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गिलगित पर पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख ने बुलाई गुप्‍त बैठक, आपस में भिड़े जनरल बाजवा और बिलावल भुट्टो


पाकिस्‍तान सरकार ने पाक अधिकृत कश्‍मीर के विवादित इलाके गिलगित-बाल्टिस्‍तान को प्रांत का दर्जा देने का फैसला किया है। अब तक आजाद कश्‍मीर का राग अलापने वाले पाकिस्‍तान ने ऐलान किया है कि गिलगित-बाल्टिस्‍तान में चुनाव भी कराए जाएंगे। पीओके को लेकर पाकिस्‍तान की इस इस नापाक साजिश को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि पाकिस्‍तान के गिलगित प्‍लान के पीछे पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा का हाथ है।
पाकिस्‍तानी के चर्चित पत्रकार रऊफा क्‍लासरा के मुताबिक पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख ने गिलगित को लेकर पिछले दिनों देश की सभी बड़ी पार्टियों के नेताओं को सेना मुख्‍यालय रावलपिंडी में आयोजित दावत में बुलाया था। इसमें नवाज शरीफ के भाई शाहबाज शरीफ, आस‍िफ अली जरदारी के बेटे बिलावल भुट्टो जरदारी समेत पाकिस्‍तानी सियासत के कई दिग्‍गज नेता शामिल हुए थे। इस दौरान आईएसआई के प्रमुख भी मौजूद थे।
बिलावल और शाहबाज शरीफ से सेना प्रमुख की बहस
क्‍लासरा के मुताबिक लोकतंत्र का दावा करने वाले पाकिस्‍तानी नेताओं को सेना प्रमुख ने तलब किया और इसमें शामिल होने वाले किसी नेता ने इस बैठक के बारे में सार्वजनिक रूप से चुप्‍पी साधे रखी। इस दौरान बाजवाने गिलगित को प्रांत बनाए जाने के मुद्दे पर चर्चा की लेकिन उसी दौरान उनकी बिलावल और शाहबाज शरीफ से बहस हो गई। बाजवा ने कहा कि पीओके पर भारत की कार्रवाई का डर है और चीन इस इलाके में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। ऐसे में हम गिलगित को एक नया प्रांत बनाना चाहते हैं।
रूस के अत्‍याधुनिक S-500 एयर डिफेंस सिस्‍टम के अलावा किसी भी देश के पास हाइपरसोनिक मिसाइलों का रोकने की क्षमता नहीं है। इस तकनीकी की मदद से अब भारत एंटी शिप मिसाइलें बना सकेगा। ये घातक म‍िसाइलें पलक झपकते ही शत्रुओं के एयरक्राफ्ट कैरियर को तबाह कर देंगी। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत ब्रह्मोस-2 नाम से एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने की तैयारी कर रहा है। रूस के मदद से तैयार ब्रह्मोस मिसाइल अभी सब सोनिक स्‍पीड (ध्‍वनि से तीन गुना ज्‍यादा रफ्तार) से वार करती है। इस तरह ब्रह्मोस-2 अपने पूर्ववर्ती मिसाइल से दोगुना ज्‍यादा रफ्तार से वार करेगी।

लद्दाख में भारतीय जमीन पर आंखे गड़ाए बैठा चीन बहुत तेजी से अपनी नौसैनिक क्षमता बढ़ा रहा है। चीन के पास जल्‍द ही तीन एयरक्राफ्ट कैरियर हो जाएंगे। इसके अलावा चीन के पास बड़े पैमाने पर डेस्‍ट्रायर, फ्रीगेट्स और अत्‍याधुनिक सबमरीन का बेड़ा है। इसके अलावा चीन अपनी नौसेना के लिए कई घातक हथियार बनाने में जुटा हुआ है। चीन ने हाल ही में लंबी दूरी तक मार करने वाली डीएफ-27 मिसाइलों का परीक्षण किया था। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के एंटी शिप हाइपरसोनिक मिसाइलों को बनाने से चीन की टेंशन कई गुना बढ़ जाएगी।

चीन न केवल अपनी ताकत बढ़ा रहा है, बल्कि भारत के धुर विरोधी पाकिस्तान की नौसेना को घातक युद्धपोत और सबमरीन दे रहा है। चीन के बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव में चीन-पाकिस्तान इकनॉमिक कॉरिडोर एक अहम हिस्सा है, दोनों देशों के बीच सैन्य हथियारों को लेकर भी कई डील हुई हैं। यही नहीं चीन पाकिस्‍तान के ग्‍वादर में विशाल नेवल बेस बना रहा है। अब चीन के हुडॉन्ग-झॉन्गहुआ शिपयार्ड ने पाकिस्तानी नौसेना के लिए बनाया टाइप-054AP श्रेणी का मल्टिपर्पज स्‍टेल्‍थ फ्रीगेट भी लॉन्च कर दिया है। ये फ्रीगेट रेडार को चकमा देने में भी सक्षम है। पाकिस्‍तान की नौसेना के पास इस समय केवल नौ फ्रीगेट्स, पांच सबमरीन और 10 मिसाइल बोट और तीन माइनस्‍वीपर हैं।
चीन से मिल रहे युद्धपोत से पाकिस्‍तानी नौसेना बेहद घातक हो जाएगी। ये युद्धपोत 4000 समुद्री मील तक हमला कर सकते हैं और इन पर जमीन से हवा और सबमरीन रोधी मिसाइलें लगी हुई हैं। पाकिस्‍तान को ये हथियार 2021-23 के बीच मिल जाएंगे। पाकिस्‍तान को मिलने वाली चीनी युआन क्‍लास की पनडुब्‍बी दुनिया में सबसे शांत मानी जाने वाली पनडुब्‍ब‍ियों में से एक है। इन 8 में से 4 वर्ष 2023 पाकिस्‍तान को मिल जाएंगी। डीजल इलेक्ट्रिक चीन की इस पनडुब्बी में ऐंटी शिप क्रूज मिसाइल लगी होती हैं। यह पनडुब्बी एयर इंडिपैंडेंट प्रपल्शन सिस्टम के कारण कम आवाज पैदा करती है जिससे इसे पानी के नीचे पता लगाना बहुत मुश्किल होता है। पाकिस्तानी नौसेना ने हाल में ही अपनी एक पनडुब्बी को चीनी नौसेना के युद्धपोतों के बीच कराची में सुरक्षा के लिए तैनात किया था।
हाइपरसोनिक मिसाइल की दुनिया में सबसे आगे रूस चल रहा है। रूस ने अपनी 3M22 जिरकॉन मिसाइल को तैनात करना शुरू कर दिया है। विशेषज्ञों के मुताबिक भारत की ब्रह्मोस-2 मिसाइल भी जिरकॉन पर आधारित है। डीआरडीओ अगले पांच साल में स्‍क्रैमजेट इंजन के साथ हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकता है। इसकी रफ्तार दो किलोमीटर प्रति सेकेंड से ज्‍यादा होगी। सबसे बड़ी बात यह है कि इससे अंतरिक्ष में सैटलाइट्स भी कम लागत पर लॉन्‍च किया जा सकते हैं। आम मिसाइलें बैलस्टिक ट्रैजेक्‍टरी फॉलो करती हैं। इसका मतलब है कि उनके रास्‍ते को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। इससे दुश्‍मन को तैयारी और काउंटर अटैक का मौका मिलता है जबकि हाइपरसोनिक वेपन सिस्‍टम कोई तयशुदा रास्‍ते पर नहीं चलता। इस कारण दुश्‍मन को कभी अंदाजा नहीं लगेगा कि उसका रास्‍ता क्‍या है। स्‍पीड इतनी तेज है कि टारगेट को पता भी नहीं चलेगा। यानी एयर डिफेंस सिस्‍टम इसके आगे पानी भरेंगे।
पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख चाहते थे कि गिलगित को प्रांत बनाने के लिए राजनीतिक दल उनका समर्थन करें। इसी दौरान बिलावल ने राजनीतिक मामले में सेना के हस्‍तक्षेप का मुद्दा उठा दिया। बिलावल भुट्टों ने कहा कि इसी तरह के हालात वर्ष 1971 में थे और उस समय भी सेना राजनीतिक मामलों में हस्‍तक्षेप कर रही थी। उन्‍होंने बलूचिस्‍तान का मुद्दा और आईएसआई के राजनीतिक हस्‍तक्षेप और इमरान खान को सेना के खुलकर समर्थन का उदाहरण दिया।

बांग्लादेश युद्ध का जिक्र करते ही पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख भड़के
बिलावल के 1971 के बांग्लादेश युद्ध का जिक्र करते ही पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख भड़क उठे। बाजवा ने कहा कि सेना से मिलने के लिए आप जैसे नेता ही आते हैं। हम आपके पास नहीं आते हैं। उन्‍होंने कहा कि यह आपके आपसी झगड़े हैं, हमारा उससे लेना-देना नहीं है। हमने गिलगित जैसे राष्‍ट्रीय महत्‍व के मुद्दे के लिए बुलाया है। पाकिस्‍तानी सेना प्रमुख से डांट पड़ने के बाद बिलावल और शाहबाज शरीफ ने चुप्‍पी साध ली। बता दें कि पाकिस्तान ने कुछ हफ्ते पहले अपना नया नक्शा जारी किया था। इसमें उसने भारत के साथ विवादित क्षेत्रों को सीधे-सीधे अपना बता डाला था।
पाकिस्तान ने खुद खोली पोल, बताया कहां रहता है दाऊद इब्राहिम, पूरी कुंडली

पाकिस्तान ने जो दस्तावेज जारी किया है, उसमें बताया है कि शेख दाऊद इब्राहिम कासकर का जन्म भारत के महाराष्ट्र में रत्नागिरी के खेर में 26 दिसंबर, 1955 को शेख इब्राहिम अली कासकर के घर में हुआ था। उसकी नागरिकता भी भारतीय बताई गई है। साथ ही उसके सभी नामों जैसे दाऊद हसन, अद्बुल हमीन अब्दुल आजीज, दाऊद साबरी, दाऊद भाई, हाजी भाई, बड़ा भाई, आदि का जिक्र भी किया गया है।

भारत में बॉम्बे से लेकर पाकिस्तान तक में जारी किए गए उसके कई पासपोर्ट का जिक्र भी दस्तावेज में किया गया है। इसमें बताया गया है कि 1985 में बॉम्बे में जारी किए गए पासपोर्ट को भारत सरकार ने रद्द कर दिया था। इसके अलावा बॉम्बे में 1975, 1978, 1979, 1981, 1983, 1985, जेद्दाह में 1989 , दुबई में 1985, रावलपिंडी में 1991 और 2001, 1996 में कराची में पासपोर्ट जारी किए गए।

सबसे खास बात यह है कि अभी तक दाऊद के पाकिस्तान में होने की बात नकारते आ रहे पाकिस्तान ने कराची में उसके तीन-तीन पते बता दिए हैं। इस दस्तावेज में शामिल उसके अड्रेस में कराची के क्लिफ्टन में सऊदी मस्जिद के पास वाइट हाउस, हाउस नंबर 37, 30वीं स्ट्रीट-डिफेंस, हाउसिंग अथॉरिटी और नूराबाद में पलेशियल बंगले का जिक्र किया गया है।

पाकिस्तान हमेशा दाऊद की मौजूदगी से इनकार करता रहा लेकिन दाऊद के भाई इकबाल कासकर ने 2017 में बताया था कि दाऊद पाकिस्तान में ही छिपा हुआ है। उसने यह दावा भी किया था कि नरेंद्र मोदी सरकार के आने के बाद दाऊद ने पाकिस्तान में चार बार अपना ठिकाना बदला था। कराची में पाकिस्तान आर्मी और आईएसआई उसकी सुरक्षा में तैनात है। यूरोप में अमेरिका तक काले धंधे का व्यापार करने वाले दाऊद की कई संपत्तियों ब्रिटेन में भी होने का दावा किया जाता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक ब्रिटेन की एसेक्स और केंट जैसी काउंटीज में संपत्ति का दावा किया जाता है। ब्रिटेन के अलावा दाऊद की कई संपत्तियां संयुक्त अरब अमीरात, स्पेन, मोरक्को, तुर्की, साइप्रस और ऑस्ट्रेलिया में बताई जाती हैं।

अब पाकिस्तान ने नया पैंतरा खेलते हुए फैसला किया है कि गिलगित-बल्टिस्तान को प्रांत का दर्जा दिया जाएगा और चुनाव भी कराए जाएंगे। यह सबकुछ पा‍क सेना प्रमुख के इशारे पर इमरान सरकार ने किया है। वहीं, भारत ने इसे लेकर अपना रुख साफ कर रखा है कि गिलगित-बल्टिस्तान समेत जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का क्षेत्र उसके अंतर्गत आता है और पाकिस्तान वहां चुनाव नहीं करा सकता। उधर, पाकिस्‍तान सरकार ने कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान जल्द ही क्षेत्र का दौरा करेंगे और औपचारिक ऐलान करेंगे। क्षेत्र को नैशनल असेंबली और सीनेट समेत हर संवैधानिक निकाय में पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
अब दाऊद इब्राहिम की ‘गर्लफ्रेंड’ चर्चा में, पाकिस्तानी ऐक्ट्रेस महविश हयात को लेकर भड़का डॉन

मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि उम्र में दाऊद से 27 साल छोटी महविश इस वक्त उसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। इस बारे में चर्चा दरअसल पिछले साल शुरू हुई थी जब महविश को नागरिक सम्मान ‘तमगा-ए-इम्तियाज’ दिए जाने पर सवाल उठने लगे थे। बताया जाता है कि दाऊद महविश को एक आइटम सॉन्ग में देखने के बाद फिदा हो गया और कहा जाता है कि इसके बाद उसने महविश को कई बड़े प्रॉजेक्ट्स दिलाने में मदद की।

महविश की पहचान लोड वेडिंग, पंजाब नहीं जाऊंगी और ऐक्टर-इन-लॉ जैसी फिल्मों से बनी। जल्द ही कहा जाने लगा कि महविश की मदद कराची का कोई प्रभावशाली शख्स कर रहा है जिसके तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के साथ अच्छे संबंध हैं। बाद में दावा किया गया कि वह शख्स दाऊद ही है। दाऊद की फिल्म इंडस्ट्री पर पुरानी पकड़ रही है। कराची और लाहौर के डॉयरेक्टर-प्रड्यूसरों के साथ उसके संबंध पुराने हैं।

‘तमगा-ए-इम्तियाज’ मिलने के बाद हयात को सोशल मीडिया पर काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था और लोगों ने उनकी काबिलियत पर सवाल उठाया था। तब उन्होंने सभी खबरों को उनके खिलाफ साजिश बताया था। दाऊद के साथ नाम जुड़ने के बाद से एक बार फिर वह चर्चा और सवालों के घेरे में हैं।

यही नहीं, भारत में पिछले साल महविश चर्चा में आ गई थीं जब उन्होंने ऐक्ट्रेस आलिया भट्टे के पहले पंजाबी म्यूजिक वीडियो ‘प्राडा’ को पाकिस्तानी गाने की चोरी बता डाला था। महविश का दावा था कि ‘प्राडा’ पाकिस्तानी पॉप बैंड वाइटल साइन्स के गाने ‘गोरे रंग का जमाना’ जैसा है। हालांकि, इससे नाराज लोगों ने कहा था कि यह दरअसल बेहद पुराना लोकगीत है जिसे क्रेडिट दिए बिना पाकिस्तानी बैंड ने गाया था।

भारत ने किया था विरोध
भारत ने मई में पाकिस्तान को दो-टूक कहा था कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में गिलगित-बल्टिस्तान समेत पूरा इलाका पाकिस्तान या उसकी न्यायपालिका के पास ऐसे क्षेत्रों में अधिकार नहीं हैं जो उसने जबरन अवैध तरीके से कब्जाए हैं। भारत ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कोई बदलाव करने की कोशिश नहीं करने की चेतावनी दी थी और कहा था कि अवैध कब्जा फौरन छोड़ दे। भारत ने इन इलाकों में चुनाव नहीं कराने की चेतावनी भी दी थी।