संयुक्त राष्ट्र। दुनिया की आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है और अब यह 7 अरब तक पहुंच चुकी है। 1.3 अरब आबादी के साथ सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश चीन और उसके बाद भारत जिसकी आबादी 1.2 अरब है। दुनिया में हर रोज साढ़े तीन लाख बच्चे जन्म लेते हैं। एक आंकड़े के अनुसार हर 20 मिनट में पैदा होते हैं 3000 से अधिक बच्चे। 1960 में दुनिया की आबादी 3 अरब थी, 40 साल में यह दोगनी यानी 6 अरब हो गई। जनसंख्या नियोजन पर लोगों को जागरूक करने के लिए 1989 में संयुक्त राष्ट्र ने विश्व जनसंख्या दिवस की शुरुआत की।
2017 की थीम
विश्व जनसंख्या दिवस की इस साल की थीम है फैमिली प्लानिंगः इंपावरिग पीपल, डेवलपिंग नेशंस। यह थीम 11 जुलाई को लंदन में होने वाले जनसंख्या नियोजन सम्मेलन के आधार पर चुनी गई है। इसका मकसद
2020 तक 12 करोड़ महिलाओं को ऐच्छिक रूप से जनसंख्या नियोजन के प्रयासों का हिस्सा बनाना है।
तेजी से बढ़ी आबादी
सन 1000 में दुनिया की आबादी 40 करोड़ थी। 1750 ईसवीं में यह 80 करोड़ हुई और 1927 में दुनिया में दो अरब लोग हो गए। 1960 में वैश्विक आबादी ने 3 अरब का आंकड़ा पार किया और 2000 में ये दोगुनी होकर 6 अरब हो गई। संयुक्त राष्ट्र के एक सर्वे के मुताबिक 2023 तक वैश्विक आबादी 8 अरब हो जाएगी।
मृत्यु दर में गिरावट है वजह
हर सेकंड दुनिया में 4.3 बच्चों का जन्म होता है और 1.8 लोगों की मृत्यु। विशेषज्ञों के मुताबिक जनसंख्या में
रफ्तार से इजाफे की वजह जन्मदर नहीं है बल्किघटती मृत्यु दर है। स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार, तकनीक,
शहरीकरण, शिक्षा, बीमारियों से परहेज और युद्ध न होने से लोग अब ज्यादा जीने लगे हैं।
33 वर्षों में दोगुनी आबादी
2050 तक वैश्विक आबादी के 12 अरब पहुंचने का अनुमान है। वहीं 2030 तक भारत की आबादी चीन की जनसंख्या से अधिक हो जाएगी। वहीं अगले 33 वर्षों में दुनिया के 70 फीसदी लोग शहरों में रहेंगे।