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एक आखिरी बार ऐस्टरॉइड Bennu के सबसे करीब जाएगा OSIRIS-REx स्पेसक्राफ्ट, फिर धरती पर लौटने की तैयारी


NASA का OSIRIS-REx स्पेसक्राफ्ट 7 अप्रैल को एक बार ऐस्टरॉइड Bennu के करीब फिर से जाएगा। इस फाइनल फ्लाइओवर के दौरान सिर्फ 3.7 किमी दूरी से ऐस्टरॉइड की सतह की तस्वीरें ली जाएंगी। इससे पहले 20 अक्टूबर, 2020 को स्पेसक्राफ्ट ने ऐस्टरॉइड से सैंपल इकट्ठा किया था। उसके बाद से सबसे करीब अब बुधवार को जाएगा। दिलचस्प बात यह है कि यह ऑपरेशन इसलिए किया जाएगा क्योंकि जब स्पेसक्राफ्ट ने सैंपल लिए थे तो ऐस्टरॉइड की सतह पर काफी असर पड़ गया था।
ऐस्टरॉइड पर डाला असर : दरअसल, टचडाउन के दौरान स्पेसक्राफ्ट कै सैंपलिंग हेड ऐस्टरॉइड की सतह के 48.8 सेंटीमीटर अंदर तक गया था और फिर नाइट्रोजन गैस का प्रेशराइज्ड चार्ज रिलीज किया। स्पेसक्राफ्ट के थ्रस्टर्स ने भी सतह के मटीरियल को उड़ान भरते वक्त इधर-उधर किया था लेकिन ऐस्टरॉइड की कमजोर ग्रैविटी की वजह से इसका सैंपल साइट पर काफी फर्क पड़ा और चट्टानें-धूल उड़ गईं।
यूनिवर्सिटी ऑफ ऐरिजोना की लीड साइंटिस्ट डान्टे लॉरेटा ने इस सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा कि इस मिशन को पूरा कर लिया गया है। स्पेसक्राफ्ट ने हर वह चीज की जो उसे करनी थी। Osiris-Rex ने Bennu पर टचडाउन की पुष्टि 20 करोड़ मील दूर से की जिसके बाद मिशन टीम खुशी से उछल पड़ी। Osiris-Rex सैंपल के साथ साल 2023 में लौटेगा। Osiris-Rex को पहले ही ग्राउंड कंट्रोल ने कमांड दे दी थीं। इससे उसने करीब 4.5 घंटे में अपनी कक्षा से Bennu की सतह पर पहुंचा। उसके रुकने के लिए 510 मीटर के Bennu में पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण नहीं है। इसलिए उसने पूरी तरह लैंड होने की जगह 3.4 मीटर की रोबॉट आर्म को सतह पर पहुंचाया और कम से कम 60 ग्राम सैंपल इकट्ठा करने की कोशिश की।
OSIRIS-REx दो साल से Bennu के चक्कर काट रहा है और स्पेस रॉक्स के मूवमेंट को ऑब्जर्व कर रहा है। ह Nightingale नाम के क्रेटर पर स्पाइरल करते हुए उतरा जहां इसके उतरने के लिए सिर्फ 8 मीटर चौड़ा एक क्षेत्र था। Nightingale क्रेटर भी सैंपल के लिहाज से बेहद अहम है। यहां महीने धूल, कंकड़-पत्थर हैं जो ज्यादा वक्त के लिए आसपास के पर्यावरण के संपर्क में नहीं आए हैं।
पहले से तय कमांड के मुताबिक कुछ सेकंड में Osiris की आर्म के छूने से क्रेटर की धूल नाइट्रोजन गैस के ब्लास्ट से उड़ेगी और सैंपलिंग हेड में इकट्ठा हो जाएगी। वैज्ञानिकों को कम से कम 60 ग्राम सैंपल चाहिए। अगर यहां इतनी धूल नहीं मिली तो 30 अक्टूबर को फैसला किया जाएगा कि आगे क्या करना है। दूसरी कोशिश बैकअप साइट Osprey पर जनवरी 2021 के बाद ही की जा सकेगी।
इसके लाए सैंपल की मदद से वैज्ञानिक सोलर सिस्टम की शुरुआत के बारे में स्टडी करेंगे। धरती पर जीवन कैसे शुरू हुआ, इसके रहस्य भी ये सैंपल खोल सकते हैं। दरअसल, कई रिसर्चर्स का मानना है कि धरती से ऐस्टरॉइड्स की टक्कर की वजह से ही यहां जीवन पैदा हुआ था। NASA के अधिकारी ऐस्टरॉइड्स को ‘टाइम कैप्सूल’ कहते हैं क्योंकि वह ग्रहों के साथ ही बचे हुए मटीरियल से बने थे।
वैज्ञानिक करेंगे अनैलेसिस : इस आखिरी फ्लाइओवर में मिशन टीम को मौका मिलेगा स्पेसक्राफ्ट ने ऐस्टरॉइड पर क्या असर डाला था। इसके बाद डेटा कुछ दिन में धरती पर पहुंचेगा जिसमें मिलीं तस्वीरों के आधार पर OSIRIS-REx टीम अनैलेसिस करेगी। उसके वैज्ञानिकों उपकरणों की परफॉर्मेंस भी टेस्ट की जाएगी। स्पेसक्राफ्ट 10 मई तक Bennu के करीब रहेगा। इसके बाद धरती पर दो साल में लौटने का सफर तय होगा। धरती के पास आने पर इसका सैंपल रिटर्न कैप्सूल अलग हो जाएगा जिसमें चट्टान और धूल हैं। यह धरती के वायुमंडल से होते हुए पैराशूट्स के सहारे धरती पर पहुंचेगा।
सितंबर 2023 में वापसी : लौटने के बाद कैप्सूल को ह्यूस्टन स्थित जॉनसन स्पेस सेंटर की फसिलटी में ले जाया जाएगा। यहां सैंपल निकालकर दुनिया की अलग-अलग लैब में भेजा जाएगा जहां वैज्ञानिकों इन पर अनैलेसिस करेंगे। इसकी मदद से सौर मंडल के बनने से लेकर धरती पर जीवन की शुरुआत से जुड़े कई सवालों के जवाब मिल सकते हैं। NASA ने बताया था कि इसकी वापसी में दो महीने की देरी होगी। यह सितंबर 2023 में लौटेगा।