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सिर्फ मां ही बच्‍चों को सिखा सकती है ये बातें


मां बच्‍चों के लिए पहली टीचर और दोस्‍त होती है। एक मां ही होती है जो अपने बच्‍चे को समझती भी है और उसकी मुश्किलों में साथ भी देती है।
यूं ही नहीं मां को भगवान का दर्जा दिया गया है। इस रिश्‍ते में बहुत कुछ खास होता है जिसे आप या हम नकार नहीं सकते हैं। वैसे तो बच्‍चे अपने आसपास के हर व्‍यक्‍ति से कुछ न कुछ सीखते हैं लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं जो उन्‍हें केवल अपनी मां से ही सीखने को मिलता है।

खुद पर विश्‍वास करना
मां बच्‍चों को बाहर की दुनिया के लिए तैयार करती है। उसे सिखाती है कि बाहर उसे हर तरह के लोग मिलेंगे। कुछ उसकी मदद करेंगे तो कुछ उसके लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे। ऐसे में तुमको अपने ऊपर भरोसा रखना है और अपने सपनों को भूलना नहीं है। अपनी मंजिल पाने के लिए बच्‍चों को खुद पर भरोसा करना मां ही सिखाती है।
उम्र के हिसाब से बच्‍चों की परवरिश करती हैं काजोल
काजोल कहती हैं, ‘मां का रोल निभाना आसान नहीं है और इसमें हर दिन कुछ नया सीखने को मिलता है। मां बनने के बाद मैंने भी बहुत कुछ सीखा है। इस रोल की सबसे बड़ी मुश्किल यही है कि इसमें आपको सही काम करना है और ज्‍यादा गलतियां करने से बचना है। अपनी गलती होने पर तुरंत उसे सुधारना जरूरी है।’
मां बनने के बारे में काजोल कहती हैं, ‘मां अपने बच्‍चों से बिना किसी लालच के प्‍यार करती है। उसे अपने बच्‍चों से प्‍यार के अलावा और कुछ नहीं चाहिए होता है। जो प्‍यार बच्‍चों को उनके पैरेंट्स दे सकते हैं वो किसी और रिश्‍ते से नहीं मिल सकता है। मां के लिए उसका बच्‍चा सबसे प्‍यारा और सबसे स्‍मार्ट होता है।’
पैरेंटिंग को लेकर काजोल का कहना है कि बच्‍चों काे उसकी उम्र के हिसाब से पालना चाहिए। काजोल की बेटी 17 साल की और बेटा 10 साल का है। बेटी के लिए वो एक दोस्‍त तो बेटे को डिसिप्लिन में रखने के लिए थोड़ा सख्‍त रहना पड़ता है। काजोल अपने बच्‍चों की दोस्‍त, मां, रूल मेकर और पर्सनल सेक्रेटरी तक हैं।

काजोल और अजय देवगन न सिर्फ बॉलीवुड के बेस्‍ट कपल में से एक हैं बल्कि बेस्‍ट पैरेंट भी हैं। शादी के इतने साल बीतने के बाद भी ये दोनों हर जगह एक दूसरे को सपोर्ट करते हुए नजर आते हैं और अपने बच्‍चों की परवरिश को लेकर बहुत सीरियस हैं। हाल ही में खबर आई थी कि बेटी की पढ़ाई के लिए काजोल उसके साथ विदेश में रहेंगी, जबकि अजय मुंबई में ही बेटे के साथ रहेंगे।
आत्‍मनिर्भर बनना
पार्टनर या दोस्‍त कितनी ही मदद कर लें लेकिन खुद जीने के लिए आत्‍मनिर्भर होना बहुत जरूरी है। जिंदगी में कभी न कभी ऐसी परिस्थित‍ि जरूर आती है जब आपको कहीं से कोई मदद नहीं मिलती है। ऐसे में आत्‍मनिर्भरता ही काम आती है। वो मां ही है जो अपने बच्‍चे को छोटी उम्र से ही आत्‍मनिर्भर बनाना सिखाती है।
गिव एंड टेक की पॉलिसी
हमें हमेशा दूसरों से आदर और प्‍यार से बात करना सिखाया जाता है लेकिन एक मां बच्‍चों को गिव एंड टेक का रूल सिखाती है। आपको उस इंसान को सम्‍मान नहीं देना चाहिए जो आपको आदर न करता हो। अगर कोई आपसे बदतमीजी करता है तो उसके साथ वैसा ही व्‍यवहार करना चाहिए।
3 बॉलीवुड फिल्‍में जो बच्‍चों को सिखाती हैं मेहनत और लगन का पाठ
इस फिल्‍म को आप ध्‍यान से देखेंगे तो समझ पाएंगे कि इसमें कितना गहरा संदेश दिया गया है। ईशान एक स्‍पेशल चाइल्‍ड है जिसे पढ़ाई-लिखाई समझ नहीं आती है। उसे तो बस रंग, पतंग और खेलना अच्‍छा लगता है। पढ़ाई न करने की वजह से मां- बाप की डांट तो मिलती ही है और साथ ही उनसे दूर बोर्डिंग स्कूल भी जाना पड़ता है।
बोर्डिंग स्‍कूल आकर ईशान की जिंदगी बदल जाती है और उसमें सुधार आने लगता है। इस फिल्‍म से जहां बच्‍चों को अपनी बात कहने का आत्‍मविश्‍वास मिलता है, वहीं पैरेंट्स को भी यह संदेश जाता है कि हर बच्‍चा अलग होता है।
इस फिल्‍म की कहानी कुछ ऐसी है कि आपकी आंखों में आंसू आ जाएंगे। इसमें एक ढाबे पर काम करने वाला गरीब लड़का जब एक अमीर लड़के को स्‍केटिंग करते देखता है तो उसकी आंखों में स्‍केटिंग करने का सपना पैदा होने लगता है। इस सपने को पूरा करने की ठानता है और इसमें उसका साथ देते हैं उसके गरीब दोस्‍त। इसमें आपको देखने को मिलेगा कि गरीब बच्‍चों को अपने सपने पूरे करने के लिए क्‍या कुछ सहना पड़ता है।
बच्‍चों को इस फिल्‍म से संदेश मिलता है कि जो उन्‍हें मिला है, वो हर बच्‍चे के नसीब में नहीं होता है इसलिए उन्‍हें अपनी जिंदगी की कद्र करनी चाहिए। वहीं, अपने सपने को पूरा करने के लिए कोशिश करते रहने चाहिए।
यह फिल्‍म भी गरीब बच्‍चे की जिंदगी पर आधारित है। इस फिल्‍म में मुख्‍य किरदार जब टीवी पर पूर्व राष्‍ट्रप‍ति अब्‍दुल कलाम को पढ़ाई पर जोर देते हुए देखता है तो उसके मन में भी पढ़-लिखकर कुछ बनने का ख्‍वाब जागता है। यह बच्‍चा बाल मजदूरी से पैसा इकट्ठा कर के पढ़ना चाहता है और इस दौरान उसकी जिंदगी में जो मुश्किलें आती हैं, उन्‍हें ही दिखाया गया है।
इस फिल्‍म से यह शिक्षा मिलती है कि हमें जो कुछ भी मिला है, वो सबको नहीं मिल पाता है। अपने सपनों को पूरा करने की कोशिश बंद नहीं करनी चाहिए।
आज में जीना
बीते और आने वाले कल की चिंता करना बेकार है। जो है आज है और आज में ही जीना सही है। आज आपके हाथ में जो भी अवसर हैं, उन पर काम करें क्‍योंकि वही आगे चलकर आपको अच्‍छा भविष्‍य देंगे। भविष्‍य के बारे में सोचकर हम अपने आज को मुश्किलों से भर देते हैं जो कि गलत है। एक मां अपने बच्‍चे को वर्तमान में जीना सिखाती है।

गुड और बैड टच
लड़कियों को दुनिया की गंदी नजर के बारे में मां से ज्‍यादा बेहतर और कोई नहीं समझा सकता है। आजकल लड़कियों के साथ शोषण की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं इसलिए उन्‍हें गुड और बैड टच के बारे में बताना बहुत जरूरी है। मां अपनी बेटी को प्‍यार से यह जरूरी पाठ पढ़ा सकती है।