
यूरोप के एक कोने में पिछले छह महीने से एक युद्ध चल रहा है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। लेकिन 24 फरवरी को शुरू होने से कई महीनों पहले यूक्रेन-रूस सीमा पर जंग का माहौल बनने लगा था। सभी को लग रहा था कि रूस जैसी महाशक्ति के सामने यूक्रेन जैसा छोटा देश कितने दिनों तक टिकेगा। लेकिन पश्चिमी देशों के सहयोग से यूक्रेन ने न सिर्फ लड़ाई का रुख पूरी तरह बदल दिया बल्कि रूस को भारी नुकसान भी पहुंचाया है। कुछ ऐसी ही तस्वीर अब हजारों किमी दूर एशिया में भी देखने को मिल रही है जहां दो देशों के बीच रूस-यूक्रेन जैसा ही तनाव है और अंतर भी।
एशिया में एक तरफ चीन है जो अपने लड़ाकू विमानों, युद्धपोतों, मिसाइलों और ड्रोन को आगे रखकर ‘धमकी भरे लहजे’ में बात करता है तो वहीं दूसरी ओर ताइवान है जो हर मामले में चीन से छोटा है, क्या क्षेत्रफल, क्या क्षमता। लेकिन अमेरिका, जिसके साथ उसके औपचारिक संबंध भी नहीं हैं, का साथ पाकर छोटा-सा देश भी ड्रैगन से टक्कर लेने को तैयार है। ताइवान अब आत्मविश्वास से लबरेज दिख रहा है और लगातार चीन पर पलटवार कर रहा है और इसकी शुरुआत अगस्त की शुरुआत में अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की यात्रा से हुई थी। आज उन घटनाक्रमों पर नजर डालते हैं जो दिखाते हैं कि पेलोसी की यात्रा के बाद से ताइवान का जोश ‘हाई’ है।
चीन के ड्रोन पर दागे वॉर्निंग शॉट्स : पेलोसी की यात्रा के बाद चीन ने ताइवान की घेराबंदी कर अब तक का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास किया था। तब से चीन की घुसपैठ और उकसाने वाली कार्रवाइयां लगातार जारी हैं। सोमवार को भी चीन का एक ड्रोन ताइवान नियंत्रण वाले एक द्वीप में दाखिल होने का प्रयास कर रहा था। ताइवान ने पहली बार वॉर्निंग शॉट्स दागते हुए चीन की इस हरकत का जवाब दिया। गोलीबारी से ड्रोन वापस चीन लौट गया। इससे पहले 29 अगस्त को ताइवान ने चीन को आगाह किया था कि अगर कोई भी ड्रोन उसकी सीमा की तरफ आया या फिर उसने दाखिल होने की कोशिश की तो फिर उसे तुरंत गिरा दिया जाएगा। एक दिन बाद ही चीन ने अपना ड्रोन ताइवान की ओर भेजा और ताइवान ने वही किया जो उसने कहा था। PLA का यह ड्रोन ताइवान के नियंत्रण वाले किनमैन द्वीप की तरफ बढ़ रहा था जो चीन से सिर्फ 3 किमी की दूरी पर स्थित है।
ताइवान को हथियार देने की योजना बना रहा अमेरिका : खबरों की मानें तो बाइडन प्रशासन ताइवान को 1.1 अरब डॉलर के हथियार बेचने की योजना बना रहा है और इस संबंध में अमेरिकी कांग्रेस से मंजूरी मांगी गई है। इनमें 60 एंटी-शिप मिसाइलें और 100 एयर-टू-एयर मिसाइलें शामिल होंगी। सूत्रों के हवाले से सोमवार को Politico ने अपनी खबर में इसकी जानकारी दी। औपचारिक राजनयिक संबंधों के अभाव के बावजूद वाशिंगटन ही ताइवान का सबसे मजबूत समर्थक और हथियार सप्लायर है। जून में भी अमेरिका ने 12 करोड़ अमेरिकी डॉलर मूल्य के कल-पुर्जे ताइवानी नौसैनिक जहाजों के लिए देने का ऐलान किया था।
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