स्वर्णयुग को जी रहा है, विज्ञान का सबसे अधिक महत्व है| कोई भी बात अगर किसी भी प्रकार से मानव मूल्यों को या व्यवस्थाओं को प्रभावित करती है तो हम विज्ञान की और देखने लगते हैं, परन्तु प्रकृति द्वारा निर्मित कुछ स्थान आज भी विज्ञान की समझ से परे हैं|
ब्लड फाल्स, अंटार्टिका
अंटार्टिका के “टेलर हिमनद” पर जमी बर्फ में एक ऐसी जगह है जहां से लाल रंग का एक झरना बाहर आता है, जिसे देखकर ऐसा लगता होता है की वास्तव में रक्त बह रहा हो| इसकी खोज 1911 ई में ऑस्ट्रेलियाई मूल के भूवैज्ञानिक “ग्रिफ्फिथ टेलर” द्वारा की गई थी| वर्षों के खोज के पश्चात जब वैज्ञानिक उसका कारण पता नहीं लगा पाए, तब उन्होंने यह सुझाव दिया कि पानी के लाल रंग होने का कारण, उसमे मिला लौह खनिज है|

मैगनेटिक हिल, मॉन्कटन, न्यू ब्रंसविक

इस स्थान की खोज 1930 ई में हुई| यह एक ऐसा स्थान है जहां पर कोई भी गाडी स्वयं ही चलने लगती है | लगभग डेढ़ शताब्दी के बाद भी इसके कारण का पता नहीं चल पाया है| यह स्थान एक प्रमुख पर्यटक स्थल है| यह क्षेत्र पेटिटकोडीऐक नदी की घाटी में है और लूट्स पर्वत श्रृंखला से घिर हुआ है| भारत में भी एक ऐसा क्षेत्र लद्दाख में है| लद्दाख, उत्तर-पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्रम में आता है, जहां का अधिकांश धरातल कृषि योग्य नहीं है।

सरट्से, आइसलैंड

1963 ई से पूर्व इस द्वीप का कोई अस्तित्व ही नहीं था| यह स्थान वर्ष 1963 से 1967 तक लगातार हो रहे ज्वालामुखी के विस्फोटों से बना, और इसके बारे में वैज्ञानिकों के पास आज भी कोई पुख्ता जानकारी नहीं है| इस आइलैंड पर केवल कुछ वैज्ञानिकों को छोड़कर किसी को जाने की अनुमति नहीं है| इस स्थान को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया गया है|

मोराकी पत्थर, न्यूजीलैंड
न्यूज़ीलैंड के पूर्वी तट पर इस प्रकार के पत्थर पाए जाते हैं जो सामान्यतः 12 फ़ीट तक के होते हैं और सीप के मोती की तरह प्रतीत होते हैं| यह कहा जा सकता है की ये पत्थर जीवाश्मों पर रेत के कणों के लगातार पड़ते रहने से निर्मित होते हैं| ये पत्थर कीचड़, चिकनी मिटटी और रेत कणों से बने हैं जिस पर केल्साइट का लेप चढ़ा हुआ है| ऐसी संरचनाएं विश्व में कई स्थानों पर पाई जाती हैं, परन्तु मोराकी में यह सबसे बड़े आकारों में पाई जाती है|

लोंगयेरब्येन, नॉर्वे
नॉर्वे द्वीप समूह आर्कटिक सागर के ग्रीनलैंड में लॉन्गईयर वैली के निचले सतह पर लॉन्गईयर नदी के किनारे स्थित है| यह नॉर्वे के स्वालबार्ड नामक प्रशासनीय क्षेत्र में आता है| इस स्थान का नाम जॉन मुनरो लॉन्गईयर नामक कोयला कंपनी के मालिक के नाम पर पड़ा| यह स्थान इसलिए विश्वविख्यात है क्योंकि यहां पर पूरे वर्ष में लगभग आधे समय सूर्यास्त नहीं देखा जाता है| 20 अप्रैल से लेकर 23 अगस्त तक यहां पर हर समय सूर्य देखा जा सकता है, जिसके कारण यह एक मुख्य पर्यटक स्थल है|

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