
मोटापे को कई अन्य बीमारियों के साथ कैंसर का भी कारण माना जाता है, लेकिन एक नए शोध के बाद वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि कैंसर के मोटापे के शिकार मरीजों पर कैंसर की दवा का ज्यादा असर होता है। यानि मोटे लोगों के लिए कैंसर से निजात पाना आसान हो सकता है। ऑस्ट्रेलिया की फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने फेफड़े के कैंसर से पीड़ित 1434 मरीजों के अध्ययन के बाद बताया कि मोटापा वास्तव में इस बीमारी के इलाज में मददगार हो सकता है। शोध के दौरान मरीजों को एक खास दवा दी गई थी जो ट्यूमर को खत्म करती है। इसका उपयोग केवल फेफड़े के कैंसर के इलाज के लिए होता है।
दवा का उन मरीजों पर ज्यादा असर हुआ जो मोटे थे। शोध का हिस्सा रहे लोगों में 49 फीसदी का वजन सामान्य था, 34 फीसदी का वजन ज्यादा था जबकि 7 फीसदी मोटापे के शिकार थे। अध्ययन में पता चला कि 25 या इससे ज्यादा बीएमआई (ज्यादा वजन) वाले मरीजों के दवा देने के बाद जीवित रहने की संभावना 32 फीसदी तक ज्यादा थी। हालांकि, जब उन्हें एक दूसरी दवा दी गई, जिसका इस्तेमाल फेफड़े सहित अन्य तरह के कैंसर के इलाज में भी किया जाता है, तो नतीजे ऐसे नहीं थे। शोध के नतीजे जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित किए गए हैं।
शोध करने वाली टींम के प्रमुख डॉ. गणेशन किचेनाडासे ने बताया कि शोध के नतीजे बेहद रोचक हैं। वे इसके बाद अन्य तरह के कैंसर और उनकी दवाओं के साथ भी इस तरह के परीक्षण के पक्ष में हैं ताकि मोटापे और कैंसर के बीच सही संबंध का पता चल सके। वे यह भी कहते हैं कि ये नतीजे अंतिम नहीं हैं। गणेशन बीएमआई को मोटापे का पैमाना मानने पर भी सवाल उठाते हैं। बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल करीब 28 लाख लोग मोटापे के चलते अपनी जान गंवाते हैं। शोधों में भी बताया गया है कि मोटापा कैंसर, टाइप 2 डायबिटिज और दिल की बीमारियों का कारण हो सकता है।
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