
लद्दाख (Ladakh) में भारतीय सरजमीं पर कब्जे के फिराक में लगे चीन ने अब दक्षिण चीन सागर (South China Sea Dispute) पर कब्जा करने की कोशिश तेज कर दी है। चीन जल्द ही दक्षिण चीन सागर (South China Sea) में एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन बनाने जा रहा है। आइए जानते हैं क्या है इसका दुनिया के लिए मतलब…..
लद्दाख पर आंखें गड़ाए बैठा चीन साउथ चाइना सी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए कृत्रिम द्वीप बनाने के बाद चीन रणनीतिक रूप से बेहद अहम इस समुद्र में एक और नापाक कदम उठाने जा रहा है। करीब 10 साल तक योजना बनाने के बाद चीन अब दक्षिण चीन सागर में एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन बनाने जा रहा है। चीन अपने इस जोन में ताइवान और वियतनाम के नियंत्रण वाले द्वीपों को भी शामिल करने जा रहा है जिससे अमेरिका और पड़ोसी देशों के साथ उसका तनाव चरम पर पहुंच सकता है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन की सेना जल्द ही दक्षिण चीन सागर में यह विवादित कदम उठाने पर विचार कर रही है। चीन जोन के अंदर प्रतास, पार्सेल और स्पार्टले द्वीप समूह को भी शामिल कर रहा है। इन द्वीपों को लेकर उसका ताइवान, वियतनाम और मलेशिया से विवाद चल रहा है। चीन इस जोन को बनाने पर वर्ष 2010 से विचार कर रहा है लेकिन अभी तक हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। माना जा रहा है कि अब दुनिया को कोरोना संकट में फंसा देख चीन को मौका मिला गया है।
क्या है एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन
रिटायर विंग कमांडर प्रफुल्ल बख्शी ने नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत में कहा कि चीन एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन बनाता है तो इस इलाके से गुजरने वाले हरेक प्लेन को चीन की मंजूरी लेनी होगी। चीन को अगर लगता है कि विमान उसके मित्र देश का है या चीन के लिए खतरा नहीं है तो अनुमति दे देगा लेकिन अगर उसे लगता है कि दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाला प्लेन उसके लिए खतरा है तो वह उसे मार गिरा सकता है। उन्होंने कहा कि यह एक तरीके से चीन की दादागिरी है जिसे अमेरिका से कड़ी चुनौती मिल सकती है।
प्रफुल्ल बख्शी ने कहा कि अभी चीन के इस कदम को कानूनी आधार पर भी चुनौती मिल सकती है क्योंकि चीन ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप बनाए हैं। विश्व विमानन प्राधिकरण में यह मामला जा सकता है। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भी यह मामला जा सकता है। हालांकि चीन मनमानी कर सकता है, ऐसे में अमेरिका जैसे देश उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने अपने देश के आगे जाकर दक्षिण चीन सागर के अंदर अपना एक और क्षेत्र बना लिया। चीन ने कृत्रिम द्वीप बनाकर पर वहां अपनी सेना और नेवी तैनात कर दी है। चीन अब उस द्वीप के 200 मील के दायरे को अपना विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र बता रहा है। यह पूरा इलाका प्राकृतिक संसाधनों से भरा है। चीन तेल और गैस का समुद्र से उत्खनन कर सकता है। चीन ने यहां पर रनवे बना लिया और अब यहां पर मिसाइल बेस और सबमरीन हार्बर बना सकता है।
कृत्रिम द्वीप पर चीन ने तैनात किए विमान, रेडार
चीन यह कदम ऐसे समय पर उठा रहा है जब ताइवान के मसले पर अमेरिका के साथ उसका तनाव काफी बढ़ गया है। सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक चीन अगर यह विवादित जोन बनाता है तो अमेरिका और पड़ोसी देशों के साथ उसके रिश्ते बेहद खराब हो सकते हैं। ताइवान के नौसेना अकादमी के लू ली शिह ने कहा कि कृत्रिम द्वीप पर चीन ने हवाई पट्टी और रेडार सिस्टम लगाकर पेइचिंग ने जोन बनाने की तैयारी पूरी कर ली है। शिह ने कहा कि हाल ही में सैटेलाइट से मिली तस्वीरों से पता चला है कि पीएलए ने केजे-500 एयरबॉर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल एयरक्राफ्ट को अपने कृत्रिम द्वीप पर तैनात किया है।
शिह ने बताया कि चीन ने सबमरीन को नष्ट करने वाले प्लेन को भी द्वीप समूह पर तैनात किया है। चीन अब एसी से लैस सुविधाएं तैयार कर रहा है ताकि वहां पर फाइटर जेट तैनात किया जा सके। एसी वातावरण को ठंडा रखेगा जिससे फाइटर जेट कृत्रिम द्वीप की भीषण गर्मी और आर्द्र मौसम से मुकाबला कर सकें। एक बार जब ये सुविधाएं पूरी हो जाएंगी तो चीन हवा और समुद्र के अंदर अपनी निगरानी बढ़ा देगा और एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन का उल्लंघन करने वाले विमान या सबमरीन के खिलाफ कार्रवाई करेगा।
चीन ने फिर दी ताइवान पर हमले की धमकी
चीन की सेना के वरिष्ठ जनरल ली जुओचेंग ने Anti-Secession Law की 15वीं वर्षगांठ के अवसर पर पिछले दिनों कहा था कि हमें ताइवान पर सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा। सैन्य कार्रवाई के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है जिससे ताइवान को स्वतंत्र होने से रोका जा सकता है। दरअसल, चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश के रूप में देखता है। यह कानून ताइवान पर सैन्य कार्रवाई के लिए चीन को कानूनी आधार देता है। ज्वॉइंट स्टाफ डिपार्टमेंट के चीफ और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के मेंबर ली जुओचेंग ने ग्रेट हॉल ऑफ द पीपल में कहा कि अगर शांतिपूर्ण तरीके से ताइवान की चीन में विलय की संभावना खत्म हो जाती है तब सैन्य कार्रवाई ही अंतिम विकल्प है।
दक्षिण चीन सागर में चल रहा है महाभ्यास
एक तरफ दुनिया कोरोना वायरस संकट में फंसी हुई है, वहीं चीन की सेना ने ताइवान पर ‘कब्जे’ के लिए ‘महाभ्यास’ शुरू किया है। यह अभ्यास 70 दिनों तक चलेगा। चीन यह अभ्यास बोहाई सागर में कर रहा है और इसको देखते हुए उसने पूरे समुद्री इलाके के एक बड़े हिस्से को 70 दिनों तक के लिए बंद कर दिया है। चीन के सैन्यभ्यास से ताइवान की टेंशन काफी बढ़ गई है। इस बीच बढ़ते तनाव को देखते हुए अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में अपने युद्धक जहाजों को भेजा है। चीन की सेना का यह अभ्यास 31 जुलाई तक चलेगा। इस महाभ्यास के दौरान चीन की सेना लाइव फायर ड्रिल करेगी। इसके अलावा जमीन और पानी दोनों जगहों पर सेना को लैंड कराने का अभ्यास किया जाएगा। बोहाई समुद्र ताइवान पर कब्जे का अभ्यास करने के लिए सबसे आदर्श जगह माना जाता है। यहां की समुद्री परिस्थितियां लगभग वैसे ही हैं, जैसे ताइवान की खाड़ी में हैं।
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