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ईरान के साथ चाबहार बंदरगाह डील पर सीक्रेट तरीके से साथ देंगे बाइडन? भारत ही नहीं अमेरिका का भी होगा फायदा, जानें


भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह के प्रबंधन के लिए हाल ही में 10 साल का समझौता किया है। यह भारत की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी महत्वाकांक्षाओं में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है। ईरान के मकरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थिति चाबहार बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्व रखता है। यह ईरान, मध्य एशिया और रूस के साथ व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में कार्य करता है। इसके अलावा बंदरगाह अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत-ईरान की डील से अमेरिका बौखला गया है।
अमेरिका ने लंबे समय से ईरान पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं। चाबहार डील होने के कुछ घंटे बाद ही अमेरिका ने प्रतिबंधों की चेतावनी जारी कर दी। फिर भी अमेरिका के दबाव के आगे भारत का झुकना एक बड़ा जोखिम है। चाबहार बंदरगाह परियोजना सिर्फ एक आर्थिक अवसर का प्रतिनिधित्व नहीं करता। बल्कि यह व्यापारिक मार्गों में विविधता लाने के लिए जरूरी है। क्योंकि पाकिस्तान जैसा देश पड़ोसी होकर भी भारत का रास्ता बंद किए हुए है। भारत इस रास्ते से पाकिस्तान को बाइपास करते हुए मध्य एशिया और रूस तक जुड़ सकेगा।
अमेरिका नहीं लगाएगा प्रतिबंध! – अमेरिका ने प्रतिबंधों की धमकी दी है। लेकिन संभव है कि वह भारत पर किसी भी तरह की सख्ती न दिखाए। ईरान के साथ घनिष्ठ सहयोग के जरिए INSTC भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करता है। इसके अलावा क्षेत्र में चीनी प्रभुत्व के खिलाफ एक सुरक्षा कवच के रूप में भी कार्य करता है। चाबहार में चीन का आना एक रणनीतिक चुनौती है, क्योंकि वह पहले से ही पाकिस्तान के ग्वादर में मौजूद है। अगर यहां चीन की उपस्थिति मजबूत होती है तो क्षेत्र में उसका प्रभाव बढ़ेगा, वहीं भारत के हितों को कमजोर करेगा।
अमेरिका को भी होगा फायदा – ईरान के साथ सहयोग को मजबूत करके भारत चीनी प्रभुत्व का मुकाबला कर सकता है। इससे ईरान को चीन पर पूरी तरह निर्भर होने से रोक सकता है। क्योंकि यूक्रेन युद्ध के बाद रूस चीन पर निर्भर हो चुका है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अमेरिका को चाबहार बंदरगाह और INSTC को लेकर भारत का समर्थन करना चाहिए। क्योंकि यह मध्य एशिया और ईरान में चीनी आधिपत्य का मुकाबला करने के लिए जरूरी है। इसके अलावा चाबहार के निवेश को अमेरिका विरोधी देखने की जगह यूएस को इसे भारत के राष्ट्रीय हित से प्रेरित मानना चाहिए। अगर यह चीन को पूरी तरह चुनौती न भी दे सके तो भी चीनी आधिपत्य को धीरे-धीरे कम करेगा। क्षेत्र में भारत के रणनीतिक पुनर्संरचना से लॉन्ग टर्म में अमेरिकी हितों को भी फायदा होगा।